मोदी सरकार की कूटनीति फेल, यूएन में मसूद पर प्रस्ताव को फिर रोकेगा चीन

आतंकवादी मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कराने के भारत के प्रयासों को एक बार फिर झटका लगा है। इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र में पेश अमेरिका के प्रस्ताव को चीन ने रोकने का फैसला किया है।

फोटोः फाइल
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आईएएनएस

भारत के कूटनीतिक प्रयासों को झटका देते हुए चीन ने पाकिस्तानी आतंकवादी सरगना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के अमेरिका के प्रस्ताव को फिर से रोकने का फैसला किया है। मसूद अजहर पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) का मुखिया है। चीन के इस कदम से भारतीय सैन्य शिविर पर हमले के मुख्य साजिशकर्ता पर प्रतिबंद्ध लगाने की भारत अमेरिका की कोशिशों पर पानी फिर गया है।

चीन ने पिछले साल अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के भारत के आवेदन को बाधित करते हुए तकनिकी रुप से रोक दिया था। जिसके बाद इस साल जनवरी में अमेरिका ने फ्रांस और ब्रिटेन के समर्थन से अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के लिए नया प्रस्ताव पेश किया था। चीन ने इस मामले को तकनीकी आधार पर पहले अगस्त तक फिर अगले तीन महीनों तक के लिए स्थगित करवा दिया था। यह तकनीकी रोक इस सप्ताह गुरुवार को खत्म हो रही है।

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 1267 समिति को अभी भी मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किए जाने पर आम सहमति बनानी है। हुआ ने भारत-अमेरिका की तरफ इशारा करते हुए कहा, ‘मसूद से संबंधित आवेदन को सूचीबद्ध करने को लेकर कई असहमतियां हैं। चीन ने इसे तकनीकी रूप से रोका है, ताकि इस पर चर्चा के लिए और समय मिल सके। समिति को अभी भी आम सहमति तक पहुंचने में वक्त लगेगा।‘

चीन की ओर से अमेरिकी प्रस्ताव पर 'ना' कहने का अर्थ है कि इस संबंध में अब नया प्रस्ताव लाना पड़ेगा। हालांकि चीन को छोड़कर, 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद के सभी सदस्य अजहर पर प्रतिबंद्ध लगाने के पक्ष में हैं। चीन सुरक्षा परिषद के पांच वीटो धारक देशों की शक्तिशाली जमात में शामिल है और प्रस्ताव पर इसका वोट निर्णायक होता है। हुआ ने कहा, ‘चीन का मानना है कि संयुक्त राष्ट्र को निष्पक्षता और व्यवसायिकता के सिद्धांत का पालन करना चाहिए और ठोस सबूत के आधार पर आम सहमति बनानी चाहिए।‘

अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का मामला भारत और चीन के बीच दुखती रग बन गया है। ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान संयुक्त बयान में चीन अजहर के संगठन को शामिल करने के लिए सहमत हुआ था। लेकिन उसके बाद से चीन ने अपने रुख में बदलाव कर लिया है। इससे भारत की कूटनीति को भारी झटका लगा है। चीन और पाकिस्तान के रिश्ते काफी अच्छे हैं और वह बेहद मजबूती से पाकिस्तान का पक्ष लेता है। जबकि भारत पाकिस्तान पर आतंकवादी संगठनों को पनाह देने का आरोप लगाता है।

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Published: 30 Oct 2017, 9:47 PM