भारत बंद के बाद दलित नेताओं पर रासुका की तैयारी, खौफजदा युवा पलायन को मजबूर

2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान मेरठ, हापुड़ और मुजफ्फरनगर में उपद्रव के आरोप में यूपी पुलिस ने सैकड़ों नौजवानों और दलित नेताओं को गिरफ्तार कर लिया है और अब उन पर रासुका लगाने की तैयारी हो रही है।

फोटोः आस मोहम्मद कैफ
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आस मोहम्मद कैफ

एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के विरोध में 2 अप्रैल को हुए भारत बंद के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक बवाल का केंद्र रहे मेरठ, हापुड़ और मुजफ्फरनगर में अब पुलिस प्रशासन ने बेहद सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। भारत बंद के दौरान बवाल करने के आरोप में सैकड़ों नौजवानों को गिरफ्तार किया गया है और हजारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। दलित समाज के दर्जनों बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया है और इन पर रासुका लगाने की तैयारी हो रही है।

फोटोः आस मोहम्मद कैफ
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पुलिस के दमनकारी कदम के बाद इलाके के दलित बहुल गांवों से नौजवानों ने पलायन कर दिया है। भीम आर्मी ने बवाल में अपना हाथ होने से इंकार किया है और स्थानीय दलित नेताओं ने विरोध प्रदर्शन में हुई हिंसा को आरएसएस की साजिश बताया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बवाल वाले जनपदों में निषेधाज्ञा लागू है। इसके तहत किसी भी प्रकार का कोई भी धरना प्रदर्शन अब प्रतिबंधित कर दिया गया है। विरोध प्रदर्शन के दौरान हुए बवाल के बाद स्थानीय स्तर पर जातीय तनाव बढ़ गया है।

भारत बंद के दौरान बवाल में शामिल युवाओं की गिरफ्तारी के लिए पुलिस दलित बहुल गांवों में लगातार दबिश दे रही है। इसके लिए अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया है। अब तक मेरठ से 90, मुजफ्फरनगर में 88, हापुड़ में 64 और साहरनपुर में 40 लोगों की गिरफ्तारी की खबरें हैं। यह संख्या अभी बढ़ भी सकती है। सबसे अहम गिरफ्तारी मेरठ से हुई है। यहां के हस्तिनापुर के पूर्व विधायक योगेश वर्मा को बेहद अपमानित तरीके से गिरफ्तार किया गया। वर्मा पर कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। एसएसपी मंजिल सैनी ने उनपर रासुका लगाने की बात कही है। वर्मा के साथ कई बड़े बीएसपी नेता भी जेल भेजे गए हैं। योगेश वर्मा की पत्नी सुनीता वर्मा हाल ही में मेरठ शहर से बीजेपी प्रत्याशी और वर्तमान राज्यसभा सांसद कांता कर्दम को हराकर मेयर चुनी गई थीं।

फोटोः आस मोहम्मद कैफ
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मुजफ्फरनगर में हिंसा में मारे गए नौजवान अमरेश जाटव के परिजन

समाजवादी पार्टी के छात्र संघ के जिलाध्यक्ष अतुल प्रधान की गिरफ्तारी के लिए भी पुलिस प्रयासरत है। उनपर बवाल के दौरान पुलिस को पीटने का आरोप है। मुजफ्फरनगर के पूर्व राज्यसभा सांसद राजपाल सैनी और पुरकाजी के पूर्व विधायक अनिल कुमार की भूमिका की भी प्रशासन जांच कर रहा है। ये दोनों बवाल के दौरान मुजफ्फरनगर में मारे गए नौजवान अमरेश जाटव के गांव गादला में अंतिम संस्कार में पहुंचे थे। स्थानीय दलित नेता संजय रवि ने बवाल के पीछे आरएसएस की साजिश को वजह बताया है। उन्होंने कहा, “11 बजे के बाद अचानक मुंह पर रुमाल बांधे 50-60 नौजवान आये, जिन्होंने आगजनी की। इसकी जांच होनी चाहिए कि ये कौन लोग थे। दलितों का आंदोलन नाकाम करने के लिए संघ के भेजे हुए लोगों ने इसे हिंसक बना दिया।”


बवाल के बाद पुलिस अब दलितों का क्रैकडाउन कर रही है। सोशल मीडिया और सीसीटीवी के आधार पर बवालियों की तलाश की जारी रही है। पुरकाजी क्षेत्र से हजारों नौजवान घर छोड़कर कहीं और चले गए हैं। यहां के पूर्व विधायक अनिल कुमार कहते हैं, “हिंसा करने वाले लोगों को चिन्हित कर सख्त कार्रवाई की जाए। मगर बवाल के नाम पर निर्दोष लोगों को बिल्कुल न सताया जाए। पुलिस के क्रेकडाउन से दलितो में डर बैठ गया है।”

प्रशासन ने 2 अप्रैल को प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में भूमिका निभाने वाले नेताओं पर रासुका लगाने के संकेत दिए हैं। अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह प्रदर्शन किसके आह्वान पर हुआ था। हिंसा के लिए भीम आर्मी को जिम्मेदार बताया जा रहा था। सहारनपुर में भीम आर्मी के प्रवक्ता मंजीत कोटियाल ने कहा कि “भीम आर्मी के हिंसा में शामिल होने की बात एकदम फर्जी है। हमारे किसी कार्यकर्ता की इसमें कोई संलिप्तता नहीं है। मगर हम एसएसी-एसटी एक्ट में किसी भी तरह के बदलाव के विरोधी हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन बेगुनाह दलित नौजवानों की गिरफ्तारी करने से परहेज करे, वरना ठीक नहीं होगा।

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