बेटियों के खिलाफ है 'किशोर न्याय संशोधन बिल', मोदी सरकार की 'बेटी बचाओ' की बात बेईमानी!
शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम बिल 2021 को लेकर चिंता जाहिर करते हुए इसे बेटियों के खिलाफ बताया है।
शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम बिल 2021 को लेकर चिंता जाहिर करते हुए इसे बेटियों के खिलाफ बताया है। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की बात करती है, लेकिन दूसरी तरफ, यह किशोर न्याय में एक संशोधन भी लाती है।
प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि यह सुनिश्चित करने वाला अधिनियम कि न्यायिक मजिस्ट्रेट की विशेष अनुमति के अलावा बच्चों के खिलाफ गंभीर अपराधों में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाती है।
अधिनियम में इस हालिया संशोधन का बच्चों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा क्योंकि यह उन अपराधियों को बचाता है। उन्होंने इस मसले पर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी को शनिवार को एक पत्र लिखकर इस सम्बंध में सुधार करने की अपील की है।
प्रियंका ने अपने पत्र में लिखा कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम बिल 2021 में हालिया संशोधन बच्चों के खिलाफ गंभीर अपराधों को गैर-संज्ञेय के रूप में वर्गीकृत करता है। एक तरफ, सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की बात करती है, लेकिन दूसरी तरफ, यह एक संशोधन लाती है जो यह सुनिश्चित करेगी कि न्यायिक मजिस्ट्रेट की विशेष अनुमति के अलावा बच्चों के खिलाफ गंभीर अपराधों में कोई प्राथमिकी दर्ज न हो।
अधिनियम में इस हालिया संशोधन का बच्चों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा क्योंकि यह उन अपराधियों को बचाता है जो बच्चों को भीख मांगने, श्रम करने और ड्रग्स की तस्करी के लिए काम पर रखते हैं और उनका शोषण करते हैं। दुर्भाग्य से, हाल के संशोधन के कारण इनमें से कोई भी गंभीर अपराध अब प्राथमिकी पंजीकरण और स्वत: जांच का पात्र नहीं बन पायेगा।
उन्होंने कहा, मैं बच्चों की बिक्री और खरीद को वगीर्कृत करने और उग्रवादी संगठनों द्वारा उनके उपयोग को गैर-संज्ञेय के रूप में वर्गीकृत करने के सरकार के फैसले के औचित्य को समझने में असमर्थ हूं। यह भयावह भूल नहीं होती अगर सरकार सार्थक पूर्व-विधायी परामर्श और चयन समितियों द्वारा जांच में लगी होती।
प्रियंका ने पत्र में कहा, बच्चों के खिलाफ अपराध को कम करना बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन केवल एफआईआर दर्ज करके अपराध के आंकड़ों को कम करना उल्टा साबित होगा और यह संविधान और बच्चों के साथ घोर अन्याय है। इसलिए, मैं आपसे इस संशोधन को संशोधित करने और इन अपराधों की संज्ञेय स्थिति को बहाल करने का आग्रह करती हूं।
गौरतलब है कि किशोर न्याय संशोधन बिल, 2021 को 15 मार्च, 2021 को लोकसभा में पेश किया गया था और वर्तमान में यह राज्यसभा में लंबित है। 3 बिल किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) एक्ट, 2015 में संशोधन करता है। अभी तक एक्ट में प्रावधान है कि जिस अपराध के लिए तीन से सात वर्ष की जेल की सजा है, वह संज्ञेय (जिसमें वॉरंट के बिना गिरफ्तारी की अनुमति होती है) और गैर जमानती होगा। बिल इसमें संशोधन करता है और प्रावधान करता है कि ऐसे अपराध गैर संज्ञेय होंगे।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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