NTPC Protest: एनटीपीसी मुख्यालय पर धरना दे रही 25 महिलाओं की तबीयत बिगड़ी, जिला अस्पताल में भर्ती
इस धरना प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं और बुजुर्ग भी शामिल हैं। पूरी रात ठंड में ठिठुरन के बाद मंगलवार सुबह करीब 25 महिलाओं की तबीयत बिगड़ गई, जिन्हें पास के ही जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
नोएडा में समान रोजगार और समान मुआवजे की मांग को लेकर 24 गांव के लोगों ने कई महीनों तक एनटीपीसी दादरी के बाहर धरना दिया। प्रशासन और एनटीपीसी के अधिकारियों के साथ उनकी वार्ता हुई। वार्ता में आश्वासन भी मिले, लेकिन मांगे पूरी नहीं हुई। इसके बाद सोमवार शाम से ही किसान नेता सुखबीर खलीफा की अगवाई में 24 गांव के किसानों ने एनटीपीसी के सेक्टर 24 स्थित मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया।
इस धरना प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं और बुजुर्ग भी शामिल हैं। पूरी रात ठंड में ठिठुरन के बाद मंगलवार सुबह करीब 25 महिलाओं की तबीयत बिगड़ गई, जिन्हें पास के ही जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मंगलवार की सुबह किसान संगठनों के तरफ से बीमार महिलाओं को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। किसानों का आरोप है कि जिला अस्पताल में कोई व्यवस्था नहीं है। एक बेड पर चार मरीज हैं।
प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे किसान नेता सुखबीर खलीफा ने बताया कि सोमवार से नोएडा एनटीपीसी के गेट के बाहर सैकड़ों की संख्या में किसान अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं। रात के समय सैकड़ों की संख्या में महिलाएं और बुजुर्ग धरना स्थल पर सोए हुए थे। कड़ाके की ठंड में 25 से अधिक किसान महिलाएं बीमार हो गई हैं। इन्हें तत्काल एंबुलेंस की मदद से जिला अस्पताल में एडमिट कराया गया है। जिला अस्पताल में किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं है। यहां पर मरीजों को देखने के लिए डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं।
उन्होंने बताया कि जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा, वे एनटीपीसी से धरना स्थल समाप्त नहीं करेंगे। किसान नेता सुखबीर खलीफा ने बताया कि एनटीपीसी दादरी पर किसानों में कई महीने धरना दिया। प्रशासन के साथ कई दौर की वार्ता में किसानों की मांग को सही ठहराया गया।
प्रशासन ने किसानों को समान मुआवजा और समान रोजगार का समर्थन किया। उन्होंने आरोप लगाया कि एनटीपीसी प्रशासन आज भी दोहरा रवैया अपनाए हुए है। इसलिए किसान एनटीपीसी भवन का घेराव करने को मजबूर हुए। एनटीपीसी कार्यालय का घेराव करने 24 गांव के किसान आए हैं। यह आंदोलन नतीजा निकलने तक जारी रहेगा
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