नीतीश ने निजी कंपनी के अधिकारी को पैर छूने की पेशकश कर शर्मिंदा किया, तेजस्वी बोले- जब शासन में इक़बाल खत्म हो...
एक सप्ताह पहले भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आईएएस अधिकारी के पैर छूने की पेशकश करते हुए व्यापक सर्वेक्षण करके भूमि विवादों को जल्दी से जल्दी निपटाने का आग्रह किया था।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को पटना में रोडवेज परियोजना का जिम्मा संभाल रही एक निजी कंपनी के एक प्रतिनिधि को पैर छूने की पेशकश कर शर्मिंदा करने की कोशिश की।
पटना में जेपी गंगा पथ के दूसरे चरण का लोकार्पण करने के बाद मुख्यमंत्री जैसे ही वहां से चलने के लिए उठे तो सामने खड़े निर्माण एजेंसी के इंजीनियर से कहा कि तेजी से काम को पूरा करें। उन्होंने कहा कि जल्दी से जल्दी काम पूरा होना चाहिए.. कहिए तो आपके पैर भी छू लेंगे।
कुमार इंजीनियर का पैर छूने के लिए जैसे ही आगे बढ़े, वहां मौजूद पथ निर्माण विभाग के सचिव प्रत्यय अमृत ने हाथ जोड़कर उनका रास्ता रोक लिया और ऐसा नहीं करने की अपील की।
कार्यक्रम के दौरान दोनों उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा तथा स्थानीय सांसद रवि शंकर प्रसाद भी मौजूद थे।
एक सप्ताह पहले भी मुख्यमंत्री ने आईएएस अधिकारी के पैर छूने की पेशकश करते हुए व्यापक सर्वेक्षण करके भूमि विवादों को जल्दी से जल्दी निपटाने का आग्रह किया था।
बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक वीडियो फुटेज साझा करते हुए लिखा, “पूरे विश्व में इतना असहाय, अशक्त, अमान्य, अक्षम, विवश, बेबस, लाचार और मजबूर कोई ही मुख्यमंत्री होगा जो बीडीओ, एसडीओ, थानेदार से लेकर वरीय अधिकारियों और यहाँ तक कि संवेदक के निजी कर्मचारी के सामने बात-बात पर हाथ जोड़ने और पैर पड़ने की बात करता हो?”
उन्होंने लिखा, बिहार में बढ़ते अपराध, बेलगाम भ्रष्टाचार, पलायन एवं प्रशासनिक अराजकता का मुख्य कारण यह है कि एक कर्मचारी तक (अधिकारी तो छोड़िए) मुख्यमंत्री की नहीं सुनता? क्यों नहीं सुनता और क्यों नहीं आदेशों का पालन करता, यह विचारनीय विषय है? हालाँकि इसमें कर्मचारी व अधिकारियों का अधिक दोष भी नहीं है।”
यादव ने कहा, “एक कमजोर बेबस मुख्यमंत्री के कारण “बिहार में होना वही है जो “चंद” सेवारत और “सेवानिवृत्त” अधिकारियों ने ठाना है” क्योंकि अधिकारी भी जानते है कि ये 43 सीट वाली तीसरे नंबर की पार्टी के मुख्यमंत्री है।”
आरजेडी नेता ने कहा, “जब शासन में इक़बाल खत्म हो जाए हो और शासक में आत्मविश्वास ना रहे तब उसे सिद्धांत,जमीर और विचार किनारे रख ऊपर से लेकर नीचे तक बात-बात पर ऐसे ही पैर पड़ना पड़ता है। बहरहाल हमें कुर्सी की नहीं बल्कि बिहार और 14 करोड़ बिहारवासियों के वर्तमान और भविष्य की चिंता है।”
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