मीडिया को सकते में डाल गया कोबरा पोस्ट का ‘ऑपरेशन 136’

कई पत्रकारों के जेहन में कहीं न कहीं यह आशंका कौंध रही थी कि कहीं उनके संस्थान का नाम इसमें न आ जाए। कई टीवी चैनलों की सिट्टी-पिट्टी गुम थी।

फोटो: सोशल मीडिया
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भाषा सिंह

दिल्ली के प्रेस क्लब में पत्रकारों की भारी भीड़ जमा थी। कोबरा पोस्ट का खुलासा होने वाला था। स्क्रीन पर आया ऑपरेशन 136 और घोषणा हुई कि मीडिया के बारे में मीडिया के द्वारा अब तक का सबसे बड़ा स्टिंग ऑपरेशन। जैसे-जैसे एक-एक मीडिया हाउस के नाम आना शुरू हुए, वैसे-वैसे पत्रकारों में बेचैनी बढ़ने लगी।

यह बेचैनी मौजूदा मीडिया का हाल बयां करने के लिए पर्याप्त थी। कई पत्रकारों के जेहन में कहीं न कहीं यह आशंका कौंध रही थी कि कहीं उनके संस्थान का नाम इसमें न आ जाए। कई टीवी चैनलों की सिट्टी-पिट्टी गुम थी। उनके दफ्तर से फोन पर फोन आ रहे थे और धीरे-धीरे प्रेस कन्फ्रेंस की मेज से टीवी चैनलों के माइक कम होने लगे। सबसे पहले वे चैनल हटे, जिनके बारे में ‘गोदी मीडिया’ होने की चर्चाएं सरेआम हैं। इनमें टाइम्स नाऊ, रिपब्लिक टीवी, राज्यसभा टीवी आदि प्रमुख थे। सन्नाटा और परेशानी का ग्राफ धीरे-धीरे बढ़ने लगा, जब डीएनए, इंडिया टीवी आदि के पर्दाफाश शुरू हुए।

कोबरा पोस्ट के इस स्टिंग ऑपरेशन में इंडिया टीवी, दैनिक जागरण, पंजाब केसरी, हिंदी खबर, सब टीवी, डीएनए, अमर उजाला, यूएनआई, 9एक्स टशन, समाचार प्लस, एचएनएन लाइव 24, स्वतंत्र भारत, स्कूप हूप, रीडिफ.कॉम, इंडिया वॉच, अज और साधना प्राइम न्यूज के बारे में पर्दाफाश था कि कैसे पैसों के लालच में वह उग्र हिंदुत्व के एजेंडे, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के कवरेज से लेकर विरोधी पार्टियों को नीचा दिखाने के लिए तैयार हैं। जब यह स्टिंग ऑपरेशन चल रहा था तो आसपास बैठे पत्रकार बेहद हैरानी से पूछ रहे थे कि मार्केटिंग और मैनेजमेंट के लोगों को इतना अधिक ताकतवर बना दिया गया है कि वे ही सारे एडिटोरियल के फैसले ले रहे हैं।

स्टिंग में दिखाया गया है कि किस तरह से मीडिया के ये तमाम समूह खुद को हिंदुत्व ब्रिग्रेड का सिपहसालार बताते हुए खुद पर गर्व कर रहे हैं। साधना प्राइम न्यूज के डायरेक्टर आलोक भट्ट ने तो खुफिया कैमरे के सामने खुद को पैदाइशी संघी घोषित कर दिया और कहा कि हिंदुत्व के एजेंडे को बहुत आक्रामक ढंग से बढ़ाना जरूरी है, ‘और हमसे जितना एग्रेसिव करवाना है वो बताइए क्योंकि हम तो उसी के लिए हैं, मतलब हम खुले तौर पर चलने वाले आदमी हैं।’

इस स्टिंग को भी हिंदुत्व पर हमले के तौर पर देखने वाले पत्रकारों की जमात कम नहीं है। शुरुआती कुछ सवाल ही इसी लाइन पर थे। एक पत्रकार ने पूछा, “आखिर आपने हिंदुत्व संबंधी सवाल ही मीडिया घरानों से क्यों पूछा, आप बाकी धर्मों के बारे में पूछ सकते थे।” दूसरे ने पूछा, “क्या आप हिंदुत्व को निशाने पर लेना चाहते थे। इसका जिक्र इसलिए जरूरी है क्योंकि जिस स्टिंग में मीडिया पैसों के लालच में गिरकर, सारे नियम-कायदे-कानून को ताक पर रखकर भगवा एजेंडे के आगे बिकने को तैयार दिखाई दे रहा था, उस पर आने वाले सवाल भी वैसे ही थे।

स्टिंग के बाद जो सवाल-जवाब का सत्र चला, उसमें वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अपील थी कि इस तरह के बिके हुए मीडिया पर निगाह रखने के लिए जनता का एक समूह बनाना चाहिए और वैसे मीडिया समूहों का बहिष्कार करना चाहिए। वेबसाइट ‘द वायर’ के सिद्धार्थ वरदराजन ने कहा कि सूचना और प्रसारण मंत्री रवि शंकर प्रसाद को भारत में हुए इस खुलासे पर कार्रवाई करनी चाहिए।

कोबरापोस्ट के अनिरूद्ध बहल ने नवजीवन को बताया, “यह मीडिया द्वारा किया गया पहला स्टिंग है, जिसमें मीडिया का पर्दाफाश किया गया है। वरना अभी तक हम बाहर के हालात का जायजा लेते रहते थे। मीडिया में आपराधिक मानसिकता के साथ दंगे फैलाने, नफरत फैलाने के साथ-साथ बिकने की इतनी भयानक बीमारी लग गई है कि पूरा मीडिया खतरे में आ गया है। यह आदत मीडिया में बहुत भीतर तक पसर गई है, इसका पर्दाफाश होना बहुत जरूरी है। जल्द ही हम इस कड़ी का दूसरा हिस्सा लाने वाले हैं, उसमें भी चौंकाने वाले पर्दाफाश हैं।”

गौरतलब है कि कोबरा पोस्ट ने इससे पहले कुख्यात रणवीर सेना की राजनीतिक सरपरस्ती और मनी लांडरिंग के मुद्दे पर भी स्टिंग कर चुका है।

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Published: 26 Mar 2018, 9:47 PM