2जी फैसला: आवंटन में सरकारी खजाने को हुए काल्पनिक नुकसान का दावा करने वाले पूर्व सीएजी विनोद राय की मंशा पर उठे सवाल
<p>2जी केस में दिल्ली के पटियाला हाउस की स्पेशल कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। फैसला आने के बाद पूर्व सीएजी विनोद राय की 2जी रिपोर्ट और उनकी मंशा पर सवाल उठ रहे हैं।</p>
2जी केस में दिल्ली के पटियाला हाउस की स्पेशल कोर्ट ने ए राजा और कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। फैसला आने के बाद कई कांग्रेस नेताओं ने पूर्व सीएजी विनोद राय पर सवाल उठाया है। कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने विनोद राय पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी फर्जी रिपोर्ट के आधार पर 2जी केस को आगे बढ़ाया गया था और अब कोर्ट का फैसला आने के बाद अब उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए। इस पूरे प्रकरण में एक बार फिर पूर्व सीएजी विनोद राय चर्चा में है।
पूर्व सीएजी विनोद राय ने 2जी मामले में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन और बिना नीलामी के कोल ब्लॉक आवंटन में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बराबर के भागीदार थे। उन्हें इन घोटालों के बारे में सब पता था, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कुछ नहीं बोला। अगर वह चाहते तो तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा को 2जी स्पेक्ट्रम के आवंटन से रोक सकते थे। विनोद राय ने कहा था कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह पर गठबंधन की राजनीति का दबाव था और उनकी रुचि सिर्फ सत्ता में बने रहने की थी।
अब उन्हीं विनोद राय के बारे में कहा जा रहा है कि 2जी में सरकारी खजाने को हुए काल्पनिक नुकसान का उनका आकलन पूर्वाग्रह से ग्रसित था और इसने न सिर्फ यूपीए सरकार की साख घटाई, बल्कि टेलीकॉम क्षेत्र को भी जबरदस्त धक्का दिया।
विनोद राय 7 जनवरी 2008 से लेकर 22 मई 2013 तक भारत के सीएजी थे। 2010 में यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान विनोद राय ने 2जी घोटाले को लेकर अपनी एक रिपोर्ट जारी की थी और 2008 में किए गए स्पेक्ट्रम आवंटन पर सवाल खड़े किए थे।
1972 बैच के केरल कैडर के आईएएस अधिकारी विनोद राय ने थ्रिसूर जिले में सब-कलेक्टर के तौर पर अपने करियर की शुरूआत की थी और उसके बाद से वे केरल के मुख्य सचिव (वित्त) के अलावा कई अहम पदों पर कार्य कर चुके हैं।
2014 में एनडीए सरकार बनने के बाद फरवरी 2016 में विनोद राय को बैंक बोर्ड ब्यूरो का चेयरमैन भी बनाया गया। ये संस्था पब्लिक सेक्टर्स के बैंकों में वरिष्ठ पदों पर नियुक्तियों को लेकर सरकार को अपनी राय देती है। विनोद राय को मार्च 2016 में पद्म भूषण अवॉर्ड से भी नवाजा गया। जनवरी 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बीसीसीआई प्रशासक बना दिया।
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