हरियाणा: बजट सत्र के पहले दिन जोरदार हंगामा, कार्यवाही सोमवार तक स्थगित, 10 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव
हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन ही सड़क से लेकर सदन तक किसानों के मसले पर विपक्ष ने सरकार को जमकर घेरा, जिस पर सत्ता पक्ष बचकर निकलने के रास्ते ढूंढता नजर आया।
हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन ही सड़क से लेकर सदन तक किसानों के मसले पर विपक्ष ने सरकार को जमकर घेरा, जिस पर सत्ता पक्ष बचकर निकलने के रास्ते ढूंढता नजर आया। सबसे पहले कांग्रेस विधायकों ने सदन की कार्यवाही आरंभ होने से पहले विधानसभा के बाहर एमएसपी को कानूनी गारंटी देने और तीनों कृषि कानून वापस लेने की मांग करते हुए मार्च किया। फिर सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही किसानों के मसले पर लाए गए प्राईवेट मेंबर बिल को रिजेक्ट करने पर सरकार पर हमला बोला। साथ ही कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करना चाहा, जिस पर 10 मार्च का दिन नियत हुआ। भारी हंगामे के चलते अंतत: विधानसभा की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
किसान आंदोलन के बीच हरियाणा सरकार को पहले ही अंदाजा था कि विपक्ष के मुश्किल सवालों का उसे सामना करना होगा। हुआ भी वही। विधानसभा की कार्यवाही आरंभ होने के पहले कांग्रेस के विधायकों ने हाईकोर्ट चौक से विधानसभा तक किसान विरोधी कानून वापस लो, एमएसपी की गारंटी का कानून दो के नारों के साथ मार्च निकाला। फिर सदन में कांग्रेस के विधायक किसानों के प्रति सरकार के रवैये के खिलाफ काली पट्टी बांधकर पहुंचे।
नेता विरोधी दल भूपिंदर सिंह हुड्डा ने आंदोलन में शहीद हुए हरियाणा के किसानों के नाम सदन के पटल पर रखे। दोपहर बाद दो बजे गवर्नर एड्रेस के आधा घंटे बाद सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही नेता विरोधी दल ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने की स्पीकर से इजाजत मांगी। इस पर स्पीकर ने कहा कि बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में अविश्वास प्रस्ताव के लिए 10 मार्च का दिन तय हो गया है। इसके बाद एमएसपी से कम खरीद पर सजा के प्रावधान समेत कई मांगों के साथ एपीएमसी एक्ट में संशोधन के लिए हुड्डा और कांग्रेस विधायकों की ओर से लाए गए प्राइवेट मेंबर बिल को रिजेक्ट कर देने के खिलाफ सदन स्थगित होने तक जमकर हंगामा होता रहा।
कांग्रेस के विधायक पूरी तैयारी के साथ आए थे। रोहतक से विधायक बीबी बत्रा ने कहा कि नियम-122 में प्राइवेट मेंबर बिल की प्रक्रिया दी हुई है। कृषि राज्य का विषय है। सरकार इस तरह से इसे रद्द कर ही नहीं सकती। किस कानून में है कि मामला यदि सुप्रीम कोर्ट में है तो प्राइवेट मेंबर बिल नहीं ला सकते। सुप्रीम कोर्ट का कौन सा डायरेक्शन है कि हम विधानसभा में बिल नहीं ला सकते हैं। बत्रा ने कहा कि इस पर कानून विभाग की राय तक नहीं ली गई। महज कृषि विभाग की सलाह पर रिजेक्ट कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने जब कृषि कानूनों को स्टे कर दिया है तब तो यह एप्लीकेबल ही नहीं है। फिर हमें बिल लाने में कहां समस्या है। सरकार जब कोई भी तर्क मानने के लिए तैयार नहीं हुई तो बत्रा ने कहा कि हमें पता है कि आपको इसे रिजेक्ट करना ही है।
भूपिंदर सिंह हुड्डा ने खड़े होकर कहा कि यह राज्य का विषय है। हम बिल ला सकते हैं। हम यह व्यवस्था करना चाहते हैं कि जो भी किसानों की फसल एमएसपी से कम पर खरीदे उसे सजा का प्रावधान हो। सरकार बहुमत के बल पर हमारे साथ ज्यादती कर रही है। हुड्डा ने स्पीकर से कहा कि आपकी बात में कोई तर्क नहीं है। इस बीच मुख्यमंत्री भी सरकार का बचाव करने के लिए खड़े हुए और कहते नजर आए कि इस प्राइवेट मेंबर बिल का लक्ष्य और उद्देश्य ठीक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों पर स्टे दे रखा है। तोशाम से विधायक किरण चौधरी ने भी तर्क रखे कि कृषि स्टेट सब्जेक्ट है। हम इस पर संशोधन ला सकते हैं। कानून बना सकते हैं। स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता तर्क देते रहे कि तीनों कृषि कानूनों का मामला न्यायालय में है। पार्लियामेंट में बनाए गए एक्ट में हम विस में चर्चा नहीं कर सकते। गोहाना से विधायक जगबीर मलिक ने कहा कि गलती ठीक कर लो। हम किसी केंद्रीय कानून में संशोधन नहीं करना चाहते हैं। हम राज्य के किसानों के भले के लिए संशोधन करना चाहते हैं। विपक्ष के विधायकों के प्राइवेट मेंबर बिल के पक्ष में तर्कों और भारी हंगामे के बीच अंतत: विस की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
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