'BJP ने RSS के जरिए संवैधानिक संस्थानों पर कब्जा किया, सरकारी कर्मचारियों को विचारधारा के आधार पर विभाजित करना चाहते हैं PM'
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि पिछले 10 वर्षों में बीजेपी ने सभी संवैधानिक और स्वायत्त संस्थानों पर संस्थागत रूप से कब्ज़ा करने के लिए आरएसएस का उपयोग किया है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों में शामिल होने पर लगी रोक हटाकर इन कर्मचारियों को विचारधारा के आधार पर विभाजित करना चाहते हैं।
सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने पर रोक लगाने वाले 1966 के आदेश को बदल दिया है।
कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा नौ जुलाई को जारी आदेश में कहा गया है, ‘‘उपर्युक्त निर्देशों की समीक्षा की गई है और यह निर्णय लिया गया है कि 30 नवंबर 1966, 25 जुलाई 1970 और 28 अक्टूबर 1980 के संबंधित कार्यालय ज्ञापनों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उल्लेख हटा दिया जाए।’
खड़गे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘1947 में आज ही के दिन भारत ने अपना राष्ट्रीय ध्वज अपनाया था। आरएसएस ने तिरंगे का विरोध किया था और सरदार पटेल ने उन्हें इसके खिलाफ चेतावनी दी थी। 4 फरवरी 1948 को गांधी जी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था। मोदी जी ने 58 साल बाद, सरकारी कर्मचारियों पर आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने पर 1966 में लगा प्रतिबंध हटा दिया है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले 10 वर्षों में बीजेपी ने सभी संवैधानिक और स्वायत्त संस्थानों पर संस्थागत रूप से कब्ज़ा करने के लिए आरएसएस का उपयोग किया है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘मोदी जी सरकारी कर्मचारियों पर आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने पर लगा प्रतिबंध हटा कर सरकारी दफ्तरों के कर्मचारियों को विचारधारा के आधार पर विभाजित करना चाहते हैं। यह सरकारी दफ्तरों में लोक सेवकों के निष्पक्षता और संविधान के सर्वोच्चता के भाव के लिए चुनौती होगा।’’
उन्होंने दावा किया कि सरकार संभवतः ऐसे कदम इसलिए उठा रही है क्योंकि जनता ने उसके संविधान बदलने की ‘‘कुत्सित मंशा’’ को चुनाव में परास्त कर दिया।
खड़गे ने कहा, ‘‘चुनाव जीत कर संविधान नहीं बदल पा रहे तो अब पिछले दरवाजे सरकारी दफ्तरों पर आरएसएस का कब्जा कर संविधान से छेड़छाड़ करेंगे। यह आरएसएस द्वारा सरदार पटेल को दिये गये उस माफीनामे और आश्वासन का भी उल्लंघन है जिसमें उन्होंने आरएसएस को संविधान के अनुरूप, बिना किसी राजनीतिक एजेंडे के एक सामाजिक संस्था के रूप में काम करने का वादा किया था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘विपक्ष को लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिये आगे भी संघर्ष करते रहना होगा।’’
पीटीआई के इनपुट के साथ
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