महंगाई, बेरोजगारी और आम लोगों से जुड़े मुद्दों का हल करने में नाकाम रहा बजट; विपक्ष ने मोदी सरकार पर साधा निशाना

कांग्रेस सदस्य ने कहा कि सरकार का दावा था कि संविधान का अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू कश्मीर में शांति हो जाएगी लेकिन वहां कहां शांति है। उन्होंने अग्निवीर योजना का भी विरोध किया और कहा कि यह उचित योजना नहीं है।

विपक्ष ने मोदी सरकार पर बजट को लेकर हमला बोला है।
विपक्ष ने मोदी सरकार पर बजट को लेकर हमला बोला है।
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नवजीवन डेस्क

राज्यसभा में बुधवार को विभिन्न विपक्षी दलों ने सरकार पर तीखा हमला बोला और दावा किया कि मौजूदा वित्त वर्ष का बजट महंगाई, बेरोजगारी सहित आम लोगों से जुड़े मुद्दों का हल करने में नाकाम रहा है। वहीं सत्ता पक्ष ने जोर दिया कि इस बजट में गरीब, किसान, युवा एवं समाज के सभी तबकों का ख्याल रखा गया है।

उच्च सदन में विनियोग (संख्यांक दो) विधेयक 2024 और जम्मू कश्मीर विनियोग (संख्यांक तीन) विधेयक 2024 पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस सदस्य शक्तिसिंह गोहिल ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है न कि उद्योग प्रधान और सरकार को यह बात समझनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता कृषि होनी चाहिए।

गोहिल ने खेती से जुड़ी चीजों पर जीएसटी लगाए जाने का विरोध किया और इसे हटाने की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार प्लैटिनम पर उत्पाद शुल्क में कमी करती है लेकिन खेती से संबंधित चीजों पर लगने वाली जीएसटी में कमी नहीं करती।

उन्होंने सिंथेटिक हीरे का मुद्दा उठाते हुए कहा कि सरकार को इस पर नियंत्रण करने की जरूरत है क्योंकि सिंथेटिक हीरे का असर गुजरात के सूरत में दिखने लगा है और हीरे की पॉलिश वाले कारखाने बंद होने लगे हैं।


कांग्रेस सदस्य ने कहा कि सरकार का दावा था कि संविधान का अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू कश्मीर में शांति हो जाएगी लेकिन वहां कहां शांति है। उन्होंने अग्निवीर योजना का भी विरोध किया और कहा कि यह उचित योजना नहीं है।

उन्होंने गृह एवं सहकारिता मंत्रालयों को एक साथ करने पर भी आपत्ति जतायी और कहा कि दोनों में कोई सह-संबंध ही नहीं है। उन्होंने कहा कि पहले कृषि एवं सहकारिता मंत्रालय साथ होते थे।

गोहिल ने सरकार पर हमला बोलते हुए पहलवान विनेश फोगाट का भी जिक्र किया और कहा कि जब वह न्याय मांग रही थी, उस समय सरकार क्या कर रही थी।

उन्होंने कहा कि इस सरकार के 10 साल हो गए और वह किस बात के लिए पुरानी सरकारों को गाली देती रहती है। उन्होंने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि उसने 10 साल में क्या किया।

डीएमके सदस्य ने बजट की आलोचना करते हुए कहा कि यह सरकार बचाने के लिए और सहयोगियों को खुश करने के लिए है। उन्होंने जाति आधारित जनगणना कराए जाने की मांग की और कहा कि आखिरी बार यह जनगणना 1931 में हुई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि बजट में तमिलनाडु की अनदेखी की गयी।


आरजेडी के मनोज झा ने भी जाति आधारित जनगणना कराए जाने की मांग की और कहा कि ऐसा होने पर भी पता लग सकेगा कि किस वर्ग की क्या स्थिति है।

मनोज झा ने मनरेगा मद में आवंटन बढ़ाए जाने की मांग की। उन्होंने रेलवे में करीब 20 हजार कुलियों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि तत्कालीन रेल मंत्री और उनकी पार्टी के नेता लालू प्रसाद ने कुलियों को समूह घ की सेवा में शामिल करने की घोषणा की थी। उन्होंने कुलियों को विभिन्न पदों पर समायोजित करने की मांग की।

सीपीआई के संतोष कुमार पी ने कहा कि यह बजट लोगों को निराश करने वाला है। उन्होंने कहा कि बजट में केरल की अनदेखी की गई है और उसे उसका उचित हक मिलना चाहिए।

आम आदमी पार्टी (आप) के राघव चड्ढा ने आरोप लगाया कि बजट बिना सोचे-समझे और विशेषज्ञों से परामर्श किए बिना तैयार किया गया और यही कारण है कि सरकार को पूंजीगत लाभ कर के संबंध में संशोधन लाना पड़ा।

उन्होंने जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी हटाने की मांग की। उन्होंने टोल टैक्स को लेकर भी चिंता जतायी और कहा कि यह आम आदमी के लिए बड़ी समस्या बन गयी है।

चर्चा में भाग लेते हुए बीजेडी की सुलता देव ने कहा कि यह ‘‘कुर्सी बचाओ’’ बजट है जिसमें ओडिशा के लिए कुछ नहीं है। पोलावरम परियोजना का विरोध करते हुए उन्होंने दावा किया कि इससे आदिवासियों के कई गांव प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि यह सरकार आदिवासी कार्ड खेल रही है।

पीटीआई के इनपुट के साथ

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