बुलंदशहर हिंसा को ‘इज्तिमा’ से जोड़ने की सुदर्शन न्यूज की कोशिश का पर्दाफाश, पुलिस ने खोली फेक न्यूज की पोल
बुलंदशहर में कथित गोहत्या के नाम पर हुई हिंसा को फेक न्यूज के जरिये जिले में चल रहे मुस्लिमों के धार्मिक समारोह से जोड़ने की कोशिश का पर्दाफाश हुआ है। सुदर्शन न्यूज की इस कोशिश की पोल खोलते हुए बुलंदशहर पुलिस ने भ्रामक खबर नहीं फैलाने की चेतावनी दी है।
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में सोमवार को कथित गोहत्या के नाम पर दक्षिणपंथी भीड़ की हिंसा में एक पुलिस इंस्पेक्टर समेत 2 लोगों की मौत के मामले को फेक न्यूज के जरिये सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश का पर्दाफाश हुआ है। दरअसल आरएसएस समर्थित सुदर्शन न्यूज ने मामले को सांप्रदायिक रंग देने की घिनौनी कोशिश करते हुए इसे बुलंदशहर में संपन्न हुए मुस्लिमों के धार्मिक कार्यक्रम इज्तिमा से जोड़ने की थी। लेकिन इसकी जानकारी मिलते ही यूपी की बुलंदशहर पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए बयान जारी कर सुदर्शन न्यूज की खबरों को झूठ करार देते हुए इस तरह की भ्रामक खबरें नहीं फैलाने की चेतावनी दी है। हालांकि चैनल या मालिक के खिलाफ इस मामले में फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
बता दें कि सुदर्शन न्यूज के मालिक सुरेश चवहाणके ने बुलंदशहर हिंसा को जिले में संपन्न मुस्लिमों के तीन दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम इज्तिमा से जोड़ने की कोशिश करते हुए कई भ्रामक ट्वीट किये। अपने एक ट्वीट में चव्हाणके ने लिखा कि इज्तिमा में गोहत्या का स्थानीय निवासियों द्वारा विरोध किये जाने की वजह से ये हिंसा भड़की। साथ ही उसने अपने समर्थकों को बुलंदशहर में हो रही हिंसा में लाठीचार्ज, फायरिंग, आगजनी और मौत पर ताजा अपडेट्स देखते रहने के लिए भी कहा। इसके बाद एक और ट्वीट में चव्हाणके ने लिखा, “स्थानीय लोगों ने चैनल को बताया है कि बुलंदशहर इज्तिमा के बवाल के बाद कई स्कूलों में बच्चे फंसे हैं, रो रहे हैं, लोग जंगल में हैं, घरों के दरवाजे बंद कर लोग डरे-सहमे हूए हैं।”
फेक न्यूज के लिए कुख्यात चव्हाणके के इस ट्वीट की जानकारी मिलते ही बुलंदशहर पुलिस ने फौरन बयान जारी कर इसे झूठा करार देते हुए भ्रामक खबरें नहीं फैलाने की चेतावनी दी। बुलंदशहर पुलिस ने ट्वीट किया, “कृपया भ्रामक खबर न फैलाएं। इस घटना का इज्तिमा कार्यक्रम से कोई संबंध नही है। इज्तिमा सकुशल संपन्न हुआ है। उपरोक्त हिंसा की घटना इज्तिमा स्थल से 45-50 किमी दूर थाना स्याना क्षेत्र मे घटित हुई है जिसमें कुछ उपद्रवियो द्वारा घटना कारित की गयी है। इस संबंध मे वैधानिक कार्यवाही की जा रही है।
हालांकि, बुलंदशहर पुलिस द्वारा पर्दाफाश किये जाने के बावजूद, चव्हाणके ने सांप्रदायिकता फैलाने वाले अपने फेक न्यूज के ट्वीट को नहीं डिलीट किया है। बता दें कि फेक न्यूज के जरिये सांप्रदायिक तनाव भड़काने के आरोप में चव्हाणके को पहले भी गिरफ्तार किया जा चुका है। यही नहीं, चैनल की एक पूर्व महिला कर्मचारी ने भी उस पर बलात्कार का आरोप लगाया था।
गौरतलब है कि सोमवार को बुलंदशहर में हुई हिंसा में भीड़ की गोली से मारे गए स्याना थाने के एसएचओ इंस्पेक्टर सुबोध सिंह 2015 में दादरी के बिसहाड़ा गांव में गोहत्या के नाम पर हुई अखलाक की हत्या के जांच अधिकारी रहे थे। यूपी पुलिस ने पुष्टी करते हुए बताया है कि सुबोध कुमार सितंबर 2015 से 9 नवंबर 2015 तक अखलाक केस के जांच अधिकारी रहे थे। बाद में उनका तबादला वाराणसी कर दिया गया था।
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