पुलवामा से काफी पहले श्रीनगर में शहीद हुए थे गोरखपुर के साहब शुक्ला, योगी सरकार ने अब तक पूरे नहीं किए वादे
श्रीनगर में 2017 में आतंकियों की गोली से शहीद हुए गोरखपुर के जवान साहब शुक्ला के परिवार से सीएम योगी और बीजेपी नेताओं ने कई बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन 20 महीने बाद भी आज तक वे पूरे नहीं हुए। ये बताता है कि बीजेपी के नेताओं की कथनी-करनी में कितना अंतर है।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के मझगांवा इलाके के कनइल गांव के रहने वाले सीआरपीएफ जवान साहब शुक्ला पर 25 जून 2017 को श्रीनगर के पंथा चौक पर आंतकियों ने घात लगाकर गोलियों की बारिश कर दी थी, जिसमें उनकी मौत हो गई थी। अपने बहादुर बेटे की शहादत पर इलाके का जर्रा-जर्रा रोया था। परिवार ने तब तक चिता को मुखाग्नि नहीं दी थी, जब तक खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फोन कर खुद शहीद के घर आने का भरोसा नहीं दिया। इसके चंद दिनों बाद योगी शोक संतप्त परिवार को ढांढस बंधाने पहुंचे भी थे और अपनी सरकार की तरफ से 25 लाख रुपये की मदद करने का वादा किया।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री से लेकर स्थानीय सांसद और कई विधायकों ने गांव में राजकीय स्कूल, पार्क, शहीद की प्रतिमा की स्थापना, शहीद के परिवार को शहर में आवास के लिए एक भूखंड के अलावा एक बेटे को सरकारी नौकरी और गैलेंट्री अवार्ड की सिफारिश करने जैसे तमाम वादे भी किए थे। लेकिन आज तक शहीद परिवार को कुछ नहीं मिला।
शहीद जवान साहब शुक्ला की विधवा सुभा शुक्ला बताती हैं कि मुख्यमंत्री ने खुद मुझसे एक बेटे को नौकरी देने की बात कही थी, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। सीआरपीएफ की तरफ से बेटे को नौकरी की औपचारिकता 20 महीने बाद भी पूरी नहीं हो सकी है। वह कहती हैं, “रखा हुआ धन कितने दिन चलेगा। चार बेटे हैं। दो पढ़ाई पूरी कर प्राइवेट नौकरी कर रहे हैं। दो बेटे अभी पढ़ाई कर रहे हैं। चार बेटों का खर्च उठाना पड़ रहा है।”
विधवा सुभा कहती हैं कि नौकरी के वादे को लेकर मुख्यमंत्री से गुहार करने एक बार गोरखनाथ मंदिर भी गईं। लंबे इंतजार के बाद किसी तरह मुलाकात हुई तो सीएम योगी ने कहा कि उन्हें नौकरी की बात याद है और देखेंगे। लेकिन उसके बाद से कुछ नहीं हुआ। सुभा कहती हैं, “लखनऊ में सिपाही द्वारा एक युवक की हत्या के मामले में पत्नी को नौकरी मिल सकती है तो शहीद के परिवार के परिवार के एक सदस्य को क्यों नहीं? क्या सरकार तभी नौकरी देगी जब शहीद की पत्नी भी सड़क पर बिलखेगी?”
शहीद के बड़े बेटे सौरभ बताते हैं कि सांसद कमलेश पासवान और उनके विधायक भाई विमलेश पासवान ने पिता जी की प्रतिमा लगवाने का वादा किया था, लेकिन वे वादे भूल गए। सुभा कहती हैं कि गांव में राजकीय विद्यालय बन रहा है, लेकिन वह आबादी से दूर है। बच्चों का पहुंचना भी मुश्किल होगा।
आंखों में आंसू लिए उन्होंने कहा, “पुलवामा के शहीद परिवारों को सरकार द्वारा आश्वासन मिलता देख दुख हो रहा है। 10 दिनों में ही सरकार, रिश्तेदार, गांव वाले शहीद के परिवार को उसके हाल पर छोड़ देते हैं।” वह कहती हैं कि जवान की मौत पर सरकारें सिर्फ झूठे आंसू बहाती हैं। पांच दिन बाद परिवार को खुद ही संघर्ष करना होता है।
(नवजीवन के लिए गोरखपुर से पूर्णिमा श्रीवास्तव की रिपोर्ट)
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