टेलीकॉम कंपनियों से प्रियंका गांधी की अपील, संकट में फंसे मजदूरों के लिए फ्री करें मोबाइल सेवा
कोरोना वायरस को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के कारण देश भर में पलायन कर रहे लाखों मजदूरों की परेशानी को देखते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने टेलीकॉम कंपनियों के मालिकों को पत्र लिखकर एक महीने के लिए मोबाइल पर बातचीत की सुविधा फ्री देने की अपील की है।
देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से संकट में फंसे लाखों मजदूरों की परेशानी को देखते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने टेलीकॉम कंपनियों को पत्र लिखा है। प्रियंका गांधी ने कोरोना संकट की वजह से पूरे देश में लाखों की तादाद में पलायन कर रहे लोगों की पीड़ा का जिक्र करते हुए टेलीकॉम कंपनियों से मोबाइल सेवा फ्री करने की अपील की है।
अपने पत्र में प्रियंका गांधी ने लिखा है कि “मैं आपको देश भर में पलायन कर रहे लाखों मजदूरों के संदर्भ में मानवता का आधार पर यह पत्र लिख रही हूं, जो भूख, प्यास और बीमारियों से जूझते हुए अपने परिवार और घर तक पहुंचने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। संकट की इस घड़ी में अपने देशवासियों की मदद करना हमारी राष्ट्रीय ज़िम्मेदारी है।”
टेलीकॉम कंपनियों से मोबाइल सेवा फ्री करने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि “मैं आपसे अनुरोध करती हूं कि आप अपनी मोबाइल सेवा में इनकमिंग और आउटगोइंग सेवा को अगले एक महीने के लिए निःशुल्क कर दें ताकि लाखों मर्द, औरत और बच्चे जो संभवतः अपनी ज़िंदगी के सबसे मुश्किल सफर पर हैं, उन्हें अपने परिजनों से बात करने में कुछ सहूलियत मिल सके।”
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने यह पत्र रिलायंस जियो के मालिक मुकेश अंबानी, वोडाफोन और आइडिया के मालिक कुमार मंगलम बिरला, बीएसएनएल के प्रमुख पीके पुरवार, एयरटेल के मालिक सुनील भारती मित्तल को लिखा है। पत्र में सभी से विशेष तौर पर प्रवासी मजदूरों के लिए एक महीने तक इनकमिंग-आउटगोइंग सेवा की सुविधा मुफ्त देने का आग्रह किया है।
गौरतलब है कि कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए मोदी सरकार ने पूरे देश को लॉकडाउन कर दिया है। ऐसे में पूरे देश में सभी फैक्ट्रियों समेत तमाम तरह के मजदूरी के काम बंद हो गए हैं। ऐसे में पूरे देश में दूसरे राज्यों से जाकर काम करने वाले मजदूरों के सामने जीवन-यापन का बड़ा संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में पूरे देश में लाखों की तादाद में दिहाड़ी मजदूर अपने शहर की ओर पलायन करने पर मजबूर हो गए हैं और जहां-तहां फंसे हुए हैं।
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