एनजीटी ने श्री श्री रविशंकर के ट्रस्ट की इमारत को गिराने का आदेश दिया
एनजीटी ने आर्ट ऑफ लीविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर के ट्रस्ट की कोलकाता स्थित एक इमारत को गिराने का आदेश दिया है। इमारत के निर्माण में पर्यावरण नियमों के उल्लंघन के लिए एनजीटी ने यह आदेश दिया है।
आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर के एक ट्रस्ट की कोलकाता स्थित एक इमारत को राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण यानी एनजीटी ने ढहाने का आदेश दिया है। आरोप है कि श्री श्री के वैदिक धर्म संस्थान ट्रस्ट ने पूर्वी कोलकाता में पर्यावरण नियमों का उल्लंघन कर एक इमारत का निर्माण किया है। एनजीटी पूर्वी कोलकाता डूब क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण को वैदिक धर्म संस्थान ट्रस्ट के सभी अवैध निर्माणों को ढहाने का आदेश दिया है। अपने आदेश में एनजीटी ने प्राधिकरण को हरित नियमों का उल्लंघन करने और डूब क्षेत्र का अवैध अतिक्रमण करने के लिए श्री श्री के ट्स्ट पर जुर्माना भी लगाने के लिए कहा है। पूर्वी कोलकाता डूब क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण पश्चिम बंगाल सरकार के पर्यावरण विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्था है।
एनजीटी ने पर्यवारण के मसले पर काम करने वाली कोलकाता स्थित एनजीओ पब्लिक द्वारा मई 2016 में दायर याचिका पर यह आदेश दिया है। पूर्वी कोलकाता डूब क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण ने टेंपल ऑफ नॉलेज के नाम से पूर्वी कोलकाता के डूबक्षेत्र में तीन मंजिला अवैध इमारत के निर्माण में पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने के लिए वैदिक धर्म संस्थान के खिलाफ पिछले साल प्राथमिकी दर्ज करवाई थी। 25 अक्टूबर के अपने आदेश में एनजीटी ने इमारत को तीन महीने के अंदर गिराने का आदेश देते हुए चौथे महीने के प्रथम सप्ताह में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।
कोलकाता के पूर्वी भाग का 12,500 हेक्टेयर डूब क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय महत्व के डूब क्षेत्रों में शामिल है। हालांकि अंधाधुंध शहरीकरण की वजह से यह क्षेत्र गंभीर खतरे में है। इसी क्षेत्र में वैदिक धर्म संस्थान ने तीन मंजिला इमारत का निर्माण किया था। आरोप है कि इस इमारत के निर्माण में ईस्ट कोलकाता वेटलैंड्स (कंजर्वेशन एंड मैनेजमेंट) एक्ट 2006 का गंभीर उल्लंघन किया गया है।
इससे पहले इमारत के निर्माण को फौरन रोकने के लिए प्राधिकरण ने श्री श्री रविशंकर के संगठन को कम से कम दो नोटिस भी जारी किया था। पहला नोटिस 2015 के अगस्त में और दूसरा सितंबर महीने में जारी किया गया था। इसके बावजूद इमारत का निर्माण बदस्तूर जारी रहा और पूरा होने पर वहां रविशंकर की संस्था द्वारा कई कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया।
कानून के मुताबिक कोलकाता के इस क्षेत्र में किसी भी नए निर्माण और भूमि के उपयोग में परिवर्तन पर रोक है, क्योंकि कोलकाता शहर के अस्तित्व के लिए इस क्षेत्र का संरक्षण बेहद जरूरी है।
इस बीच केंद्र सरकार ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वन सेवा के अधिकारियों को प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी श्री श्री रविशंकर को दी है। बेंगलुरु स्थित फाउंडेशन के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय में दिसंबर में आयोजित होने वाले एक सप्ताह के अनिवार्य प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में इन अधिकारियों को व्यक्तिगत उत्कृष्टता के लिए क्षमता निर्माण का प्रशिक्षण दिया जाएगा। सेवा प्रशिक्षण योजना के तहत 2016 में सूचीबद्ध आर्ट ऑफ लीविंग सभी अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के लिए नवंबर 2016 से अब तक इस तरह के तीन प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन कर चुका है। इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में ज्यादातर आईएएस अधिकारियों ने भाग लिया था। इस साल 18-22 दिसंबर के बीच श्री श्री रविशंकर की संस्था द्वारा आयोजित होने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम में पहली बार वन सेवा के अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
यहां गौर करने वाली बात यह है कि वन सेवा के अधिकारियों को प्रशिक्षण के लिए जिस संगठन में भेजा जा रहा है उस पर ही पर्यावरण उल्लंघन के कई गंभीर आरोप हैं। जिसके लिए एनजीटी ने आर्ट ऑफ लिविंग पर कई करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था। 11 से 13 मार्च 2016 के बीच आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा यमुना किनारे आयोजित विश्व संस्कृति महोत्सव से पर्यावरण को हुए नुकसान पर एनजीटी ने संस्था पर 5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। जिसमें से 25 लाख रुपये आर्ट ऑफ लिविंग ने 11 मार्च को कार्यक्रम से ठीक पहले अदा कर दिए थे। बाकी की रकम के लिए तीन हफ्ते का समय मिला था। लेकिन कार्यक्रम के बाद श्री श्री रविशंकर की संस्था आनाकानी करने लगी। बाद में एनजीटी की फटकार पड़ने पर आर्ट ऑफ लिविंग ने 1 मई को पर्यावरण क्षतिपूर्ति के तौर पर बाकी बचे 4 करोड़ 75 लाख रुपए ड्राफ्ट के जरिये डीडीए को अदा किये।
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