सिर्फ एक खाते ने हिला दी पीएमसी बैंक की बुनियाद, और पाई-पाई को मोहताज हो गए आम ग्राहक
सवाल है कि आखिर इतने दिनों तक बैंक ने क्यों एचडीआईएल के कर्ज को लेकर चुप्पी साधे रखी? और सवाल यह भी है कि आखिर इसमें उन खाताधारकों का क्या दोष जिनकी गृहस्थी इस बैंक में जमा उनकी अपनी गाढ़ी कमाई से चलती है।
पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक के बाहर लंबी कतारें लगी हैं और लोग रो रहे हैं। पैसे-पैसे को मोहताज हुए इन लोगों में टैक्सी-ऑटो ड्राइवर, बुजुर्ग, महिलाएं और बेहद साधारण पृष्ठभूमि वाले लोग हैं। यह तस्वीर उस भारत की है जिसका प्रधानमंत्री अमेरिका में दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियों के साथ व्यापारिक समझौते करने के लिए बैठकें कर रहा है, जिस देश की सरकार आने वाले दिनों में देश की अर्थव्यवस्था को 5 खरब डॉलर तक पहुंचाने की बात कर रही है।
आखिर ऐसा क्या हुआ जो 1984 में स्थापित इस बैंक की करीब 130 शाखाओं के बाहर इसके ग्राहकों की कतारें लग गईं और हालात बेकाबू न हो जाएं, इसके लिए पुलिस का बंदोबस्त करना पड़ा।
इस पूरे मामले की जड़ें उस एक शब्द में छिपी हैं, जो हाल के वर्षों में बैंकिंग क्षेत्र के लिए अभिशाप बन चुका है। यह शब्द है एनपीए यानी ऐसी परिसंपत्तियां जिनसे वसूली नहीं हो सकती। आम भाषा में समझें तो बैंकों द्वारा दिए गए ऐसे कर्ज जिन्हें लेने वालों ने लौटाने से या तो इनकार कर दिया या अपनी असमर्थता जता दी। पीएमसी बैंक के साथ भी मामला ऐसा ही है।
सिर्फ एक खाते ने हजारों लाखों पीएमसी ग्राहकों के बीच बेचैनी फैला दी। रिजर्व बैंक ने पाबंदी लगा दी है कि अगले 6 महीने तक इस बैंक से कोई भी ग्राहक एक हजार रुपए से ज्यादा नहीं निकाल सकता। बैंक अपनी कोई संपत्ति नहीं बेच सकता, कोई नया कर्ज नहीं दे सकता आदि आदि। लोगों की परेशानी बैंक से निकाले जाने वाले पैसे की सीमा तय करने पर है।
इस बैंक में बहुत से लोगों ने अपनी जिंदगी भर की जमा-पूंजी की एफडी करा रखी है, कई लोगों ने बचत खाते खोले हुए हैं, बहुत सो के सेलरी अकाउंट इस बैंक में हैं। लेकिन विदड्राल यानी पैसे निकालने की सीमा तय होने से सबकुछ गड़बड़ा गया है।
एक खाता जिससे पीएमसी बैंक की बुनियाद हिल गई, वह है रियल एस्टेट की बड़ी कंपनी एचडीआईएल यानी हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड का। एचडीआईएल ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया है और पीएमसी ने इसे 2500 करोड़ का कर्ज दे रखा है। आरबीआई का एतराज है कि पीएमसी बैंक ने इस कर्ज को अपने मुनाफे में से कम करके नहीं दिखाया।
बैंक के सूत्रों का कहना है कि पीएमसी बैंक के ऑडिटर्स ने एचडीआईएल को दिए गए कर्ज को एनपीए के रूप में नहीं घोषित किया, जबकि एचडीआईएल काफी समय से कर्ज नहीं चुका पा रही थी। पीएमसी के पास कैश रिजर्व सिर्फ 1000 करोड़ रुपए का है, जो कि 2500 करोड़ से कहीं कम है। ऐसे में आरबीआई को यह कदम उठाना पड़ा।
लेकिन, सवाल है कि आखिर इतने दिनों तक बैंक ने क्यों एचडीआईएल के कर्ज को लेकर चुप्पी साधे रखी? और सवाल यह भी है कि आखिर इसमें उन खाताधारकों का क्या दोष जिनकी गृहस्थी इस बैंक में जमा उनकी अपनी गाढ़ी कमाई से चलती है।
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