विपक्ष के गठबंधन की मजबूती से कांपने लगी है मोदी सरकार, अजित डोवाल बोले, और चाहिए 10 साल
मोदी सरकार को 2019 में सत्ता जाने का डर अंदर तक सता रहा है और उसे चुनाव में गठबंधन सरकार की आहट सुनाई देने लगी है। इसीलिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल ने गठबंधन सरकार को नुकसानदेह बताते हुए कहा है कि देश को अगले 10 साल तक मजूबत सरकार चाहिए।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल को आशंका है कि अगर देश में गठबंधन सरकार आई तो देश का नुकसान हो जाएगा। उन्होंने गुरुवार को दिल्ली में आयोजित सरदार पटेल मेमोरियल में बोलते हुए कहा कि, “भारत को एक मजबूत, स्थिर और फैसले लेने वाली सरकार की अगले 10 वर्षों तक जरूरत है। कमजोर गठबंधन देश के लिए बुरा होगा।” उन्होंने तर्क दिया कि, ”अगर हमें बड़ी शक्ति बनना है तो हमारी अर्थव्यवस्था भी बड़ी होनी चाहिए।”
गठबंधन सरकार की आशंका और अर्थव्यवस्था पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का बोलना यूं तो हैरत में डालता है, लेकिन जिस तरह मोदी सरकार के हर जरूरी फैसले और नीति निर्माण में उनकी भूमिका सामने आती रही है, उससे सरकार में अंदरखाने चल रही चर्चा और आशंकाओं का संकेत मिलता है।
अगर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार गठबंधन सरकारों की कमजोरी की तरफ इशारा करते हैं, तो इसका अर्थ यही है कि सरकार में अंदरखाने यह चर्चा जोर पकड़ चुकी है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में विपक्ष का मजूबत गठबंधन मोदी सरकार को बेदखल कर सकता है। इसके अलावा अजित डोवाल का अर्थव्यवस्था पर ज्ञान देना भी संकेत देता है कि देश की मौजूदा आर्थिक हालत सरकार के लिए परेशानी का सबब है और इससे उबरने का उसे रास्ता नहीं सूझ रहा।
सीबीआई में जारी भूचाल और सीबीआई के पदमुक्त निदेशक की जासूसी की तरफ इशारा करते हुए अजित डोवाल ने सफाई दी कि एजेंसियां देश की रखवाली करती हैं न कि नेताओं की कठपुतली की तरह काम करती हैं। उन्होंने कहा, “हम पर जनता के प्रतिनिधियों का नहीं, उनके बनाए कानूनों का शासन है, इसलिए कानून का राज बेहद अहम है।”
अजित डोवाल ने निजी क्षेत्र की वकालत भी की। उन्होंने कहा, “चीन में अलीबाबा तेजी से बड़ी कंपनी बनी है, क्योंकि चीन सरकार ने उसकी मदद की। हमें भारतीय प्राइवेट कंपनियों की मदद करते हुए उन्हें बढ़ावा देना होगा।”
यहां गौरतलब है कि ई वालेट कंपनी पेटीएम में अलीबाबा की हिस्सेदारी आधे से भी ज्यादा है। नवंबर 2016 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था, तो चंद घंटों में ही देश के सभी प्रमुख अखबारों के पहले पन्ने पर पूरे पेज का विज्ञापन देकर पेटीएम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी थी। नोटबंदी के बाद से ही पेटीएम का कारोबार तेजी से बढ़ा था।
संभवत: नोटबंदी के फैसले के संदर्भ में ही अजित डोवाल ने कहा, “कई बार राष्ट्रीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए लोकप्रियवादिता को छोड़ना पड़ता है। इससे कुछ समय के लिए लोगों को दिक्कतें होती हैं।”
अपने भाषण में अजित डोवाल ने राफेल सौदे को लेकर उठ रहे विवाद का नाम लिए बिना कहा कि मौजूदा सरकार की नीति यही है कि “रक्षा उपकरणों की खरीद में सौ फीसदी तकनीक हस्तांतरण यानी टेक्नालॉजी ट्रासंफर हासिल किया जाए।”
यहां ध्यान देने की जरूरत है कि अजित डोवाल यूं तो प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं, लेकिन सरकार के हर अहम फैसले में उनकी भूमिका होती है। हाल ही में ‘मीटू’ मुहिम में बात जब विदेश राज्यमंत्री एम जे अकबर के इस्तीफे की आई, तो इसके लिए अजित डोवाल से ही मध्यस्थ के तौर पर संदेशों का आदान-प्रदान कराया गया था। एम जे अकबर के इस्तीफे से एक दिन पहले ही डोवाल ने अकबर से मुलाकात की थी।
इसी महीने मोदी सरकार ने सरकार के नीति निर्माण के मामले में अहम भूमिक निभाने वाले स्ट्रैटेजिक पॉलिसी ग्रुप का मुखिया भी अजित डोभाल को बना दिया है। इससे पहले इस ग्रुप के मुखिया कैबिनेट सचिव हुआ करते थे। यह समूह 1999 में बना था और इसका काम नेशनल सिक्यूरिटी काउंसिल यानी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद को बाहरी, आंतरिक और आर्थिक सुरक्षा के मुद्दों पर मदद करना था। मोदी सरकार ने 11 सितंबर को एक अधिसूचना जारी कर इसका अध्यक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को बना दिया था। इस अधिसूचना को 8 अक्टूबर को गजेट में प्रकाशित भी कर दिया गया था।
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