'मोदी सरकार और कॉरपोरेट मित्रों के बीच अपवित्र गठजोड़', कांग्रेस का मोदी से सवाल- सुभाष चंद्रा से आपके क्या रिश्ते हैं?

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि केन्द्र की मोदी सरकार और उनके कॉरपोरेट मित्रों के बीच बहुत ही अपवित्र गठजोड़ है और उनके पसंदीदा कारोबारी मित्र के निहित स्वार्थों की रक्षा के लिए नियमों का दुरूपयोग किया गया है।

फोटो: IANS
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नवजीवन डेस्क

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि केन्द्र की मोदी सरकार और उनके कॉरपोरेट मित्रों के बीच बहुत ही अपवित्र गठजोड़ है और उनके पसंदीदा कारोबारी मित्र के निहित स्वार्थों की रक्षा के लिए नियमों का दुरूपयोग किया गया है।

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा " श्री मोदी के पसंदीदा कारोबारी मित्र और सांसद सुभाष चंद्रा ने कहा है यस बैंक ने मुझ पर लोन लेने का दबाव बनाया और यह यह बकाया मेरी तरफ से की गई कोई गलती नहीं थी।" इस तरह यस बैंक के शेयर सीआरपीसी की धारा 102 के तहत चुराई गई संपत्तियां है तथा उत्तर प्रदेश पुलिस ने एनएसडीएल और बीएसई को लिखकर यस बैंक की कंपनी डिश टीवी के शेयरो को अटैच कर लिया था और इस अभूतपूर्व एफआईआर का उच्चत्तम न्यायालय ने खारिज कर दिया था

उन्होंने आरोप लगाया कि चार सितंबर 2021 को येस बैंक ने बोर्ड ऑफ डिश टीवी को पत्र लिखकर सभी शेयर धारकों की एक अप्रत्याशित बैठक बुलाने और इसके वर्तमान निदेशकों को बदलने तथा उनके स्थान पर स्वतंत्र निदेशकों वाले बोर्ड के गठन की बात कही थी। इस बात को डिश टीवी बोर्ड ने खारिज कर दिया था और इसके बाद येस बैंक राहत के लिए एनसीएलटी में गया था। इसी बीच वैधानिक जरूरतों को पूरा करने के लिए डिश टी ने एजीएम बुलाई थी।

इस बैठक में येस बैंक और अन्य शेयरधारकों ने जो प्रस्ताव किया था उनसे बचने के लिए सुभाष चंद्रा ने गौतम बुद्ध क्राइम ब्रांच को अपनी शिकायत पर एक प्राथमिकी दर्ज करने को कहा था।


कांग्रेस प्रवक्ता ने बताया कि इसके बाद भी एस्सेल समूह ने डिश टीवी की नकदी की लूटखसोट जारी रखी और आडिटर्स ने कंटेट प्लेटफार्म वाचो में 1200 करोड़ रूपए निवेश करने पर सवालिया निशान लगाया था। येस बैंक ने इसकी शिकायत नियामक संस्थाओं से भी की थी और स्टॉक मार्किट ने भी आडिटर्स की दुरूपयोग संबंधी शिकायतों पर भी प्रतिक्रिया की थी। इस मामले में अन्य पीड़ित पक्षों ने भी सेबी, वित्त्त एवं कॉरपोरेट मंत्रालय को पत्र लिखा था।

इसमें कहा गया है" भारतीय स्टेट बैंक के जरिए येस बैंक में जो धनराशि निवेश की गई है, करदाताओं के हितों को देखते हुए सेबी को अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए बैंक के बकाया को वसूलना चाहिए। भारतीय स्टेट बैंक और अन्य संस्थाओं ने इस बैंक में 11760 करोड़ रुपए निवेश किए है ताकि इसे उबारा जा सके। यह बैंक 2020 के शुरू से ही आर्थिक नुकसान का सामना कर रहा था।



उन्होंने कहा कि जिस समय यस बैंक को मोरेटेोरियम (ऋण स्थगन) के तहत रखा गया था तो इसका कारण बताया गया था कि एस्सेल समूह की तरफ से बैंक को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और अकेले इस समूह का बकाया ही 6,789 करोड़ रुपए है।

येस बैंक के नए बोर्ड ने एस्सेल समूह की 22 उधार लेने वाली संपत्तियों में से 12 के फॉरेंसिक आडिट का आदेश दिया था और इनमें से आठ को "फ्रॉड अकाउंट" करार दिया था जिसकी राशि कुल मिलाकर 3,197 करोड़ रुपए हैं। कई अन्य बैंकों ने भी एस्सेल समूह के ऋण को "फ्रॉड अकाउंट" करार दिया था। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि आखिर सरकार एसबीआई से संबद्ध येस बैंक की धनराशि को सुभाष चन्द्रा से क्यों नहीं वसूल कर रही है।

आईएएनएस के इनपुट के साथ

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