समर्थन मूल्य के नाम पर पीएम मोदी ने किसानों को दिया धोखा, देश माफ नहीं करेगाः कांग्रेस
देश के किसानों की नाराजगी दूर करने के लिए मोदी सरकार ने बुधवार को धान, दाल, मक्का जैसी 14 खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर लागत का डेढ़ गुना करने का ऐलान किया। केंद्र सरकार ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताया है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर देश के करोड़ों किसानों को खुशियों की सौगात देने का दावा कर रही मोदी सरकार पर कांग्रेस ने किसानों के साथ खिलवाड़ करने और उन्हें धोखा देने का आरोप लगाया है। कांग्रेस पार्टी ने न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी को ऊंट के मुंह में जीरा बताते हुए कहा कि मोदी सरकार ने देश के किसानों को गुमराह किया है, उन्हें धोखा दिया है, जिसके लिए देश के किसान उन्हें कभी माफ नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि उम्मीद थी कि राजनाथ सिंह, मोदी जी के झूठे जुमलों और झांसों में नहीं आएंगे, लेकिन राजनाथ सिंह जी ने भी देश को गुमराह किया है। किसान को पता है कि उसकी लागत क्या है। इसलिये झूठ बोलकर किसानों को बरगलाना सही नहीं है।
कांग्रेस मीडिया सेल के इंचार्ज और प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवनाला ने मोदी कैबिनेट के फैसले को आंखों में धूल झोंकने वाला बताते हुए कहा कि कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की पहले की सिफारिशों के मुताबिक भी आज घोषित किये गए न्यूनतम समर्थन मूल्य को लागत पर 50 प्रतिशत नहीं माना जा सकता। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार जानबूझकर कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की 2018-19 की सिफारिशों को सार्वजनिक नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने लागत तय करते समय 3 महत्वपूर्ण तथ्यों को दरकिनार कर दिया। पहला, डीजल की कीमत आज 11 रुपये बढ़ चुकी है। दूसरा, पिछले छह महीने में खाद की कीमतें बढ़ी हैं और 5650 करोड़ का सालाना नुकसान हुआ है और तीसरा तथ्य, कीटनाशकों, बिजली आदि की भी कीमतें बढ़ी हैं।
कांग्रेस ने लागत के आंकलन के लिए ए2+एफएल फॉर्मूला अपनाए जाने पर सवाल उठाते हुए सवाल किया कि सरकार ने फसलों का लागत तय करने के लिए सी-2 फार्मूले को क्यों नहीं अपनाया, जिसका खुद उन्होंने वादा किया था। बता दें, ए2+एफएल फॉर्मूले के तहत फसल बुआई पर होने वाला कुल खर्च और परिवार के सदस्यों की मजदूरी शामिल होती है। जबकि किसानों के लिए सी-2 फार्मूला सबसे अच्छा माना जाता है। इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर कॉस्ट के नाम पर उस जमीन की कीमत जोड़ी जाती है, जिसमें खेती की गई हो। इसके साथ ही इसमें जमीन के किराये और खेती में लगी स्थायी पूंजी पर लगने वाले ब्याज को भी शामिल किया जाता है।
सुरजेवाला ने कहा कि देश का किसान जब ईमानदारी से सरकारों का इम्तिहान लेता है तो सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोग बहुत जल्द अर्श से फर्श तक का सफर करते हैं। ये न्यूनतम समर्थन मूल्य नाकाफी है, किसान के साथ धोखा है, किसान के साथ विश्वासघात जो 2022 में सत्ता में होंगे ही नहीं उनके वादे में क्या सच्चाई होगी। उन्होंने कहा, “देश के किसान भारी कर्ज में डूबे हुए हैं। यह केंद्र और राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि वे इस मुद्दे का समाधान करें। यूपीए सरकार और कर्नाटक की कांग्रेस सरकार द्वारा की गई कर्जमाफी से किसानों को बड़ी राहत मिली थी।” कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि इस देश में अगर किसी शख्स ने किसानों की लड़ाई लड़ी है, तो वो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी हैं। जो कोई भी किसानों की वाजिब मांग को उठाएगा, हम बिना शर्त उसका समर्थन करेंगे।
गौरतलब है कि बुधवार को मोदी सरकार ने 14 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी करने की घोषणा की। कैबिनेट फैसले की जानकारी देते हुए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि किसानों को अब खरीफ की फसल का डेढ़ गुना एमएसपी किया गया है। अब किसानों को धान की फसल पर एमएसपी 1550 से बढ़ाकर 1750 रुपये प्रति क्विंटल मिलेगी। राजनाथ ने दावा किया कि इस फैसले से देश के तकरीबन 12 करोड़ किसान परिवारों को सीधा फायदा पहुंचेगा।
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