जम्मू-कश्मीर के दो टुकड़े होते ही बदल जाएगी विधानसभा की तस्वीर, केंद्र शासित प्रदेश बनने से ऐसे चलेगा प्रशासन
जम्मू-कश्मीर विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बन गया है। लद्दाख भी केंद्र शासित प्रदेश कहलाएगा, लेकिन वहां विधानसभा नहीं होगी। पुनर्गठन के बाद कश्मीर में इस साल के अंत तक चुनाव हो सकते हैं। राज्य में तीन जनवरी 2019 तक राष्ट्रपति शासन लागू है।
गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर सरकार का संकल्प पत्र पेश किया। अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश होंगे। राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पास हो गया। इसके पक्ष में 125 वोट पड़े, जबकि खिलाफ में 61 वोट पड़े। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर का बंटावार हो गया है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बन गया है। लद्दाख भी केंद्र शासित प्रदेश कहलाएगा, लेकिन वहां विधानसभा नहीं होगी। पुनर्गठन के बाद कश्मीर में इस साल के अंत तक चुनाव हो सकते हैं। राज्य में तीन जनवरी 2019 तक राष्ट्रपति शासन लागू है।
नई जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा में कुल 107 विधायक होंगे। इन 107 विधायकों में से 24 सीटें पाकिस्तान की कब्जे वाली कश्मीर (पीओके) के विधायकों के लिए खाली रखी जाएंगी। मौजूदा विधानसभा में 111 सदस्यों का प्रावधान है, जिसमें 87 चुने जाते हैं, 2 मनोनीत होते हैं और 24 पाकिस्तानी कब्जे वाली कश्मीर (पीओके) के लिए खाली छोड़ा जाता है। नए जम्मू-कश्मीर में उपराज्यपाल को 2 महिला सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार होगा, जब अगर उन्हें लगेगा कि विधानसभा में महिला सदस्यों के प्रतिनिधित्व का अभाव है। यही नहीं विधानसभा से जो भी विधेयक पास होगा, उसे मंजूरी देने, उसे अपने पास विचार के लिए रखने और राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भेजने का भी उपराज्यपाल के पास अधिकार होगा। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर में मुख्यमंत्री विधानसभा की सदस्यों की कुल संख्या के 10 फीसदी से ज्यादा मंत्रियों की नियुक्ति नहीं कर सकेंगे।
जम्मू-कश्मीर में पहले 87 विधानसभा सीटें थीं। लेकिन, लद्दाख को अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने के बाद चार सीटें कम हो सकती हैं। यानी अगर वर्तमान परिसीमन ही जारी रहता है तो जम्मू-कश्मीर में 83 विधानसभा सीटें होंगी।
बता दें कि 2014 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए चुनाव हुए थे। इस चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिली थी। 87 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनावों में पीडीपी को 28, बीजेपी को 25, नेशनल कांफ्रेंस को 15, कांग्रेस को 12 और अन्य को सात सीटें मिली थीं। बाद में पीडीपी ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई। पीडीपी-बीजेपी गठबंधन की सरकार तीन साल चल पाई। 2018 में बीजेपी ने समर्थन वापल ले लिया और महबूबा मुफ्ती की सरकार गिर गई। तब से कश्मीर में राष्ट्रपति शाषन है।
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