बीजेपी के खौफ से मुस्लिम लड़कियां पढ़ाई छोड़ने को मजबूर
देश में जब से बीजेपी की सरकार आई है, तब से यहां के मुसलमान एक खौफ के माहौल में जीने को मजबूर हैं। डर और असुरक्षा का आलम ये है कि इस समुदाय की लड़कियां बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हैं।
इन दिनों तीन तलाक, दकियानूसी सोच और पिछड़ेपन का आरोप झेल रहे मुस्लिम समुदाय के लिए बीजेपी सरकार में जीना मुहाल हो गया है। केंद्र में बीजेपी की सरकार आने के बाद से लगातार खौफ और असुरक्षा में जी रहे इस समुदाय के लिए विकास और शिक्षा की बात करना बेमानी सा है। खासकर लड़कियों की शिक्षा की बात करना तो जले पर नमक छिड़कने जैसा है। केंद्र के बाद यूपी में भी जब से बीजेपी की सरकार आई है, इस समुदाय के लिए हालात और बदतर होते जा रहे हैं। अपनी सुरक्षा को लेकर यह समुदाय इस कदर खौफ में है कि कई मां-बाप ने अपनी लड़कियों की पढ़ाई छुड़वा दी। समुदाय के ज्यादातर अभिभावक अपनी बच्चियों को स्कूल भेजने से डर रहे हैं।
यूनेस्को की रिपोर्ट के अनुसार, 2016 में भारत के 4.7 करोड़ बच्चों ने 10वीं और 12वीं करने से पहले ही स्कूलों को छोड़ दिया। इन आंकड़ों को मुसलमानों पर लागू करें तो पता चलता है कि पढ़ाई छोड़ने वालों में मुस्लिम लड़कियों की संख्या सबसे ज्यादा है(सच्चर कमिटी की रिपोर्ट के मुताबिक)।
ऐसी ही लड़कियों के बीच काम कर रहीं सामाजसेवी शबनम हाशमी का कहना है कि मुसलमानों के अंदर आज एक अलग तरह की दहशत है। उन्होंने कहा:
अखलाक और जुनैद की भीड़ द्वारा हत्या के बाद से इस समुदाय के मां-बाप अपने जवान बेटे को बाहर भेजने से डर रहे हैं। ऐसे हालात में लड़कियों को घर के बाहर भेजने पर उनके दिल पर क्या गुजरती होगी, इसको आसानी से समझा जा सकता है।
शबनम हाशमी ने कहा, बेशक कांग्रेस की सरकार में भी मुसलमानों की शिक्षा पर कोई खास ध्यान नहीं दिया गया, लेकिन उस दौर में कम से कम उसे खौफ में नहीं जीना पड़ता था।
दिल्ली से महज 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रामपुर, केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का गृह नगर है। यहां की रहने वाली आरिफा को इसी खौफ की वजह से अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी थी। आरिफा आज दिल्ली में है और एक स्वयंसेवी संस्था ‘पहचान’ के जरिये उसने ठीक-ठाक शिक्षा हासिल कर ली है। लेकिन रामपुर की बाकी अल्पसंख्यक लड़कियों की किस्मत उस जैसी नहीं है।
आरिफा ने साफतौर पर कहा कि उत्तर प्रदेश में जब से बीजेपी की सरकार आई है, तब से मुस्लिम समुदाय खौफजदा है और इसकी वजह से मुसलमान माता-पिता अपनी लड़कियों को स्कूल भेजने से डर रहे हैं।
ऐसे हालात सिर्फ रामपुर में ही नहीं हैं। राजधानी दिल्ली में केंद्र की मोदी सरकार की नाक के नीचे भी हालात कोई बेहतर नहीं बल्कि गंभीर रूप से चिंताजनक हैं। दिल्ली के बाहरी इलाके में स्थित जैतपुर गांव की रहने वाली 12वीं की छात्रा अमरीन को भी इसी खौफ की वजह से अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। अमरीन ने बताया, बीजेपी की सरकार आने के बाद से जैतपुर में मुसलमानों को अलग नजरों से देखा जाने लगा है। जब हम नकाब पहनकर बाहर निकलते हैं तो हमें हिकारत से देखा जाता है, लेकिन जब हम बगैर पर्दे के निकलते हैं, तो लोगों की गिद्ध दृष्टि हमें तार-तार कर देती है। अमरीन ने कहा कि इस सरकार में वह बिल्कुल सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं।
12वीं कक्षा की छात्रा गुलशन कहती हैं कि मोदी सरकार हमारी कमियां देखती है, हमारी अच्छाइयों को नहीं। गुलशन ने कहा, “कांग्रेस सरकार में कम से कम लोग हमें इस कदर परेशान नहीं करते थे। मोदी सरकार ने कभी भी मुसलमानों की शिक्षा के बारे में नहीं सोचा। वे कभी तीन तालाक की बात ले आते हैं तो कभी राम मंदिर की। हमें सिर्फ मुद्दों से भटकाया जा रहा है।” कभी बीच में पढ़ाई छोड़ चुकीं 25 साल की मुबीना अब पहचान के जरिये फिर से पढ़ाई कर रहीं हैं। मुबीना ने बताया कि उनके इलाके में कोई स्कूल नहीं है। पढ़ने के लिए 5 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था, लेकिन दंगे-फसाद की वजह से पढ़ाई छोड़नी पड़ी।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ से सांसद रमेश वैश्य के नेतृत्व में लोकसभा की एक स्टैंडिंग कमिटी ने सच्चर कमिटी की रिपोर्ट के मद्देनजर पिछले साल केंद्र सरकार से सिफारिश की थी कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय तीन महीने के अंदर इस बात की पड़ताल करे कि क्यों बीच में पढ़ाई छोड़ने वालों में मुस्लिम लड़कियों का प्रतिशत सबसे ज्यादा है। लेकिन इसका दुखद पहलू यह है कि एक साल बीत जाने के बाद भी मोदी सरकार ने इस सिफारिश पर कार्रवाई करना तो दूर, बात करना भी मुनासिब नहीं समझा है।
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