ध्रुवीकरण और महंगाई-बेरोजगारी से संघर्ष के समय आजाद का पार्टी छोड़ना दुर्भाग्यपूर्ण- कांग्रेस

कांग्रेस ने कहा है कि जिस समय पार्टी देश में बेरोजगारी, महंगाई और ध्रुवीकरण के खिलाफ संघर्ष कर रही है और अगले माह से भारत जोड़ो यात्रा शुरु करने वाली है, उस वक्त गुलाम नबी आजाद जैसे वरिष्ठ नेता का पार्टी से नाता तोड़ना दुर्भाग्यपूर्ण और दुख की बात है।

फोटो: सोशल मीडिया 
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नवजीवन डेस्क

ऐसे समय में जब कांग्रेस पार्टी देश में लगातार बढ़ रही बेरोजगारी, महंगाई और ध्रुवीकरण के खिलाफ संघर्ष कर रही है और अगले माह से भारत जोड़ो यात्रा शुरु करने वाली है, उस वक्त गुलाम नबी आजाद जैसे वरिष्ठ नेता का पार्टी से नाता तोड़ना दुर्भाग्यपूर्ण और दुख की बात है। यह प्रतिक्रिया कांग्रेस ने गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद व्यक्त की है।

शुक्रवार को दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस नेता अजय माकन और जयराम रमेश ने कहा कि “आजाद साहब कांग्रेस पार्टी के बहुत ही वरिष्ठ नेता थे और कांग्रेस पार्टी में और प्रशासन में देश के अंदर और प्रदेश के अंदर कांग्रेस पार्टी के माध्यम से उन्होंने बहुत सारे महत्वपूर्ण पदों को सुशोभित भी किया। लेकिन ये बहुत ही अत्यंत दुख की बात है कि ऐसे समय में, जब कांग्रेस पार्टी, राहुल गांधी जी के नेतृत्व में, हमारी अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी जी के नेतृत्व में पूरी की पूरी कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता और संगठन सड़क पर बीजेपी के खिलाफ सीधी-सीधी लड़ाई लड़ रहे हैं, उस समय उन्होंने इस लड़ाई का साथ छोड़ने का फैसला किया है।“

अजय माकन ने कहा कि, “हम ये उम्मीद करते थे कि गुलाम नबी आजाद साहब जैसे वरिष्ठ नेता कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर विपक्ष की आवाज और जनता की आवाज को अपना बल देते, दुख की बात ये है कि वो इस आवाज के अंदर अपना हिस्सा नहीं बनना चाह रहे, ये बड़े दुख की बात है।“

जयराम रमेश ने कहा कि, “हमने आजाद साहब का पत्र पढ़ा है, यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे समय में जब पूरी कांग्रेस पार्टी देशभर में एक साथ मिलकर बीजेपी की ध्रुवीकरण की नीतियों, महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों से लड़ने की तैयारी कर रही है, पूरी कांग्रेस पार्टी महंगाई पर हल्लाबोल पैली की तैयारी कर रही है, देश भर में प्रेस कांफ्रेंस की तैयारी कर रही है उस समय गुलाम नबी आजाद का इस्तीफा दुखद है।”

इस बीच कांग्रेस के पूर्व सांसद और वरिष्ठ नेता संदीप दीक्षित ने गुलाम नबी आजाद के नाम एक पत्र जारी किया है। उन्होंने लिखा है कि “हमने आप के साथ मिलकर पार्टी के लिए जो मुद्दे उठाए थे उसमें हमने सुधार की बात की थी न कि बगावत की। कांग्रेस की मजबूती की बात की थी, न कि पार्टी से अलग होने की।” उन्होंने लिखा है कि, “हमारे महान देश में हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने जो संघर्ष किया है, वही कांग्रेस को मजबूती देने के लिए किया जाना था, और इसके लिए पार्टी में रहना जरूरी था। लेकिन पार्टी से बाहर जाने का अर्थ है कि उन नीतियों, उस सिस्टम को मजबूत करना है जिसके लिए हमने कदम उठाए थे।”

ध्रुवीकरण और महंगाई-बेरोजगारी से संघर्ष के समय आजाद का पार्टी छोड़ना दुर्भाग्यपूर्ण- कांग्रेस

गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि, "कांग्रेस ने जिन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपने के साथ-साथ 42 साल तक महत्वपूर्ण पगों पर रखा, ऐसे समय में उनसे ऐसे पत्र की उम्मीद नहीं थी।"

अंत में संदीप दीक्षित ने लिखा है कि गुलाम नबी आजाद के जाने से पार्टी को नुकसान तो होगा, लेकिन उस आजाद से जिसने कथित जी-23 पत्र लिखा था, न कि उस आजाद से जिसने अपने इस्तीफे का यह पत्र लिखा है।

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