भड़काऊ भाषण मामले में सीएम योगी के खिलाफ मुकदमा वापस लेने पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से मांगा जवाब

पिछले दिनों यूपी सरकार ने भड़काऊ भाषण मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत नहीं दी थी, जिसके बाद सीएम योगी के खिलाफ मुकदमा बंद कर दिया गया था और इस फैसले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी अपनी मुहर लगा दी थी।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में साल 2007 में सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा दिए गए भड़काऊ भाषण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने यूपी सरकार से पूछा है कि सीएम योगी के खिलाफ मुकदमा क्यों न चले? कोर्ट ने यूपी सरकार से 4 हफ्ते में जवाब देने के लिए कहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह नोटिस इलाहबाद हाई कोर्ट के 22 फरवरी के आदेश के खिलाफ स्थानीय पत्रकार परवेज परवाज और असद हयात की विशेष अनुमति याचिका पर जारी किया है। इसी साल फरवरी में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी आदित्यनाथ समेत 8 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाए जाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था। इससे पहले भड़काऊ भाषण मामले में यूपी सरकार ने सबूत नहीं होने का दावा करते हुए सीएम योगी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की इजाजत नहीं दी थी। जिसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले पर मुहर लगा दी थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह और फ़ुजैल अहमद अय्यूबी ने पक्ष रखा।

बता दें कि 2007 में गोरखपुर के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ को शांतिभंग और हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उनके ऊपर आरोप है कि उन्होंने जनवरी 2007 में मुहर्रम के दौरान भड़काऊ भाषण दिया था, जिसके बाद दो समुदायों के बीच दंगे भड़क गए थे, जिनमें कई युवकों की मौत हुई थी। आरोप है कि हिंसक झड़प में एक युवक की मौत के बाद योगी ने अपने समर्थकों के साथ शहर में जुलूस निकाला था। योगी की गिरफ्तारी के बाद उनके उग्र हिंदूवादी संगठन हिंदू युवा वाहिनी ने जनसंपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया था और ट्रेन के एक डिब्बे समते कई बसें फूंक दी थी।

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