समझौता एक्सप्रेस ब्लास्टः आखिरी समय में 14 मार्च तक टला फैसला, असीमानंद है मुख्य आरोपी
पंचकूला की एनआईए कोर्ट ने समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में 14 मार्च तक फैसला टाल दिया है। सोमवार को एक पाकिस्तानी नागरिक द्वारा इस केस में गवाही का आवेदन देने की वजह से कोर्ट ने अपना फैसला टाल दिया। फरवरी 2007 में हुए इस विस्फोट में 68 लोगों की मौत हुई थी।
समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस का फैसला टल गया है। सोमवार को हरियाणा के पंचकूला की एनआईए अदालत ने साल 2007 के इस मामले में अपना फैसला 14 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया। अंतिम समय में एक पाकिस्तानी नागरिक द्वारा केस में गवाही दर्ज कराने के लिए आवेदन दाखिल किए जाने की वजह से कोर्ट को सोमवार को अपना फैसला टालना पड़ा है। अब कोर्ट इस मामले पर 14 मार्च को सुनवाई करेगी।
इससे पहले पिछले बुधवार को इस केस में अंतिम बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए अगली सुनवाई की तारीख 11 मार्च तय किया था। एनआईए की अदालत ने इस मामले में जनवरी 2014 में दक्षिणपंथी नेता स्वामी असीमानंद और तीन अन्य आरोपियों- कमल चौहान, राजिंद्र चौधरी और लोकेश शर्मा के खिलाफ आरोप तय किए थे। आज फैसले के लिए कोर्ट में मुख्य आरोपी असीमानंद, कमल चौहान, लोकेश शर्मा और राजिंदर चौधरी सभी मौजूद थे।
साल 2007 में 18 फरवरी को दिल्ली से लाहौर जाने वाली समझौता एक्सप्रेस में हरियाणा के पानीपत में विस्फोट हुआ था। इस विस्फोट में 68 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें से अधिकतर पाकिस्तानी नागरिक थे। मृतकों में 10 भारतीय और 15 अज्ञात भी थे। इन 68 लोगों में से 64 यात्री थे जबकि अन्य चार रेलवे अधिकारी थे।
मामले की जांच में एटीएस को इस ब्लास्ट में ‘अभिनव भारत’ नाम के संगठन के शामिल होने के संकेत मिले थे। जिसके बाद इस केस को एनआईए को सौंपा दिया गया था। एनआईए ने 26 जून 2011 को पांच लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। चार्जशीट में नाबा कुमार उर्फ स्वामी असीमानंद, सुनील जोशी, रामचंद्र कालसंग्रा, संदीप डांगे और लोकेश शर्मा का नाम था।
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