आज मजदूर संगठनों का ‘भारत बंद’, मोदी सरकार की नीतियों के विरोध में सड़क पर उतरेंगी ट्रेड यूनियन
मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए देश की 10 ट्रेड यूनियन ने आज भारत बंद बुलाया है। ट्रेड यूनियनों ने नागरिकता संशोधन कानून, जेएनयू, जामिया जैसे विश्वविद्यालयों में हिंसा का विरोध करते हुए देशभर में छात्रों के साथ खड़े होने का ऐलान किया है।
आज देश के 10 से ज्यादा श्रमिक संगठनों ने भारत बंद बुलाया है। देश की 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ देशवासियों से भारत बंद की अपील की है। इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, एसईडब्ल्यूए, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ और यूटीयूसी सहित अन्य मजदूर संगठनों ने पिछले साल सितंबर में ही सरकारी की नीतियों के खिलाफ 8 जनवरी, 2020 को देशव्यापी हड़ताल पर जाने का ऐलान किया था।
ट्रेड यूनियन का दावा है कि आज के राष्ट्रव्यापी हड़ताल में 25 करोड़ लोग हिस्सा लेंगे और केंद्र की मोदी सरकार की ‘जन विरोधी’ नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करेंगे। ट्रेड यूनियनों ने दावा किया है कि देश भर में छात्रों के 60 संगठनों और कई विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों ने भी इस हड़ताल को अपना समर्थन देते हुए भारत बंद में शामिल होने का फैसला किया है। छात्र संगठनों और विश्वविद्यालय पदाधिकारियों ने बढ़ी फीस और शिक्षा के व्यावसायीकरण के मुद्दे पर बंद में शामिल होने का फैसला लिया है।
भारत बंद से पहले दसों ट्रेड यूनियनों की ओर से जारी संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘‘आगामी 8 जनवरी को आम हड़ताल में हम करीब 25 करोड़ लोगों के शामिल होने की उम्मीद कर रहे हैं। इस भारत बंद के बाद हम और कदम उठाएंगे और सरकार से मजदूर विरोधी और जनविरोधी नीतियों को वापस लेने की मांग करेंगे।” ट्रेड यूनियन ने कहा है कि श्रमिकों की किसी भी मांग पर श्रम मंत्रालय अब तक कोई भी आश्वासन देने में विफल रहा है। श्रमिक संगठनों ने कहा है कि वर्तमान सरकार का रवैया श्रमिकों के प्रति अवमानना का है।
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