राम मंदिर पर वीएचपी का अचानक यू टर्न, मोदी सरकार के खिलाफ बन रही हवा के बाद आंदोलन 4 महीने तक स्थगित
अयोध्या का बाबरी मस्जिद-राममंदिर विवाद का मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। बीते 29 जनवरी को इस मामले पर सुनवाई होनी थी, लेकिन 5 जजों की बेंच में से एक जज की गैर-मौजूदगी की वजह से सुनवाई टल गई थी।
राम मंदिर निर्माण को लेकर हाल ही में प्रयागराज में चल रहे कुंभ में विश्व हिंदू परिषद द्वारा बुलाई गई धर्म संसद के बाद अब परिषद ने यू टर्न लेते हुए अगले चार महीने तक राम मंदिर आंदोलन पर विराम लगाने का फैसला किया है। खबरों के अनुसार मंगलवार को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन ने कहा कि आगामी चुनाव के मद्देनजर चार महीने तक राम मंदिर के आंदोलन पर विराम लगाया गया है। साथ ही उन्होंने कहा कि अब कोई भी ये आरोप नहीं लगा पाएगा कि उनका संगठन किसी पार्टी विशेष को फायदा पहुंचाने की कोशिश करता है।
इसके साथ ही सुरेंद्र जैन ने कहा कि देश का राजनीतिक वातावरण साफ रहे इसलिए ऐसा फैसला लिया गया है। उन्होंने दावा किया कि वीएचपी 1984 से आंदोलन कर रही है और राम मंदिर का निर्माण भी यही करेगी। बाकी दूसरे संगठन उनकी नकल कर रहे हैं। जैन ने ये भी जोड़ा कि इस मामले में बीजेपी सरकार की नीयत साफ है।
गौरतलब है कि इससे पहले प्रयागराज में चल रहे कुंभ के दौरान वीएचपी द्वारा आयोजित धर्म संसद में 1 फरवरी को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का भारी विरोध हुआ था। भागवत के भाषण के दौरान साधु-संतों ने जमकर हंगामा किया था, जिसके बाद देर तक पंडाल भागवत विरोधी नारों से गूंजता रहा। पंडाल में ‘राम मंदिर बनाओ या वापस जाओ’ के नारे गुंजते रहे। इसकी वजह से भागवत को फौरन वहां से जाना पड़ा था।
वहीं इसके ठीक दो दिन पहले 30 जनवरी को साधु-संतों के एक दूसरे धड़े ने परम धर्म संसद आयोजित कर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की तारीख का ऐलान किया था। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के नेतृत्व में हुए परम धर्म संसद में साधुओं ने ऐलान किया था कि 21 फरवरी को अयोध्या में मंदिर की नींव रखी जाएगी और अगर उन्हें रोका गया तो वे लोग खाने के लिए भी तैयार हैं।
बता दें कि अयोध्या का बाबरी मस्जिद-राममंदिर विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। बीते 29 जनवरी को इस मामले पर सुनवाई होनी थी, लेकिन 5 जजों की बेंच में से एक जज की गैर-मौजूदगी की वजह से सुनवाई को टल गई थी।
ऐसे में वीएचपी के इस नए कदम के कई मायने हैं। माना जा रहा है कि देश में मोदी सरकार के दौरान बढ़ी बेरोजगारी, किसानों की बदहाली, खराब होती अर्थव्यवस्था की वजह से लोगों में सरकार के खिलाफ गुस्से को देखते हुए इस मुद्दे को फिलहाल ठंडे बस्ते में टालने का फैसला लिया गया है। साथ ही अक्सर बीजेपी पर चुनाव का समय आते ही राम मंदिर का मुद्दा उठाने के आरोप लगते रहे हैं और लोग भी इसको अब बखूबी समझने लगे हैं। ऐसे में इसको देखते हुए माना जा रहा है कि वीएचपी ने फिलहाल इस मुद्दे को टालने का फैसला लिया है। हालांकि यह फैसला कायम रहता है या नहीं यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
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