त्रिपुराः पत्रकार शांतनु की हत्या में शामिल संगठन को बीजेपी ने दिया था चंदा
बीजेपी की त्रिपुरा राज्य कार्यकारिणी समिति के एक हस्ताक्षरित लेटरहेड के अनुसार राज्य इकाई ने पिछले साल अगस्त में केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर आईपीएफटी को 2 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की।
त्रिपुरा में पत्रकार शांतनु की हत्या में शामिल संगठन को बीजेपी द्वारा आर्थिक मदद देने का मामला सामने आया है। बीजेपी की त्रिपुरा राज्य कार्यकारिणी समिति के एक हस्ताक्षरित लेटरहेड के अनुसार राज्य इकाई ने पिछले साल अगस्त में केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर आईपीएफटी को 2 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की थी।
त्रिपुरा के मंडई ब्लॉक में इंडीजेनस पिपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के सदस्यों ने पत्रकार शांतनु की हत्या कर दी। पत्रकार का अंतिम संस्कार अगरतला में गुरुवार को किया गया।
त्रिपुरा टाइम्स में छपी खबर के अनुसार, 23 वर्षीय पत्रकार शांतनु भौमिक की आईपीएफटी के एक हिंसक समूह द्वारा अगरतला शहर से 25 किमी दूर मंडई में बेरहमी से हत्या कर दी गई। शांतनु एक स्थानीय अखबार, खबर 365 न्यूज और स्थानीय टीवी चैनल दिन रात के लिए मंडई में जारी प्रदर्शन की रिपोर्टिंग करने गए थे।
पुलिस ने इस हत्या के संबंध में आईपीएफटी के चार सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है औरस्थानीय पत्रकारों की मांग पर राज्य सरकार द्वारा दिये गए निर्देशों के अनुसार मामले की जांच कर रही है।
शांतनु अपनी मां और छोटी बहन के साथ रहता थे। अपने खाली समय में वह गरीब बच्चों को पढ़ना-लिखना भी सिखाते थे। शांतनु की हत्या बंगलुरु की चर्चित पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या और बिहार के अरवल जिले में पत्रकार पंकज मिश्रा पर जानलेवा हमले की घटनाओं के बाद हुई है। कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स द्वारा किये गए एक शोध के अनुसार भारत में 1992 से अब तक 27 पत्रकारों की हत्या हो चुकी है।
इस बीच बीजेपी की त्रिपुरा इकाई ने सीपीएम के शासन में खराब कानून-व्यवस्था का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में राजनीतिक हिंसा रोजमर्रा की घटना हो गई है। जबकि इसी त्रिपुरा बीजेपी द्वारा पत्रकार की हत्या में शामिल संगठन को आर्थिक मदद देने का मामला सामने आया है। बीजेपी की त्रिपुरा राज्य कार्यकारिणी समिति के एक हस्ताक्षरित लेटरहेड के अनुसार राज्य इकाई ने पिछले साल अगस्त में केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर आईपीएफटी को 2 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की थी।
3 अक्टूबर 2016 को लिखे गए कथित पत्र के अनुसार, पार्टी की राज्य इकाई के कोषाध्यक्ष सुजीत कुमार बनर्जी ने पार्टी की राज्य इकाई की महासचिव प्रतिमा भौमिक के साथ आईपीएफटी के प्रमुख एनसी देबबर्मा के घर जाकर रुपये दिये थे (चेक या नकदी के रूप में स्पष्ट नहीं)।
खबर के अनुसार, बुधवार को स्थानीय विवेकानंद मैदान में आयोजित जीएमपी (सीपीएम की जनजाति शाखा) की रैली में नहीं जाने के लिए सीपीएम कार्यकर्ताओं पर आईपीएफटी के समर्थक दबाव बना रहे थे। इसकी वजह से पिछले कई दिनों से मंडई और आसपास के इलाकों में तनाव फैला हुआ था। इसके बावजूद बड़ी संख्या में जीएमपी कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने रैली में भाग लिया। इससे नाराज आईपीएफटी के हथियारबंद कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने उन पर हमला कर 150 लोगों को घायल कर दिया और कई गाड़ियों को नुकसान पहुंचाया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ताओं समेत इसके जनजाति, युवा और छात्र संगठनों ने प्रतिक्रिया में आईपीएफटी के झंडे फाड़ दिए और कहीं-कहीं आईपीएफटी के कार्यकर्ताओं को भी पीटा।
रिपोर्ट में आगे कहा गया, ‘बुधवार की सुबह आईपीएफटी ने भी रोड जाम किया और पुलिस की मौजूदगी में सीपीएम की मंडी स्थानीय समिति के कार्यालय पर हमला किया। 1 बजे तक जब तनाव बहुत बढ़ गया, विरोधी पक्षों के बीच फंसे पत्रकार शांतनु को आईपीएफटी समर्थकों ने पकड़ लिया। जबकि शांतनु उन्हें बता दे चुके थे कि वे एक पत्रकार हैं, आईपीएफटी कार्यकर्ता उन्हें सुनसान जगह पर ले गए और बुरी तरह पीटकर मार दिया।‘
पुलिस उन्हें आनन-फानन में जीबी पंत अस्पताल ले गई जहां उन्हें मृत करार दे दिया गया। डॉक्टरों ने बताया कि उनके सिर पर काफा गंभीर चोटें आईं थीं।
जैसे ही पत्रकार के मौत की खबर लोगों को मिली, गुस्साए स्थानीय पत्रकारों ने जीबी पंत अस्पताल के सामने जमा होने लगे। 6.30 बजे के आसपास पत्रकारों के अलावा कई अन्य आंदोलनकारियों मुख्यमंत्री माणिक सरकार के आधिकारिक आवास के पास आईजीएम चौमुहानी रोड को जाम कर दिया। उन्होंने मांग की कि हत्यारों को शांतनु के अंतिम संस्कार के पहले पकड़ा जाए। मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद ही वे वहां से हटे।
पश्चिम जिले के पुलिस अधीक्षक अभिजीत सप्तर्षि के मुताबिक, झड़पों के बाद मंडई में स्थिति बहुत तनावपूर्ण हो गई। कल रात दो जिलों में धारा 144 लगाने के बाद, पुलिस की कई और टुकड़ियां उस इलाके में बुलाई गईं। न्यूज एजेंसी एएनआई ने बताया कि अगरतला में भी मोबाइल-इंटरनेट सेवाएं स्थगित कर दी गईं।
सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने त्रिपुरा के इस पत्रकार की मौत के लिए बीजेपी को दोषी ठहराया है। त्रिपुरा में 2018 में चुनाव होने वाले हैं और फिलहाल यहां सीपीएम का शासन है। लगातार चार बार से मुख्यमंत्री रह चुके माणिक सरकार को फिर से सीपीएम की तरफ से मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बनाया गया है।
कई पत्रकारों ने गुरूवार को दिल्ली के प्रेस क्लब और जंतर-मंतर पर इस हत्या का विरोध किया। इंटरनेट पर भी मृत पत्रकार को बड़ी संख्या में श्रद्धाजंलि
मशहूर कवि और लेखक जावेद अख्तर ने ट्विटर पर लिखा, ‘एक बार फिर शांतनु भौमिक को मारकर कुछ लोगों ने अभिव्यक्ति की आजादी, स्वतंत्र आवाजों और लोकतांत्रिक मूल्यों को खत्म करने की कोशिश की है।’
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