सेबी ने स्वायत्तता पूरी तरह से त्याग दी है, आरोपों को दबा रहा है: TMC ने लगाए गंभीर आरोप

तेरह जून को राज्यसभा में टीएमसी संसदीय दल के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने बोर्ड को पत्र लिखकर पार्टी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल को बुच से मिलने के लिए समय देने की मांग की थी।

सेबी पर टीएमसी ने लगाए गंभीर आरोप
सेबी पर टीएमसी ने लगाए गंभीर आरोप
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पीटीआई (भाषा)

तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य साकेत गोखले ने शुक्रवार को कहा कि पूंजी बाजार नियामक सेबी अपनी अध्यक्ष माधवी पुरी बुच के खिलाफ लगाए गए कई आरोपों के बाद विवादों में है और उसने ‘‘अपनी स्वायत्तता पूरी तरह त्याग दी है।’’

विपक्षी दलों द्वारा सेबी प्रमुख के खिलाफ हमला जारी रखने के बीच तृणमूल कांग्रेस नेता गोखले ने कहा कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से जुड़े किसी भी उल्लंघन, जैसे एग्जिट पोल के जरिये शेयर बाजार में हेरफेर के आरोपों को बोर्ड द्वारा ‘‘दबा दिया जा रहा है।’’

गोखले ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, "सेबी ने अब अपनी स्वायत्तता पूरी तरह त्याग दी है और केवल सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी के आदेश पर काम कर रही है... इसलिए, भाजपा से जुड़े किसी भी उल्लंघन, जैसे कथित शेयर बाजार एग्जिट पोल घोटाले को दबा दिया जाता है।’’

टीएमसी पहली विपक्षी पार्टी थी जिसने लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद एग्जिट पोल के जरिये शेयर बाजार में हेरफेर के आरोपों की जांच की मांग करते हुए सेबी से संपर्क किया था।

तेरह जून को राज्यसभा में टीएमसी संसदीय दल के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने बोर्ड को पत्र लिखकर पार्टी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल को बुच से मिलने के लिए समय देने की मांग की थी।


तृणमूल कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल में सांसद कल्याण बनर्जी, सागरिका घोष और साकेत गोखले, साथ ही शिवसेना सांसद अरविंद सावंत और राकांपा नेता विद्या चव्हाण शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल ने 18 जून को सेबी को एक पत्र सौंपकर शेयर बाजार में हेरफेर के आरोपों की जांच की मांग की थी।

सेबी ने जवाब में लोकसभा और राज्यसभा से सवालों के लिखित जवाब साझा किए थे।

हिंडनबर्ग रिसर्च ने पिछले महीने बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच और उनके पति पर अदाणी से जुड़े विदेशी कोष में हिस्सेदारी होने का आरोप लगाया था। बुच ने इस आरोप का स्पष्ट रूप से खंडन किया था।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद, उच्चतम न्यायालय ने बाजार नियामक सेबी से अपनी जांच पूरी करने और विनियामक खामियों की जांच के लिए एक अलग विशेषज्ञ समिति गठित करने को कहा था। समिति ने अडानी पर कोई प्रतिकूल रिपोर्ट नहीं दी और उच्चतम न्यायालय ने भी कहा कि सेबी द्वारा की जा रही जांच के अलावा किसी अन्य जांच की आवश्यकता नहीं है।

इस बीच, टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा ने बुच के खिलाफ आरोपों की जांच की मांग करते हुए लोकपाल से संपर्क किया है। महुआ ने अपनी शिकायत की ऑनलाइन प्रति और भौतिक प्रति का स्क्रीनशॉट साझा किया।

उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘माधबी पुरी बुच के खिलाफ लोकपाल में मेरी शिकायत इलेक्ट्रॉनिक तरीके से और भौतिक रूप में दाखिल की गई है। लोकपाल को 30 दिन के अंदर इसे प्रारंभिक जांच के लिए सीबीआई/ईडी को भेजना चाहिए और फिर प्राथमिकी दर्ज कर पूरी तरह जांच होनी चाहिए। इसमें शामिल हर एक व्यक्ति को तलब करने और हर कड़ी की जांच की जरूरत है।’’


कांग्रेस ने भी बुच के खिलाफ अनियमितताओं के कई आरोप लगाए हैं। कांग्रेस ने माधबी पुरी बुच पर सेवानिवृत्ति के बाद भी आईसीआईसीआई बैंक से आय होने और वॉकहार्ट एसोसिएट्स से किराया मिलने जैसे आरोप लगाए हैं।

कांग्रेस ने धवल बुच और उनकी दो कंपनियों- भारत में अगोरा एडवाइजरी और सिंगापुर में अगोरा पार्टनर्स की तरफ से दिए गए परामर्श कार्यों को लेकर भी आरोप लगाए हैं। कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि धवल बुच ने महिंद्रा समूह से 4.78 करोड़ रुपये उस समय अर्जित किए जब सेबी नियमों के उल्लंघन को लेकर उस कंपनी के खिलाफ जांच कर रहा थी।

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