दिखावे के लिए पीएम मोदी ने गोद तो ले लिए चार-चार गांव, लेकिन सांसद निधि से नहीं खर्च की फूटी कौड़ी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस सांसद आदर्श ग्राम योजना को ढोल-ताशे बजाकर प्रचारित किया, उसी के तहत उनके द्वारा गोद लिए गए चारों गांवों में उन्होंने अपने सांसद निधि से फूटी कौड़ी भी खर्च नहीं की। यह खुलासा हुआ है आरटीआई के जवाब से।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सभी सांसदों को कम से कम एक गांव गोद लेने और सासंद निधि से उस गांव में विकास के काम कराने के निर्देश दिए थे। उन्होंने खुद भी चार गांव गोद लिए थे। कई बीजेपी सांसदोंने इस आदर्श ग्राम योजना के तहत गांव गोद लेने को कोई महत्व नहीं दिया और कई ने तो कोई गांव गोद लिया ही नहीं। जिन सासंदों ने प्रधानमंत्री को दिखाने के लिए गांव गोद लिए, उनकी हालत पहले की तरह अब भी खस्ता ही है।

दिलचस्प बात यह है कि खुद प्रधानमंत्री ने जिन चार गांवों को गोद लिया था, उनमें सांसद निधि से एक भी पैसा विकास के कामों पर खर्च नहीं किया गया है। यानी प्रधानमंत्री ने भी सिर्फ दिखावे और लोगों को धोखा देने के लिए ही गांव गोद लिए थे। यह सारा खुलासा हुआ है एक आरटीआई के जबाव में, जिसे कन्नौज के रहे वाले अनुज वर्मा हासिल किया है।

अनुज वर्मा ने आरटीआई में पूछा था कि प्रधानमंत्री ने किन गांवों को, किस तारीख को गोद लिया है और इन गांवों में प्रधानमंत्री के सांसद निधि से विकास के क्या काम किए गए हैं? इस आरटीआई के जवाब में वाराणसी के ग्राम्य विकास अभिकरण के परियोजना निदेशक ने लिखा है कि, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जयापुर गांव को 7 नवंबर 2014 को, नागेपुर गांव को 16 फरवरी 2016 को, काकरहिया गांव को 23 अक्टूबर 2017 को और डोमरी गांवको 6 अप्रैल 2018 को गोद लिया है।” दूसरे सवाल के जवाब में परियोजना निदेशक ने लिखा है कि, ‘उक्त चयनित गांवों में माननीय प्रधानमंत्री के सांसद निधि से कोई भी कार्य नहीं कराए गए हैं।’

इस जवाब से साफ है कि नरेंद्र मोदी ने जिस सांसद आदर्श ग्राम योजना को ढिंढोरा पीटा था और लोगों से वादा किया था कि उनके गांवों को शहरों की तरह विकसित किया जाएगा, वह पूरी तरह दिखावा भर था। हालांकि जिन गांवों को प्रधानमंत्री ने गोद लिया हैं, वहां कुछ-कुछ विकास के काम तो हुए हैं, लेकिन वह सारे काम या तो सरकारी योजनाओँ से या फिर कार्पोरेट की सामाजिक दायित्व निधि से हुए हैं।

अनुज वर्मा को आरटीआई के तहत मिला यह जवाब दो दिन से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। विपक्षी दलों ने भी इस बहाने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना शुरु कर दी है।

कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने इस आरटीआई जवाब को अपने ट्विटर हैंडिल पर शेयर किया है। उन्होंने साथ में लिखा है कि, “हम सब जानते हैं कि आखिर मोदी सरकार आरटीआई के खिलाफ क्यों है, क्योंकि इससे प्रधानमंत्री के बारे में कुछ कड़वी सच्चाई बेनकाब होती है। मसलन उन्होंने व्यक्तिगत प्रचार पर तो 4500 करोड़ रुपए खर्च कर दिए, लेकिन गोद लिए चारों पर गांवों पर खर्च हुआ शून्य।”

इस आरटीआई के बहाने प्रियंका चतुर्वेदी ने मोदी सरकार पर आरटीआई कानून में बदलाव करने की कोशिशें करने और उसे कमजोर करने का आरोप लगाते हुए हमला किया है। गौरतलब है कि पिछले कई से दिनों केंद्र सरकार द्वारा आरटीआई कानून में बदलाव करने की खबरें आ रही हैं, जिसका बड़े पैमाने पर विरोध भी हो रहा है।

2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने वाले अजय राय इस मुद्दे पर पीएम पर निशाना साधा है। उन्होंने एक निजी न्यूज चैनल से बातचीत में कहा कि, “इन गांवों पर प्रधानमंत्री के सांसद निधि से कुछ भी खर्च न होना बेहर निराशापूर्ण है। लेकिन इन गांवों में कुछ उद्योगपतियों ने विकास के काम कराए हैं, और उनका मकसद इन गांवों से ज्यादा प्रधानमंत्री को खुश करना है।” उन्होंने कहा कि इस सब की जांच होनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके।

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