देश के लिए प्राण देने के 34 वर्ष बाद भी सबको प्रभावित करता है इंदिरा गांधी का व्यक्तित्व: सोनिया गांधी
यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने कहा है कि राष्ट्र की अखण्डता और धर्म निरपेक्षता के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने के 34 वर्ष बाद भी श्रीमती इंदिरा गांधी आज भी एक ऐसा व्यक्तित्व हैं जो सबको प्रभावित करता है। यहां पढ़ें इंदिरा गांधी पुरस्कार समारोह में दिया गया सोनिया गांधी का पूरा भाषण
जस्टिस ठाकुर,
डॉ. मनमोहन सिंह जी,
ज्यूरी के अध्यक्ष श्री प्रणव मुखर्जी,
ज्यूरी के सदस्यगण तथा विशिष्ठ अतिथिगण
“शांति, निरस्त्रीकरण तथा विकास”के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार वितरण के अवसर पर आप सबका स्वागत करते हुए मुझे अत्यंत खुशी हो रही है।
ये हमारा सौभाग्य है कि एक विशिष्ट न्यायविद मुख्यअतिथि के रुप में डॉ. मनमोहन सिंह को पुरस्कार देने के लिए हमारे बीच उपस्थित हैं। जस्टिस ठाकुर ने भारत के मुख्य न्यायाधीश के रुप में एक अमिट छाप छोड़ी है तथा न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए वो एक प्रभावशाली आवाज रहे हैं, जिसकी आवश्यकता इस कठिन दौर में हमारे लोकतंत्र को जीवित रखने के लिए सबसे अधिक है।
राष्ट्र की अखण्डता और धर्म निरपेक्षता के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने के 34 वर्ष बाद भी श्रीमती इंदिरा गांधी आज भी एक ऐसा व्यक्तित्व हैं जो सबको प्रभावित करता है। अपने अदम्य साहस और देश के प्रति दृढ़ निश्चय के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। इस देश की नींव एकता में है, ना कि एकरुपता में, सबको समाहित करने की चेष्टा में ना कि आपसी भेदभाव में, सर्वसौहार्द में है ना कि नफरत में।
इस देश के इतिहास और हमारे क्षेत्र की भौगोलिक संरचना के निर्माण में इंदिरा जी का स्थाई योगदान रहा। समाज के कमजोर वर्गों कि अपेक्षाओं को उन्होंने नई आशा दी, इन वर्गों के सशक्तिकरण में उनका दृढ़ विश्वास था। यद्यपि उन्होंने भारत में परमाणु शक्तियों का विकास किया, परंतु वे परमाणु हथियारों का इस्तेमाल हमेशा के लिए समाप्त करने के अभियान में अथक रुप से लगी रही। हमारे पड़ोस में सैन्य तथा राजनीतिक चुनौतियों का सामना करने में उनका नेतृत्व ऐतिहासिक रहा।
वे हरित क्रांति से हमेशा जुड़ी रहीं, जिसके कारण भारत अनाज के मामले में आत्मनिर्भर बन सका। वह पर्यावरण की चुनौतियों के मामलों में दूरदर्शी थी तथा इस दिशा में उन्होंने भारत और विदेश दोनों में अपनी अमिट छाप छोड़ी।
उनके प्रेरणादायी नेतृत्व में भारत ने एक अत्यंत सफल अंतरिक्ष कार्यक्रम भी आरंभ किया। प्रधानमंत्री के रुप में उनके 16 वर्ष के कार्यकाल को कुछ गिनी चुनी उपलब्धियों का उल्लेख करना असंभव है। उनके पसंदीदा उद्धरणों में से एक वह था जो उन्हें उनके दादा जी ने बताया था कि हमारे बीच दो तरह के लोग होते हैं, एक वो जो कार्य करते हैं, दूसरे वो जो मात्र श्रेय लेते हैं। आप पहले समूह में रहने का प्रयास करें, वहां कम भीड़ होती है। वास्तव में वह ऐसी ही थीं।
उनकी स्मृति में स्थापित यह पुरस्कार दुनिया भर के ऐसे सभी पुरुष, महिला और संस्थानों को मान्यता देता है, जिनके कार्यों ने श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा स्थापित मूल्यों का उदाहरण प्रस्तुत किया है। आज हम एक ऐसे व्यक्ति का सम्मान करने जा रहे हैं, जिन्होंने लगभग 15 साल तक उनके साथ बड़े करीब से कार्य किया। वह व्यक्ति जो उनके आर्थिक मामलों में सलाहकार रहे, वह व्यक्ति जिस पर उन्होंने उस समय पूरा विश्वास किया जब अर्थव्यवस्था 70 के दशक के मध्य में तथा 80 के शुरुआती दशक में गंभीर संकट का सामना कर रही थी। समय के साथ-साथ डॉ. मनमोहन सिंह ने अनेक ऊंचाईयों को छूआ। लेकिन यह कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगा कि उनकी सफलता की नींव श्रीमती इंदिरा गांधी के कार्यकाल में वाणिज्य और वित्त मंत्रालय, योजना आयोग और भारतीय रिजर्व बैंक में रखी गई।
अब डॉ. मनमोहन सिंह जी के विषय में मैं और क्या कह सकती हूं, जो आप पहले से नहीं जानते, क्योंकि आप उनसे पहले से ही अच्छी तरह परिचित हैं। उनका व्यक्तित्व ऐसा है कि जैसे वो जन्म से ही बुद्धिमान हैं। वह स्वयं ईमानदारी, विनम्रता, सादगी और गंभीरता के प्रतीक हैं तथा एक प्रभावशाली व्यक्तित्व के स्वामी हैं। बड़े-बड़े दावे करना उनके स्वभाव के विपरीत है। बड़ी-बड़ी और खोखली बातें उनका व्यक्तित्व नहीं। वह अपना बड़े-बड़े शब्दों में गुणगान नहीं करते। तथ्यों और इतिहास को तोड़ना-मरोड़ना उनके व्यक्तित्व में शामिल नहीं है। अभद्र और कटु भाषा उनके स्वभाव में नहीं है।
ज्ञानी होने के साथ वो विनम्र भी हैं। लोग इन पर विश्वास करते हैं। प्रधानमंत्री के रुप में उनके एक दशक के कार्यकाल में भारत ने अपनी उच्चतम विकास दर को प्राप्त किया तथा उनके कार्यकाल में अधिकारों पर आधारित ऐसे कानूनों को कार्यांवन किया गया जिससे आर्थिक विकास को एक नया अर्थ और महत्व मिला। डॉ. मनमोहन सिंह एक ऐसे समय में प्रधानमंत्री बने जब देश एक संकट के दौर से गुजर रहा था, इसकी एकजुटता और धर्म निरेपक्ष ताने-बाने पर आघात हो रहा था। उनके प्रधानमंत्री बनने के कुछ ही महीनों के भीतर उनके व्यक्तित्व और उनकी नीतियों के प्रभाव में देश में सबकुछ सामान्य हो गया। देश में एक विश्वास पुन: जागृत हुआ कि उनका नेतृत्व एक ऐसा व्यक्ति कर रहा है जो कि विभाजनकारी राजनीति में विश्वास नहीं रखता और जिसके नेतृत्व में किसी भी समूह अथवा व्यक्ति को असुरक्षित महसूस करने की जरा भी आवश्यकता नहीं है। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने पूरी दुनिया में देश के लिए अभूतपूर्व सम्मान अर्जित किया बगैर झूठा श्रेय या आंडबर के सिर्फ अपने काम की बदौलत।
ये कहने की आवश्यकता नहीं कि डॉ. मनमोहन सिंह “शांति, निरस्त्रीकरण और विकास” के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार के लिए सर्वाधिक योग्य व्यक्ति हैं और मुझे आशा है कि उनका प्रबुद्ध परामर्श और सलाह हम सभी को आने वाले कई वर्षों तक मिलते रहेंगे।
धन्यवाद
जयहिंद।
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