सोनम वांगचुक, अन्य प्रदर्शनकारियों का दिल्ली के लद्दाख भवन में अनिश्चितकालीन अनशन जारी, जानें क्या है मांग

वांगचुक, लद्दाख के लोगों के साथ लद्दाख भवन के गेट के पास बैठे हैं। उनका समूह कुछ गद्दों पर बैठा है, जिनका उपयोग वे सोने के लिए भी कर रहे हैं, उनके बगल में एक राष्ट्रीय ध्वज रखा हुआ है।

सोनम वांगचुक लद्दाख भवन में अनशन पर बैठे, जंतर-मंतर पर प्रदर्शन की नहीं मिली अनुमति
सोनम वांगचुक लद्दाख भवन में अनशन पर बैठे, जंतर-मंतर पर प्रदर्शन की नहीं मिली अनुमति
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पीटीआई (भाषा)

जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने मंगलवार को अपने समर्थकों के साथ दिल्ली के लद्दाख भवन में अपना अनिश्चितकालीन अनशन जारी रखा। लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने के लिए आंदोलन का नेतृत्व कर रहे वांगचुक ने रविवार दोपहर को अपना अनशन शुरू किया था। प्रदर्शनकारियों के अनुसार, अभी तक किसी भी सरकारी प्रतिनिधि ने उनसे संपर्क नहीं किया है।

वांगचुक के साथ अनशन पर बैठे कार्यकर्ताओं में से एक मेहदी ने कहा कि मंगलवार सुबह प्रदर्शनकारियों की मेडिकल जांच की गई और उनमें से कई का रक्तचाप कम पाया गया।

मेहदी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हम यहां 40 डिग्री सेल्सियस तापमान में बैठे हैं...यह तीसरा दिन है, हम यहां खुले में सो रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यहां बुजुर्ग लोग भी बैठे हैं, कुछ को मधुमेह, रक्तचाप की समस्या है। लेकिन जब तक हमारी मांग पूरी नहीं हो जाती, हम यहां से नहीं जाएंगे।’’


अनशन में शामिल लियाकत ने कहा कि लद्दाख के लोगों को उनसे मिलने के लिए अंदर नहीं आने दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘लद्दाख के लोगों को लद्दाख भवन के अंदर आने की अनुमति नहीं दी जा रही है। आज सुबह कुछ छात्र सोनम वांगचुक से मिलने आए थे, लेकिन उन्हें अंदर नहीं आने दिया गया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत दुखद है कि लोकतंत्र में ऐसा हो रहा है, हमें अपना दर्द व्यक्त करने की अनुमति नहीं है।’’

वांगचुक, लद्दाख के लोगों के साथ लद्दाख भवन के गेट के पास बैठे हैं। उनका समूह कुछ गद्दों पर बैठा है, जिनका उपयोग वे सोने के लिए भी कर रहे हैं, उनके बगल में एक राष्ट्रीय ध्वज रखा हुआ है।

प्रदर्शनकारी रविवार से अनशन पर बैठे हैं। वांगचुक और उनके समर्थक अपनी मांग को लेकर लेह से दिल्ली आए हैं। 30 सितंबर को उन्हें राजधानी के सिंघू बॉर्डर पर हिरासत में ले लिया गया था। दिल्ली चलो पदयात्रा का नेतृत्व लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) कर रही है। प्रदर्शनकारियों को दो अक्टूबर की रात को दिल्ली पुलिस ने रिहा कर दिया था।


वांगचुक ने इससे पहले ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा था कि रिहा होने के बाद भी उन्हें लद्दाख भवन में ‘‘एक तरह से नजरबंद’’’ रखा गया और उन्होंने वहीं बैठने का निर्णय किया, क्योंकि उन्हें जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी गई।

समूह लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने के मुद्दे पर अपनी चिंताओं से अवगत कराने के लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री से मुलाकात की अनुमति देने की मांग कर रहा है।


संविधान की छठी अनुसूची में पूर्वोत्तर के असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन के लिए प्रावधान शामिल हैं। यह स्वायत्त परिषदों की स्थापना करता है जिनके पास इन क्षेत्रों पर स्वतंत्र रूप से शासन करने के लिए विधायी, न्यायिक, कार्यकारी और वित्तीय शक्तियां हैं।

छठी अनुसूची के तहत लद्दाख को शामिल करने के अलावा, प्रदर्शनकारी राज्य का दर्जा, लद्दाख के लिए लोक सेवा आयोग तथा लेह और कारगिल जिलों के लिए अलग लोकसभा सीटों की मांग कर रहे हैं।

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