राहुल गांधी की सधी रणनीति ने बीजेपी के किलों को किया ध्वस्त, एक साल पहले आज ही के दिन बने थे कांग्रेस अध्यक्ष
ठीक एक साल पहले आज ही के दिन राहुल गांधी को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष चुना गया था। ठीक एक साल बाद उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने देश में बीजेपी के तीन मजबूत किलों को ध्वस्त कर दिया है।
देश के पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे आने शुरू हो गए हैं। शुरुआती नतीजों में बेहद अहम मान जाने वाल तीन राज्यों में कांग्रेस सरकार बनाने की स्पष्ट स्थिति में है। ये तीनों राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ हैं, जो अब तक बीजेपी का मजबूत किला माने जाते हैं। कांग्रेस ने अपने शानदार प्रदर्शन से इन तीनों राज्यों में बीजेपी के खूंटे को उखाड़ फेंका है और इसका श्रेय कांग्रेस पार्टी में अगर किसी को जाता है, तो वह सिर्फ पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी हैं। ये राहुल गांधी की हर राज्य के लिए अलग और सधी हुई रणनीति ही थी जिसने आज लोकसभा चुनावों के सेमीफाइनल में बीजेपी को धूल चटा दी है।
खास बात ये है कि राहुल गांधी ने ठीक एक साल पहले आज ही के दिन कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाला था। बीते साल 11 दिसंबर को ही कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को पार्टी का नया अध्यक्ष चुना गया था। राहुल गांधी ने 4 दिसंबर को अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया था। उनके पक्ष में 86 लोगों ने प्रस्ताव दिया था। अध्यक्ष पद के लिए किसी दूसरे उम्मीदवार के नामांकन नहीं दाखिल करने की वजह से पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति के अध्यक्ष एम रामचंद्रन ने 11 दिसंबर को राहुल गांधी के निर्विरोध पार्टी अध्यक्ष चुने जाने की घोषणा कर दी थी।
और आज ठीक एक साल बाद राहुल गांधी ने मजबूती से मोदी लहर को चुनौती दे दी है। राहुल गांधी की सधी रणनीति, कुशल नेतृत्व क्षमता, आगे बढ़कर जिम्मेदारी लेने के हौसले ने आज कांग्रेस पार्टी को इस मुकाम पर पहुंचाया है। हालांकि अध्यक्ष बनने के फौरन बाद गुजरात में राहुल गांधी को वैसी कामयाबी नहीं मिली थी। लेकिन वहीं से उन्होंने बीजेपी की नींद उड़ाना शुरू कर दिया था। 2014 के बाद ऐसा पहली बार महससू किया गया कि बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस फिर खड़ी हो सकती है। राजनीतिक विश्लेषकों ने भी मानना शुरू कर दिया था कि गुजरात चुनाव से राहुल गांधी बतौर नेता उभरकर आए हैं।
गुजरात के बाद राहुल गांधी लगतार निखरते गए और उनकी नेतृत्व की धार और तेज होती गई। उसके बाद कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस के सबसे बड़ा दल होने के बावजूद उन्होंने जेडीएस को राज्य का नेतृत्व देकर सबको चौंका दिया और अन्य विपक्षी दलों के बीच सबसे बड़े राष्ट्रीय नेता की अपनी छवि को मजबूत किया। इसके बाद राहुल गांधी ने किसानों की बदहाली, राफेल डील, नोटबंदी, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर सीधे पीएम नरेंद्र मोदी को घेरना शुरू कर दिया। यही नहीं इसके साथ ही उन्होंने देश में कथित मोदी लहर के बीच कांग्रेस पार्टी की कार्यप्रणाली में भी बदलाव लाने की शुरुआत की। अपने चुनाव अभियान के दौरान भी उन्होंने सीधे जनता के मुद्दों को प्रमुखता देते हुए पार्टी के लोगों को भी अनुशासन में रहने और आचरण में बदलाव लाने की नसीहत दी।
और अब जब देश आगामी लोकसभा चुनाव के मुहाने पर खड़ा है, ऐसे में देश के तीन बड़े हिंदी पट्टी के राज्यों में बीजेपी के किले को हिलाकर राहुल गांधी ने साबित कर दिया है कि आने वाले दिनों में कम से कम बीजेपी के लिए तो अच्छे दिन नहीं आने वाले हैं।
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