केंद्र के इस फैसले के खिलाफ पंजाब के किसान संगठन अमरिंदर सरकार के साथ, अकेली पड़ी बादल की अकाली दल

पंजाब में नरेंद्र मोदी सरकार के तीन कृषि अध्यादेशों (2020) का पुरजोर विरोध जारी है। अब ऑर्डिनेंस के खिलाफ लगभग तमाम किसान संगठन और राज्य सरकार एक साथ हैं। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विभिन्न किसान संगठनों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लंबी बैठक की।

फोटो: सोशल मीडिया
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अमरीक

पंजाब में नरेंद्र मोदी सरकार के तीन कृषि अध्यादेशों (2020) का पुरजोर विरोध जारी है। अब ऑर्डिनेंस के खिलाफ लगभग तमाम किसान संगठन और राज्य सरकार एक साथ हैं। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विभिन्न किसान संगठनों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लंबी बैठक की। इस महत्वपूर्ण बैठक में केंद्र के कृषि अध्यादेशों और प्रस्तावित बिजली अध्यादेश के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया। बैठक में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र की जबरदस्त नुक्ताचीनी की और किसान नेताओं ने अध्यादेशों को किसानों का हत्यारा करार देते हुए देश के संघीय ढांचे पर हमला बताया। सभी ने एक सुर में इन्हें वापस लेने की मांग की।

किसान संगठनों ने कृषि अध्यादेशों पर दोहरा रवैया अपनाने के लिए बीजेपी के साझीदार शिरोमणि अकाली दल की आलोचना की और कहा कि अगर अकाली दल किसान हितैषी है तो हरसिमरत कौर बादल को फौरन केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देना चाहिए। किसान नेताओं ने कहा कि अकालियों ने सियासी स्वार्थ के लिए राज्य और किसानों के हितों को मोदी सरकार के पास गिरवी रख दिया है।

मुख्यमंत्री ने किसान प्रतिनिधियों की इस मांग को स्वीकार किया कि अध्यादेशों के खिलाफ प्रस्ताव पास करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाए। पंजाब में यह मुद्दत बाद है कि किसी मुख्यमंत्री ने इस मानिंद तमाम किसान संगठनों से लंबी बैठक की हो और किसान संगठनों ने किसी मुद्दे पर सूबा सरकार का पूर्ण समर्थन किया हो। भारतीय किसान यूनियन (मान ग्रुप), भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल), किसान मजदूर संघर्ष कमेटी, भारतीय किसान यूनियन (लक्खोवाल), भारतीय किसान यूनियन (डकौंदा), भारतीय किसान यूनियन (एकता-उगरहां), लोकतांत्रिक किसान सभा, भारतीय किसान यूनियन (सिद्धपुर), ऑल इंडिया किसान सभा, भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी), इंकलाबी किसान यूनियन, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ बैठक में शिरकत की।

पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील कुमार जाखड़ और राज्य के कई वरिष्ठ मंत्री भी बैठक में उपस्थित थे। पिछले हफ्ते कृषि अध्यादेशों के खिलाफ मुख्यमंत्री ने (राजनीतिक दलों की) सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। किसान संगठनों की बैठक में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि राजनैतिक विभिन्नताओं के बावजूद एकजुट होना चाहिए और वह किसान हितों की हिफाजत के लिए कोई भी कदम उठाने को तैयार हैं। केंद्र के कृषि अध्यादेशों से पंजाब मंडी बोर्ड और ग्रामीण विकास बोर्ड को सालाना 3900 करोड़ के नुकसान के अलावा अनाज भंडार में आत्मनिर्भरता तबाह हो जाएगी। अकालियों पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वह अकालियों के बगैर ही किसान संगठनों को साथ लेकर केंद्रीय ऑर्डिनेंस का विरोध करेंगे और इस संबंंध में अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियोंं से भी बात करेंगे।


बैठक में भारतीय किसान यूनियन (मान ग्रुप) के राष्ट्रीय प्रधान भूपेंद्र सिंह मान ने कहा कि उनका संगठन इन अध्यादेशों के खिलाफ लड़ाई में राज्य सरकार के साथ है। मुख्यमंत्री ने मान की इस अपील को माना कि वह ऑर्डिनेंस के खिलाफ किसान धरनों में शिरकत करेंगे। किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के प्रधान सतनाम सिंह पन्नू ने आध्यादेशों को बड़े व्यापारियों और बीजेपी के मित्र कॉरपोरेट घरानों की हित-पूर्ति करार दिया। भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के अध्यक्ष बलबीर सिंह ने कहा कि कृषि अध्यादेश पूरी तैयारी के बाद लाए गए हैं। शांता कुमार कमेटी के गठन के बाद से ही इन पर काम शुरू हो गया था। नरेंद्र मोदी सरकार की नीयत और नीति शुरू से ही किसान विरोधी है। भारतीय किसान यूनियन (लक्खोवाल) के महासचिव हरिंदर सिंह लक्खोवाल ने कहा कि बीजेपी स्वामीनाथन कमेटी रिपोर्ट लागू करने के अपने वायदे से मुकर गई है। केंद्र की खरीद प्रक्रिया और न्यूनतम समर्थन मूल्य व्यवस्था जारी रखने की बात पर रत्ती भर भी भरोसा नहींं किया जा सकता।

भारतीय किसान यूनियन (डकौंदा) के जगमोहन सिंह ने अध्यादेशों को केंद्र सरकार द्वार तिहरा कत्ल करार देते हुए कहा कि शिरोमणि अकाली दल ने भी अपने राजनीतिक हितोंं की पूर्ति के लिए अपने संघीय ढांचे के एजेंडे का बलिदान दे दिया है। भारतीय किसान यूनियन ( एकता-उगराहां) के प्रधान जोगिंदर सिंह उगराहां बोले कि अकालियों ने कॉरपोरेट घरानों को सब कुछ बेचने के लिए बीजेपी के साथ हाथ मिलाया था। भारतीय किसान यूनियन (सिद्धपुर) के उपाध्यक्ष मेहर सिंह ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को आगे रहकर लड़ाई जारी रखनेे की अपील की और भरोसा दिलाया कि किसान संगठन उनका पूरा साथ देंगे। भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी) के प्रधान सुरजीत सिंह फूल ने बिजली ऑर्डिनेंस के जरिए राज्यों की शक्तियां छीनने और निजी बिजली उत्पादकों को लाभ पहुंचाने की कोशिश करने के लिए केंद्र सरकार पर निशाना साधा।

किसान संगठनोंं के नेताओं ने राज्य सरकार से कहा कि इन अध्यादेशों को अदालत में चुनौती दी जाए। प्रदेश कांग्रेस प्रधान सुनील कुमार जाखड़ ने भी इस पर अपनी सहमति जताई। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह इस पेशकश की समीक्षा करेंगे। इससे पहले सुनील कुमार जाखड़ ने कहा कि ऑर्डिनेंस के रूप में नरेंद्र मोदी सरकार ने देश को आत्मनिर्भर बनाने वाले पंजाब को सजा दी है। एसवाईएल नहर के निर्माण के मुद्दे पर कैप्टन की भूमिका को याद करते हुए उन्होंने कहा कि किसान एक बार फिर मुख्यमंत्री की तरफ देख रहे हैं कि वह उनके हितों के लिए आगेे होकर लड़ेंगे। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की किसान संगठनों से कामयाब बैठक और लगभग तमाम प्रमुख किसान संगठनों की ओर से कृषि तथा बिजली अध्यादेशों के खिलाफ उनकी हिमायत के फैसले के बाद शिरोमणि अकाली दल के भीतर खलबली का आलम है। सूत्रों के मुताबिक किसान संगठनों पर दल की ओर से लगातार और अंतिम क्षणों तक दबाव बनाया जाता रहा कि वे बैठक में शिरकत न करें।

शिरोमणि अकाली दल के (सुखबीर सिंह बादल की नीतियों से) नाराज एक वरिष्ठ नेता ने 'नवजीवन' से नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि, "किसानोंं के बीच हमारी सियासी जमीन दरक रही है। जो काम आज प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर सिंह बादल को आगे आकर करना चाहिए, वह कैप्टन अमरिंदर सिंह कर रहे हैं।" बहरहाल, किसान संगठनों के पंजाब सरकार के साथ आने केे बाद बीजेपी भी खासी बेचैन है। खासतौर पर इसलिए भी कि किसान संगठनों का ऐसा खुला और जबरदस्त समर्थन अकाली-बीजेपी गठबंधन सरकार को किसी कार्यकाल में नहीं मिला, जितना और जैसा मौजूदा सरकार को मिला है।

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