कांवड़ से जुड़ा आदेश ‘भेदभावपूर्ण और सांप्रदायिक’, कानूनी पहलुओं पर विचार करेंगे: जमीयत
बयान में कहा गया कि जमीयत ने रविवार को अपनी कानूनी टीम की एक बैठक बुलाई है जिसमें इस ‘‘असंवैधानिक और अवैध आदेश’’ के कानूनी पहलुओं पर चर्चा की जाएगी।
प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के मार्ग में दुकानदारों के नाम प्रदर्शित करने के आदेश की आलोचना करते हुए शनिवार को कहा कि यह ‘‘भेदभावपूर्ण और सांप्रदायिक’’ फैसला है तथा इससे संविधान में निहित मौलिक अधिकारों का हनन होता है।
जमीयत का यह भी कहना है कि उसकी कानूनी टीम इस आदेश के कानूनी पहलुओं पर विचार करेगी।
मुजफ्फरनगर जिले में 240 किलोमीटर लंबे कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी होटलों, ढाबों और ठेलों सहित भोजनालयों को अपने मालिकों या इन दुकानों पर काम करने वालों के नाम प्रदर्शित करने के आदेश के कुछ दिन बाद शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे राज्य के लिए ऐसा ही आदेश जारी करने का फैसला किया।
जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने एक बयान में कहा, ‘‘यह एक भेदभावपूर्ण और सांप्रदायिक फैसला है। इस फैसले से देश विरोधी तत्वों को लाभ उठाने का अवसर मिलेगा और इस नए आदेश के कारण सांप्रदायिक सौहार्द को गंभीर क्षति पहुंचने की आशंका है, जिससे संविधान में प्रदत्त नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन होता है।’’
बयान में कहा गया कि जमीयत ने रविवार को अपनी कानूनी टीम की एक बैठक बुलाई है जिसमें इस ‘‘असंवैधानिक और अवैध आदेश’’ के कानूनी पहलुओं पर चर्चा की जाएगी।
मदनी ने यह भी कहा, ‘‘देश के सभी नागरिकों को संविधान में इस बात की पूरी आजादी दी गई है कि वे जो चाहें पहनें, जो चाहें खाएं, उनकी व्यक्तिगत पसंद में कोई बाधा नहीं डालेगा, क्योंकि यह नागरिकों के मौलिक अधिकार के विषय हैं।’’
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा संबधी आदेश मौलिक अधिकारों का हनन करने वाला है।
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