जापान के हाथ खींचने के बाद पीएम मोदी का बुलेट ट्रेन का सपना पटरी से उतरा
पीड़ित किसानों के वकील आनंदवर्द्धन याज्ञ्निक ने कहा कि वह इस लड़ाई को जापान की जमीन तक ले जाएंगे। उन्होंने कहा कि जापान को हमारा तर्क होगा कि जिस तरह परमाणु बम की तबाही को जापान ने भुगता है, हमारे लिए बुलेट ट्रेन भी उसी परमाणु बम की तरह है।
मुंबई-अहमदाबाद के बीच भारत की पहली बुलेट ट्रेन के लिए बनाए जा रहे हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के लिए जापान की वित्तीय संस्था जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) द्वारा धन रोक दिए जाने से पीएम मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को एक बड़ी बाधा का सामना करना पड़ रहा है। वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर बताया कि जापानी संस्था ने मांग की है कि मोदी सरकार पहले परियोजना से प्रभावित होने वाले किसानों की शिकायतों का निपटारा करे।
बताया जा रहा है कि जेआईसीए ने यह फैसला गुजरात हाई कोर्ट में किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील आनंद वर्द्धन याग्निक द्वारा जापान के राजदूत केंजी हिरमात्सु और जेआईसीए के इंडिया ऑफिस के मुख्य प्रतिनिधि कत्सुओ मात्सुमोतो को भेजे उस पत्र के 5 दिन बाद किया है, जिसमें उन्होंने एजेंसी से हस्तक्षेप की मांग की है।
अहमदाबाद से फोन पर नवजीवन से बात करते हुए याज्ञ्निक ने कहा, "जेआईसीए के दिशानिर्देशों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जापान बैंक के पैसे पर किए जा रहे भूमि अधिग्रहण से अगर कोई किसान नाखुश है तो वह औपचारिक रूप से एक याचिका दायर कर जेआईसीए के दिशानिर्देश लागू कर सकता है और हम अपनी टीम नियुक्त करेंगे और स्थिति को सुलझाने की कोशिश करेंगे।" उन्होंने आगे कहा, “हम इसके विरोध में हैं क्योंकि बुलेट ट्रेन के उद्देश्य के नाम पर जो कुछ भी हो रहा है, वह जेआईसीए के दिशानिर्देशों के विरुद्ध है।”
आनंदवर्द्धन याज्ञ्निक ने जुलाई के महीने में 1000 किसानों की तरफ से निष्पक्ष मुआवजे और परियोजना के सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन की मांग करते हुए गुजरात हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल किया था। याज्ञ्निक द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि “इस स्थिति में मैं ईमानदारीपूर्वक आपसे अनुरोध करता हूं कि कृप्या एक टीम का गठन कर परियोजना से प्रभावित लोगों के साथ एक बैठक निर्धारित करें और भारत सरकार को जेआईसीए के दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य करें या फिर अवज्ञा की स्थिति में परिणाम भुगतने के लिए तैयरा रहने का दबाव डालें।”
सामाजिक सहयोग के साथ-साथ विकासशील क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास, बेहतरी या आर्थिक स्थिरता का समर्थन कर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के साथ-साथ जापानी और वैश्विक अर्थव्यवस्था के ठोस विकास में योगदान के उद्देश्य से 2003 में स्थापित जेआईसीए ने अभी तक केवल 125 करोड़ रुपये जारी किए हैं। इससे पहले हाई स्पीड रेल परियोजना के लिए जेआईसीए ने लगभग 80,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने पर सहमति जताई थी, जिसकी अनुमानित लागत 1 लाख करोड़ रुपये थी। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने मीडिया को बताया कि किसानों के विरोध ने शायद जापानी एजेंसी जेआईसीए को नाराज कर दिया है।
खेड़ुत समाज (किसानों के अधिकार के लिए लड़ रहा संगठन) के नेता जयेश पटेल जयेश पटेल ने गुजरात सरकार को भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम, 2013 में निष्पक्ष मुआवजे और पारदर्शिता के अधिकार के प्रावधान में संशोधन करके किसानों की जिंदगी में परेशानी पैदा करने का दोषी ठहराया। जयेश पटेल ने कहा कि किसान बुलेट परियोजना के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि जिस तरीके से जिस प्रक्रिया के तहत अधिग्रहण किया जा रहा है, उसके खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि खेतों को हासिल करने के बजाय, सरकार रेलवे के मौजूदा, विस्तारित मार्ग का उपयोग कर सकती है।
जयेश पटेल की बात का समर्थन करते हुए याज्ञ्निक ने कहा कि गुजरात हाई कोर्ट में 8 याचिकाएं लंबित हैं और सभी याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि वे नहीं चाहते कि बुलेट ट्रेन उनके खेतों से होकर चले। यह पूछने पर कि अगर मोदी सरकार के स्पष्टीकरण के बाद जेआईसीए धन जारी करने के लिए सहमत हो जाती है तो क्या होगा, इस पर याज्ञ्निक ने कहा कि हम अपनी लड़ाई जापान की धरती तक ले जाएंगे।
अपनी योजना के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, “अक्टूबर के महीने में हम जापान जा रहे हैं। गुजरात के 3800 किसानों के प्रतिनिधियों, दादर और नागर हवेली के 3 प्रतिनिधियों और महाराष्ट्र क्षेत्र के 5 प्रतिनिधियों को मिला कर लगभग 20 प्रतिनिधी मेरे साथ जापान जा रहे हैं। हम वहां के विपक्ष के नेता और जेआईसीए से मिलने जा रहे हैं। हम वहां छात्र नेताओं और बुद्धिजीवियों से मिलने जा रहे हैं।” याज्ञ्निक ने आगे बताया, “हम पांच शहरों में प्रेस कांफ्रेंस करने जा रहे हैं। विशेष रूप से हिरोशिमा और नागासाकी में इस बयान के साथ प्रेस कांफ्रेंस करने जा रहे हैं कि जिस तरह जापान ने परमाणु बम की विभीषिका को भुगता है, उसी तरह बुलेट ट्रेन हमारे ऊपर एक परमाणु बम की तरह है।”
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