प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस को सच्चाई का आईना दिखायाः कांग्रेस

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के आरएसएस मुख्यालय में भाषण को संघ के लिये सच्चाई का आईना बताते हुए कांग्रेस ने कहा कि उन्होंने मोदी सरकार को भी भारत की विविधता, अहिंसा और सांस्कृतिक बहुलता पर आधारित राजधर्म का पालन करने की नसीहत दी है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

पूरे देश की निगाहें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समारोह में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के भाषण पर लगी हुई थीं। कांग्रेस मीडिया सेल के प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि प्रणव मुखर्जी ने संघ मुख्यालय में अपने भाषण में भारत की बहुलता, सहिष्णुता और धर्मनिरपेक्षता को देश की आस्था और आत्मा के एक अभिलेख के रूप में याद दिलाते हुए आरएसएस को सच का आईना दिखाया है। सुरजेवाला ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति ने विशेष रूप से सार्वजनिक जीवन को किसी भी तरह की, शारीरिक, शाब्दिक हिंसा से मुक्त करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए करुणा, सद्भाव और अहिंसा को अपनाने पर भी जोर दिया।

दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि प्रणब मुखर्जी ने वर्तमान मोदी सरकार को हमारी विविधता, अहिंसा और सांस्कृतिक बबहुलता पर आधारित राजधर्म का पालन करने की याद दिलाई है। सुरजेवाला ने कहा, उन्होंने विशेष रूप से प्रधान मंत्री को याद दिलाया कि प्रजा की खुशी, शासक की खुशी है, उनका कल्याण ही शासक का कल्याण है'। 'छद्म राष्ट्रवाद' की खुद की गढ़ी हुई परिभाषा के जरिये संस्थानों पर कब्जा करने और उन पर हमले की ओर इशारा करते हुए उन्होंने आरएसएस के साथ ही प्रधानमंत्री को याद दिलाया कि 'भारतीय राष्ट्रवाद संवैधानिक देशभक्ति' है।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय और कांग्रेसी होने के नाते हम लोकतांत्रिक बातचीत में विश्वास करते हैं और विभिन्न विचार प्रक्रियाओं में संवाद की पवित्रता का सम्मान करते हैं। सुरजेवाला ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में खुले दिमाग और बदलाव के साथ दूसरे के दृष्टिकोण को स्वीकार करने की इच्छा के साथ संवाद संभव है।

उन्होंने सवाल किया कि “क्या आरएसएस सुनने के लिये तैयार है? क्या आरएसएस बदलाव के लिये तैयार है? क्या आरएसएस अपने विचार और कामों में गलतियों को स्वीकार करने के लिए तैयार है? क्या आरएसएस भारत के आधारभूत मूल्यों- बहुलता, सहिष्णुता, अहिंसा, धर्मनिरपेक्षता और विविधता को स्वीकार करने के लिए तैयार है। क्या आरएसएस महिलाओं, दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और वंचितों के प्रति अपने पूर्वाग्रह का त्याग करने के लिये तैयार है? क्या आरएसएस वैज्ञानिक सोच और तर्कशीलता को स्वीकार करने के लिए तैयार है? क्या आरएसएस प्रभुत्व स्थापित करने और हिंसा के अपने चरित्र को छोड़ने के लिए तैयार है?”

सुरजेवाला ने कहा कि यह समय आरएसएस के लिए देश और सभी भारतीयों को कुछ सवालों के जवाब देने का है:-

  • क्या आरएसएस का मानना है कि केवल एक पूर्व राष्ट्रपति को एक कार्यक्रम में आमंत्रित करने से उसे सामाजिक और राजनीतिक पवित्रता मिल जाएगी?
  • क्या आरएसएस इस बात को समझता है कि भारत का बुनियादी मूल्य 'बलिदान' है, आनंद नहीं, 'उदारता' है 'उन्माद' नहीं, 'अहिंसा' है 'अतिवाद' नहीं?
  • क्या आरएसएस 'गांधीवादी विचार' को खारिज नहीं करता, 'बाबासाहेब अम्बेडकर' का उपहास नहीं उड़ाता, लोहिया के विचारों को खारिज नहीं करता और उसके बावजूद खुद को पाक साफ समझे जाने की उम्मीद करता है?
  • क्या आरएसएस प्रणव मुखर्जी द्वारा संवैधानिक देशभक्ति और भारत की राष्ट्रीयता के अभिलेख के तौर पर बहुलता, 'सहिष्णुता', और 'धर्मनिरपेक्षता' की वकालत को स्वीकार करने का वादा करता है?

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि आरएसएस और बीजेपी को आज अपने चरित्र, चेहरे, विचार प्रक्रिया और रास्ते को बदलने के लिए सार्वजनिक रूप से प्रतिबद्ध दिखानी चाहिए और आज अपने अतिथि प्रणव मुखर्जी द्वारा दिए गए समझदारी भरे सलाह को स्वीकार करना चाहिए।

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