CAA-NRC के खिलाफ बेंगलुरु-चेन्नई में प्रदर्शन, हजारों की तादाद में सड़क पर उतरे लोग, देखें तस्वीरें और वीडियो

चेन्नई और बेंगलुरु में एनआरसी और नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन हो रहा है। हजारों की संख्या में लोग इस कानून का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतरे हुए हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

बेंगलुरु में एनआरसी और नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है। हजारों की तादाद में लोग सड़क पर उतरे हैं। ताजा तस्वीरों और वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि सड़कों पर इस कानून के खिलाफ जनसैलाब उमड़ पड़ा है। प्रदर्शनकारी शांतिपूर्वक नागरिकता कानून और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

दूसरी ओर चेन्नई में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ डीएमके और उसके सहयोगियों ने रैली निकाली और इस कानून को वापस लेने की मांग की। डीएमके अध्यक्ष एम के स्टालिन, कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम, एमडीएमके चीफ वाइको और वाम दलों की प्रदेश इकाई के नेताओं ने एगमोर से राजरथिनम स्टेडियम तक की दो किमी की मार्च की। मार्च के दौरान स्टालिन, चिदंबरम और अन्य दिग्गज नेताओं ने हाथों में तख्तियां ले रखी थीं।


इस दौरान डीएमके और सहयोगी दलों के कार्यकर्ताओं नागरिकता कानून के खिलाफ नारे लगा रहे थे। पुलिस ने बताया है कि रैली को देखते हुए व्यापक सुरक्षा इंतज़ाम किए गए हैं, ड्रोन से निगरानी और 5,000 पुलिसकर्मियों को सुरक्षा ड्यूटी में तैनात किया गया।

इस रैली से पहले पुलिस ने रैली के लिए अनुमति देने से इनकार कर दिया था। वहीं मद्रास हाई कोर्ट ने रैली के खिलाफ जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान रविवार देर रात रैली को रोकने से इनकार कर दिया। तमिलनाडु सरकार के वकील ने कोर्ट को सूचित किया कि पुलिस ने रैली की अनुमति नहीं दी है क्योंकि आयोजकों ने संपत्ति को कोई नुकसान होने या किसी प्रकार की हिंसा होने की स्थिति में जिम्मेदारी लेने को लेकर कोई प्रतिबद्धता नहीं दिखाई।


इस पर जस्टिस एस वैद्यनाथन और जस्टिस पीटी आशा की पीठ ने रैली रोकने से इनकार कर दिया और कहा कि लोकतांत्रिक देश में शांतिपूर्ण प्रदर्शन को रोका नहीं जा सकता क्योंकि यह लोकतांत्रिक ताने-बाने का आधार है। बता दें कि याचिकाकर्ताओं आर वराकी और आर कृष्णमूर्ति ने रैली आयोजित करने से डीएमके को रोकने का अनुरोध करते हुए दावा किया था कि इस प्रकार के ‘अवैध’ प्रदर्शनों से लोगों का जीवन प्रभावित होगा।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने रैली पर रोक से इनकार करते हुए कहा कि इस पूरी रैली को ड्रोन का उपयोग करके दर्ज किया जाना चाहिए और साथ ही कानून-व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए। बता दें कि 18 दिसंबर को स्टालिन की अध्यक्षता में सभी पार्टी की बैठक में यह कहा गया था कि नागरिकता कानून को रद्द कर दिया जाना चाहिए। साथ ही यह निर्णय लिया गया था कि 23 दिसंबर यानी आज इस कानून के खिलाफ रैली निकालेंगे।


बता दें कि बीते दिनों नागरिकता कानून के विरोध में देश भर में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए। सबसे ज्यादा असर यूपी और दिल्ली में देखने को मिला। उत्तर प्रदेश में तो कई दिनों तक हिंसक प्रदर्शन हुए। हिंसा में करीब 18 लोगों की मौत हो गई है। करीब 15 जिलों में इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया गया था। वहीं दिल्ली में कई इलाकों में हिंसक प्रदर्शन हुए।

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Published: 23 Dec 2019, 2:59 PM