हरियाणा की खट्टर सरकार के 5 साल का हाल, 33 विधानसभा क्षेत्रों में नहीं बनी एक किलोमीटर भी सड़क

बीजेपी सरकार के ‘हरियाणा एक, हरियाणवी एक’ के नारे की सार्थकता यहां ध्वस्त हो जाती है। राज्य की प्रशासनिक राजधानी पंचकूला में भी कोई सड़क नहीं बनाई गई है और काॅरपोरेट कैपिटल गुरुग्राम और फरीदाबाद में भी सड़कों के मामले में लोक निर्माण विभाग का खाता शून्य है।

फोटोः सोशल मीडिया
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धीरेंद्र अवस्थी

हरियाणा में 33 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां पिछले पांच साल के दौरान एक किलोमीटर सड़क का भी निर्माण नहीं हुआ है। यह लोक निर्माण विभाग (भवन एवं सड़क) का आंकड़ा है। पलवल से विधायक कर्ण दलाल के सवाल के जवाब में ये आंकड़े खुद सरकार ने विधानसभा में दिए हैं। विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, 39 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां 10 किलोमीटर से कम सड़कों का निर्माण हुआ है। हरियाणा में 90 सदस्यीय विधानसभा है।

लोक निर्माण विभाग के आंकड़े बताते हैं कि जिन 39 विधानसभा क्षेत्रों में 10 किलोमीटर से कम सड़कें बनी हैं, उनमें भी 20 क्षेत्र ऐसे हैं जहां पांच किलोमीटर से भी कम सड़कें बनी हैं। मतलब प्रदेश में महज 18 विधानसभा क्षेत्र हैं, जहां 10 किलोमीटर से ज्यादा सड़कें बनाई गई हैं। सरकार पांच साल में प्रदेश में 33 नेशनल हाईवे बनने का दावा कर रही है। पर नेशनल हाईवे की आड़ लेने की कोशिश को खुद उसी के आंकड़े नाकाम कर रहे हैं।

खुद मुख्यमंत्री जिस क्षेत्र की नुमाइंदगी करते हैं, उस करनाल में महज 6.30 किलोमीटर सड़कों का निर्माण हुआ है। पिछले विधानसभा चुनाव से पहले हरियाणा में बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के दो दमदार चेहरे रहे कृषि मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ के बादली क्षेत्र में 8.65 किलोमीटर और वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के क्षेत्र- नारनौंद में महज 14.43 किलोमीटर सड़कें बनाई गई हैं। ये वे क्षेत्र हैं, जहां लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी दस सीटें जीतने के बावजूद बीजेपी पिछड़ी है।

एक बात और सामने आई है कि राज्य में विरोधी दलों के नेताओं के अहम गढ़ जानबूझकर सरकार के निशाने पर रहे हैं, क्योंकि विपक्षी नेताओं के इलाकों में सड़कें बनाने की जरूरत ही नहीं समझी गई। कम-से-कम आंकड़े देखकर तो कुछ ऐसा ही लगता है। पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल परिवार के गढ़- सिरसा, में भी सड़क नहीं बनाई गई है। ठीक उसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल के गढ़ और अब विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी के क्षेत्र- तोशाम में भी कोई सड़क नहीं बनाई गई है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के गढ़ रोहतक में भी सड़क निर्माण शून्य है।


बीजेपी सरकार के ‘हरियाणा एक, हरियाणवी एक’ के नारे की सार्थकता भी यहां ध्वस्त हो जाती है। राज्य की प्रशासनिक राजधानी का दर्जा प्राप्त पंचकूला में भी कोई रोड नहीं बनाई गई है। प्रदेश की काॅरपोरेट कैपिटल गुरुग्राम और फरीदाबाद में भी सड़क निर्माण के नाम पर लोक निर्माण विभाग का खाता शून्य दिखा रहा है। दक्षिण हरियाणा के पलवल, बल्लभगढ़, तिगांव, फरीदाबाद, गुरुग्राम और बडखल में तकरीबन सड़क निर्माण के नाम पर सिफर ही है।

दक्षिण हरियाणा वही क्षेत्र है जिसके साथ विकास के नाम पर भेदभाव के आरोप इस सरकार पर चस्पा होते रहे हैं। यहां तक कि बीजेपी के ही चार विधायकों ने दक्षिण हरियाणा की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए सरकार के खिलाफ बगावत कर दी थी। इसमें राज्य मंत्री बनवारी लाल भी शामिल थे। विधायक बिमला चैधरी के नेतृत्व में हुई बगावत के वक्त यह भी दावा किया गया था कि उनके साथ दो दर्जन विधायक हैं।

दक्षिण हरियाणा के तिगांव से विधायक ललित नागर का कहना है कि सड़कें तो छोड़िए, इस सरकार ने न तो इस क्षेत्र को स्कूल दिए और न ही अस्पताल दिए। विकास के नाम पर सरकार के खाते में सिफर से ज्यादा कुछ नहीं है। साल 2014 से 2019 तक अपने कार्यकाल की अवधि में वर्तमान सरकार ने पूरे प्रदेश में 538.36 किलोमीटर सड़कें बनाई हैं। अक्टूबर में संभावित विधानसभा चुनाव से पहले खुद सरकार के बही-खाते में दर्ज येआंकड़े उस पर गंभीर सवाल तो खड़े कर ही रहे हैं।

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