एनएचपीसी के किशनगंगा प्रोजेक्ट के ट्रायल के दौरान पानी का भारी रिसाव, इसी महीने पीएम को करना है उद्घाटन 

बांदीपोरा स्थित एनएचपीसी द्वारा निर्मित किशनगंगा विद्युत संयत्र के ट्रायल के दौरान रिसाव की घटना सामने आई है। 5,750 करोड़ रुपये की लागत वाले इस प्रोजेक्ट का इसी महीने पीएम मोदी को उद्घाटन करना है।

फोटोः सोशल मीडिया
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ऐशलिन मैथ्यू

जम्मू कश्मीर के बांदीपोरा जिले में किशनगंगा नदी पर 5,750 करोड़ रुपये की लागत से एनएचपीसी द्वारा बनाए जा रहे विद्युत संयत्र में ट्रायल के दौरान भारी रिसाव की घटना सामने आई है। खास बात ये है कि पीएम मोदी द्वारा इसी महीने इस परियोजना का उद्घाटन किया जाना है।संयत्र के ट्रायल के दौरान आए रिसाव की वजह से पास के सेब के बागीचों में पानी भर गया है।

जानकारी के अनुसार, यह रिसाव विद्युत संयत्र के प्रेशर शाफ्ट में पानी प्रवाहित करने वाली 15 किलो मीटर लंबी मुख्य सुरंग (एचआरटी) में हो रहा है। रिसाव की वास्तविक स्थिति का पता लगाने के लिए सर्वेक्षण किया जा रहा है। यह सुरंग गुरेज घाटी स्थित बांध से बांदीपुरा बिजलीघर के लिए पानी प्रवाहित करती है।

इस परियोजना के चीफ इंजीनियर खालिद उमर ने समस्या को स्वीकार करते हुए बताया कि सुंरग के आस-पास के गांववालों की शिकायत मिलने के बाद रिसाव की जांच की जा रही है। उन्होंने आगे कहा, “जब सुरंग में पानी का बहाव शुरू होता है, तो उसके आसपास की चट्टानों में जोड़ होने के कारण उन पर असर पड़ता है। इस वजह से हुए रिसाव के कारण पानी पास की खेतों में चला गया है। हमने अब पानी के प्रवाह को रोक दिया है और इसे फिर से भर दिया है। हम इस बात की जांच कर रहे हैं कि कहीं सुरंग में इस तरह के और भी रिसाव तो नहीं हैं।”

उन्होंने कहा कि इन रिसाव के स्थलों से करीब 30-40 लीटर पानी को बहते देखा गया है। हम इससे प्रभावित हुए परिवारों को मुआवजा देंगे। उमर खालिद का कहना है कि किसी परियोजना के निर्माण के दौरान ऐसी चीजें होती हैं। उमर खालिद ने कहा, “इन समस्याओं को कुछ हफ्तों में होने वाले इसके उद्घाटन से पहले ठीक कर लिया जाएगा, जिसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आना है।”

कश्मीर विश्वविद्यालय में पृथ्वी विज्ञान विभाग के प्रमुख शकील अहमद रोमशू बताता हैं कि किशनगंगा परिजयना के लिए एचआरटी के निर्माण में भारत में पहली बार टनेल बोरिंग मशीन (टीबीएम) का उपयोग किया गया था। उन्होंने कहा कि इस जगह पर मिट्टी के कमजोर होने की वजह से सुरंग से होने वाला रिसाव इमारतों को नुकसान पहुंचाएगा। और रिसाव के कारण अत्यधिक नमी के परिणामस्वरूप बागों में फलों के पेड़ मर जाएंगे। बांदीपोरा के करालपोरा के किसान मोहम्मद आजाद का कहना है कि इलाके के बहुत सारे लोगों को इस बात की चिंता है कि इस परियोजना के पूरी तरह से शुरू होने का बाद उन्हें कहीं और जाकर बसना न पड़े।

एनएचपीसी के किशनगंगा प्रोजेक्ट के ट्रायल के दौरान पानी का भारी रिसाव, इसी महीने पीएम को करना है उद्घाटन 

बांदीपोरा के मुख्य बागवानी अधिकारी मंसूर अहमद, जिन्हें खेतों का नीरिक्षण करने के लिए कहा गया था, ने कहा कि किशनगंगा जल परियोजना के आंशिक रूप से शुरू होने के बाद हुए रिसाव से लगभग 2.5 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है। उन्होंने बताया, “सबसे पहले, एनएचपीसी के मुख्य अभियंता ने बांदीपोरा के उपायुक्त खुर्शीद सानई को बताया कि पानी का रिसाव हो सकता है कि बागीचे के ऊपरी इलाके की सिंचाई नहर से हो रहा हो। उन छोटे रिसावों को भरने के बाद भी, पानी खेतों से बाहर निकलना बंद नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि एनएचपीसी अधिकारियों ने जब एचआरटी सुंरग से पानी के बहाव को रोका, तब जाकर बागीचे में आ रहे पानी में 30% से लेकर कई जगहों पर 70% तक की कमी आई।”

उपायुक्त खुर्शीद सनाई ने बताया कि रिसाव की जांच और नुकसान का आकलन करने के लिए एक समिति गठित की गई थी और जिसने अपनी रिपोर्ट जमा कर दी है। सनाई ने कहा, "पानी अभी भी बाहर निकल रहा है और हम जल्द ही इसे रोक पाने की उम्मीद कर रहे हैं। एनएनपीसी इस तरह के रिसावों से बचने के लिए और लीक को बंद करने और नहर को फिर से भरने के लिए काम कर रहा है।”

किशनगंगा जलबिजली परियोजना का निर्माण कर रही भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स (बीएचएल) के अनुसार बांदीपुरा जिले में झेलम नदी की सहायक किशनगंगा नदी पर स्थित 340 मेगावाट परियोजना की ये सभी तीन इकाइयां हर साल 1,350 मिलियन यूनिट (एमयू) स्वच्छ बिजली उत्पन्न करेंगी।

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