लोकसभा में सीएजी की रिपोर्ट पर रार, कांग्रेस ने दिया स्थगन प्रस्ताव
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी शुरुआत से ही पीएम मोदी पर डील में दलाली करने का आरोप लगा रहे हैं। राहुल गांधी का कहना है कि राफेल डील में चौकीदार ने चोरी की है, जबकि मोदी सरकार इस डील को हमेशा से पाक साफ बताती रही है।
राफेल पर रण जारी है। हर नए खुलासे के साथ मोदी सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है। बुधवार को संसद के बजट सत्र का आखिरी दिन है, ऐसे में मोदी सरकार आज लोकसभा में राफेल विमान सौदे पर कैग (सीएजी) रिपोर्टर पेश कर सकती है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी शुरुआत से ही पीएम मोदी पर डील में दलाली करने का आरोप लगा रहे हैं। राहुल गांधी का कहना है कि राफेल डील में चौकीदार ने चोरी की है, जबकि मोदी सरकार इस डील को हमेशा से पाक साफ बताती रही है। लेकिन हाल में हुए खुलासों से उनके दावे दागदार साबित हो रह हैं।
कांग्रेस ने इस मामले पर संसद में स्थगन प्रस्ताव दिया है। कांग्रेस कैग की रिपोर्टर को पहले ही नकार चुकी है। सदन में कैग रिपोर्ट पेश होने से पहले लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि आज हमें ये पता चलेगा कि रिपोर्ट में क्या है। लेकिन सरकार ने सील्ड कवर में जो जानकारी पहले ही सुप्रीम कोर्ट के सामने रख चुकी है उससे सबकुछ साफ है। सील्ड कवर में जो रिपोर्ट पेश की गई थी उसमें कहा गया था कीमतों को लेकर किसी तरह का स्कैम नहीं है। ऐसे में इस रिपोर्टर को सदन में पेश करने का कोई मतलब नहीं है। कांग्रेस का कहना है कि सीएजी प्रमुख राजीव महर्षि जो डील के समय फाइनेंस सेक्रेटरी के पर थे। वो सरकार को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
बताया जा रहा है की कैग की इस रिपोर्टर में राफेल विमान की कीमत की जानकारी नही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी कैग की रिपोर्टर पर मोदी सरकार को घेरा है। उन्होंने इसे ‘चौकीदार ऑडिटर जनरल’ रिपोर्टर करार दिया है।
क्या है सीएजी की इस रिपोर्ट में?
कैग की इस रिपोर्टर में भारतीय एयर फोर्स की कई डील के बारे में जानकारी साझा की गई है। इसमें राफेल डील भी एक हिस्सा है। कैग की इस रिपोर्टर में राफेल विमान की कीमतों के बारे में कुछ भी नहीं बताया गया है। दामों का खुलासा न करना भी विवाद की वजह है। विपक्ष इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से सवाल कर रहा है।
राहुल गांधी लगातार राफेल डील का मुद्दा उठा रहे हैं। राहुल का कहना है कि प्रधानमंत्री ने राफेल सौदे में रक्षा मंत्रालय की आपत्तियों के बावजूद डील को किया और अनिल अंबानी को सीधे तौर पर 30 हजार करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाया।
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