नागरिकता कानून के खिलाफ देश भर में जारी रहा बवाल, दिल्ली से ओडीशा और पूरे केरल तक पहुंची विरोध की आग
नागरिकता कानून के खिलाफ मंगलवार को भी लगभग पूरा देश उबाल पर रहा। पूर्वोत्तर राज्य असम के गुवाहाटी से लेकर दिल्ली और दक्षिण भारत के केरल तक इस कानून को लेकर हंगामा मचा रहा। वहीं, दिल्ली में जामिया के बाद आज सीलमपुर प्रदर्शन के दौरान हिंसक झड़प का शिकार हुआ।
नये नागरिकता कानून पर पूरे देश में इस समय बवाल मचा हुआ है। दोनों सदनों से पास होने के बाद नागरिकता संशोधन विधेयक के कानून बनने के बाद से देश के कई इलाकों में जारी विरोध-प्रदर्शन मंगलवार को भी जारी रहा और देश के कई दूसरे इलाकों में भी फैल गया। वहीं इस कानून के खिलाफ मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में विपक्षी दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की और उनसे सरकार को इस कानून को वापस लेने की सलाह देने की मांग की। इससे पहले जामिया में छात्रों पर पुलिस बर्बरता के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे कुछ वकीलो को उस समय निराशा हुई जब मुख्य न्यायाधीश ने मामले पर सुनवाई से इनकार करते हुए हाईकोर्ट जाने का निर्देश दिया।
राजधानी दिल्ली
बात प्रदर्शनों की करें तो मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली के सीलमपुर और जाफराबाद में प्रदर्शन ने हिंसक रुप ले लिया। सीलमपुर में हिंसक प्रदर्शन के दौरान भीड़ ने कई बसों पर पथराव कर तोड़फोड़ किया और एक पुलिस पोस्ट को आग के हवाले कर दिया। जाफराबाद में पुलिस और प्रदर्शनाकिरयों के बीच झड़प हुई। पुलिस ने भी भीड़ को काबू करने के लिए जमकर बल प्रयोग किया।
वहीं रविवार को पुलिस बर्बरता का शिकार हुए जामिया मिल्लिया इस्लामिया में आज भी लोगों का प्रदर्शन जारी रहा। मंगलवार की सुबह से ही हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए जामिया विश्वविद्यालय के मुख्य गेट के पास एकत्र हुए। हालांकि इस दौरान पूरा प्रदर्शन शातिंपूर्ण ही रहा। प्रदर्शनकारी अपने हाथों में तिरंगा और प्लेकार्ड लेकर नागरिकता कानून और मोदी सरकार के खिलाफ नारे लगाते नजर आए।
ओडीशा पहुंची विरोध की चिन्गारी
बात दिल्ली के बाहर की करें तों नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन की आंच मंगलवार को ओडिशा भी पहुंच गई। राजधानी भुवनेश्वर में लोगों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते हुए सीएम नवीन पटनायक से इस कानून पर अपना रुख साफ करने की मांग की। प्रदर्शन में शामिल लोग अपने हाथों में नागरिकता कानून और एनआरसी विरोधी पोस्टर थामे हुए थे। यह प्रदर्शन मार्च भुवनेश्वर के सत्यनगर मस्जिद से शुरू होकर सीएम नवीन पटनायक के आवास के पास जाकर खत्म हुई।
दक्षिण भारत भी उबाल में
वहीं इस कानून के खिलाफ दक्षिण भारत में केरल और तमिलानडु में भी मंगलवार को सड़कों पर उबाल देखने को मिला। केरल में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान कई जगहों पर राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) की बसों पर पथराव की घटनाएं सामने आईं। वहीं राज्य के कई शहरों में सड़कों से वाहन गायब रहे। उत्तरी केरल खास तौर पर कन्नूर और कोझिकोड में सुबह से सड़कें खाली रही। प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस ने कई लोगों को सुबह से ही हिरासत में ले लिया था।
एक और भारतीय राज्य तमिलनाडु में भी मंगलवार को कई जगहों पर प्रदर्शन हुए। चेन्नई में डीएमके नेता कनिमोझी, दयानिधि मारन और एमके स्टालिन ने पार्टी नेताओं के साथ मिलकर नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया। स्टालिन ने कांचीपुरम में पार्टी नेताओं के साथ नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया और कहा कि एआईएडीएमके के सांसदों ने नागरिकता कानून के समर्थन में वोट किया। उसकी वजह से आज देश जल रहा है। इस बीच मुस्लिम जमात काउंसिल ने एआईएडीएमके के राज्यसभा सांसद ए मोहम्मद जॉन को नागरिकता बिल के पक्ष में वोट करने के लिए निकाल दिया। वहीं इस कानून का विरोध करते हुए अभिनेता कमल हासन ने इसे केंद्र सरकार की तानाशाही करार दिया है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र इस समय आईसीयू में है।
पश्चिम बंगाल में तीखा विरोध
पश्चिम बंगाल की बात करें तो मंगलवार को पांचवें दिन भी राज्य में प्रदर्शन जारी रहा। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने राज्य के कई हिस्सों में सड़क और रेल पटरियां जाम कर दीं। वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जाधवपुर में एक विरोध मार्च निकाला। इस दौरान उन्होंने कहा कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों का जो उत्पीड़न किया गया हम उसकी निंदा करते हैं, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। इस दौरान ममता बनर्जी ने नारा दिया- 'नो कैब, नो एनआरसी इन बंगाल।'
उत्तर प्रदेश में अलर्ट
इस बीच दिल्ली के जामिया और अलीगढ़ और लखनऊ में हुए बवाल के बाद नागरिकता कानून के विरोध की आग उत्तर प्रदेश के दूसरे जिलों में भी पहुंचने लगी है। सोमवार को पूर्वांचल के मऊ जिले में हुई हिंसा के बाद कई जगहों पर धारा 144 लगा दी गई है। मेरठ और संभल समेत कई जिलों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है और प्रशासन हालात पर पैनी निगाह रखे हुए है। कई जगहों पर पुलिस अधिकारियों ने पैदल मार्च किया। पूरे राज्य में हालात तनापूर्ण बने हुए हैं।
पंजाब में सिख संगठन भी विरोध में
विदेशी सिखों के प्रभावशाली संगठन और पंजाब में बादलों की अगुवाई वाले शिरोमणी अकाली दल के प्रतिद्वंदी सिख व पंथक संगठनों और अकाली दलों ने खुलकर केंद्र के नागरिकता संशोधन कानून का विरोध शुरू कर दिया है। एनआरआई और पंजाब के सिखों में अच्छी पैठ रखने वाली 'वर्ल्ड सिख पार्लिमेंट' ने न्यूयॉर्क में की गई आपात बैठक में तमाम सिखों को इस कानून का पुरजोर विरोध करने और इसके खिलाफ लामबंद होने की अपील जारी की है। वर्ल्ड सिख पार्लिमेंट का मुख्यालय न्यूयॉर्क में है और शाखाएं कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, जर्मन व इटली आदि देशोंं में हैं।
पूर्वोत्तर भारत में फिलहाल शांति
नागरिकता कानून के खिलाफ सबसे पहले उबलने वाले पूर्वोत्तर राज्यों की बात करें तो तुलनात्म तौर पर मंगलवार को यहां शांति रही। असम के गुवाहाटी में लगा कर्फ्यू मंगलवार को हटा लिया गया। इस बीच, शिलांग में मंगलवार को कर्फ्यू में 13 घंटे की ढील दी गई। हालांकि दोनों राज्यों में मोबाइल संदेश सेवाओं पर अब भी रोक है। सिर्फ असम में हुए प्रदर्शनों में बुधवार तक पांच लोगों की जान जा चुकी थी।
बीएसपी और शिवसेना भी उतरे विरोध में
इस बीच मंगलवार को बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने भी नागरिकता कानून पर बयान दिया। उन्होंने कहा कि वह केंद्र सरकार से इस असंवैधानिक कानून को वापस लेने की मांग करती हैं, अन्यथा भविष्य में इसके नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं। उन्हें आपातकाल जैसे हालात पैदा नहीं करने चाहिए। वहीं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने रविवार को जामिया मिलिया इस्लामिया में पुलिस बर्बरता को लेकर बड़ा बयान देते हुए कहा कि जामिया में जो हुआ वह जलियावाला बाग की तरह है। छात्र युवा बम की तरह हैं। हम केंद्र सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह छात्रों के साथ ऐसा न करें।
गृहमंत्री अमित शाह अपने हठ पर कायम
वहीं देश के गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को एक बार फिर अपनी हठधर्मिता दिखाते हुए कहा कि लोग चाहे जो कर लें, मोदी सरकार नागरिकता कानून वापस नहीं लेने वाली है। नागरिकता कानून को लेकर विपक्ष के विरोध को उन्होंने साजिश करार दिया और कहा कि इस मुद्दे पर विपक्ष देश की जनता को गुमराह कर रहा है। हालांकि, उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि साफ करना चाहता हूं कि इस कानून में देश के किसी भी समुदाय के व्यक्ति से नागरिकता लेने का सवाल ही पैदा नहीं होता। इस कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
(पंजाब से अमरीक के इनपुट के साथ)
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