जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का कांग्रेस, जेडीयू सहित कई दलों ने किया विरोध, जानिए किस-किस ने किया समर्थन
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में जम्मू और कश्मीर से जुड़े कई बड़े एलान किए। सबसे पहले धारा 370 के सभी प्रावधानों को हटाने का ऐलान किया गया। गृहमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति के आदेश के बाद यह नियम लागू कर दिया जाएगा।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में जम्मू और कश्मीर से जुड़े कई बड़े एलान किए। सबसे पहले धारा 370 के सभी प्रावधानों को हटाने का ऐलान किया गया। गृहमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति के आदेश के बाद यह नियम लागू कर दिया जाएगा। यानी पिछले 70 वर्षों से जो व्यवस्था जम्मू-कश्मीर में चली आ रही थी, उसे खत्म करने की सिफारिश मोदी सरकार ने की है। जम्मू-कश्मीर राज्य के पुनर्गठन की भी घोषणी की गई है। इसके तहत अमित शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अब केंद्र शासित प्रदेश के रूप में जाने जाएंगे।
मोदी सरकार के इस फैसले का कई दलों ने विरोध किया है। वहीं कई दल इसका समर्थन भी कर रहे हैं। एआईएडीएमके, बीजू जनता दल, शिवसेना, बीएसपी, वाईएसआर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी ने जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार प्रदान करने वाली संविधान की इस अुच्छेद को हटाने का समर्थन किया। हालांकि, कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी (सीपीआईएम), समाजवादी पार्टी, एनसीपी, राष्ट्रीय जनता दल और डीएमके ने इसका कड़ा विरोध किया।
कांग्रेस नेता और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, “महाराज हरि सिंह समेत जितने भी लोग हुए उन्होंने हिंदुस्तान पर भरोसा किया था और संधि की। लेकिन आज मोदी सरकार ने राज्य से अनुच्छेद-370 हटाकर उनके साथ विश्वासघात किया है।”
बीजेपी की प्रमुख सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) ने धारा 370 को खत्म करने के प्रस्ताव का विरोध किया, जो जम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा देता है। राज्यसभा में पार्टी के नेता राम नाथ ठाकुर ने कहा कि जद-यू ने हमेशा कश्मीर मुद्दे को बातचीत से हल करने का पक्ष लिया है। उन्होंने कहा, "मैं पार्टी और हमारे नेता नीतीश कुमार की ओर से गृह मंत्री द्वारा लाए गए बिलों का बहिष्कार करना चाहता हूं।" उन्होंने कहा कि 1996 से यह निर्णय लिया गया था कि सभी विवादास्पद मुद्दों को अदालत के आदेश या बातचीत के माध्यम से सुलझाया जाएगा।
वहीं, आरजेडी ने संविधानी की अुच्छेद 370 हटाए जाने का विरोध करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय का इतिहास जानते हैं। आज कश्मीर को फिलिस्तीन बनाने का फैसला हुआ।सीपीआई(एम) ने सरकार के फैसले का विरोध करते हुए इसे गैर-संवैधानिक करार दिया। पार्टी सांसद टीके रंगराजन ने कहा कि हमारी पार्टी ने चुनाव से पहले ही कहा था कि बीजेपी-आरएसएस संविधान को खत्म कर देंगे। आज वही हुआ। डीएमके ने भी केंद्र सरकार के इस फैसले को लोकतंत्र की हत्या करार दिया है। एनसीपी ने भी सरकार के इस फैसले का विरोध किया है।
हालांकि, कई दलों ने मोदी सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के संकल्प का स्वागत करते हुए सोमवार को कहा कि 'जम्मू कश्मीर सही मायनों में आज भारत का अभिन्न अंग बना है।' पार्टी सांसद प्रसन्न आचार्य ने कहा कि इस फैसले से भारत माता की ताकत बढ़ी है।' उन्होंने कहा, 'हम उस दिन का इंतजार कर रहे हैं जब पाकिस्तान के अधीन वाले कश्मीर के हिस्से को भारत में मिलाया जाएगा।' उन्होंने कहा, 'हम भले ही क्षेत्रीय दल हैं और क्षेत्रीय आकांक्षाएं रखते हैं किंतु जब देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा की बात हो तो हम पूरे देश के साथ हैं।' आचार्य ने कहा, 'इस इस संकल्प का स्वागत करते हैं। जम्मू कश्मीर सही मायनों में आज भारत का अभिन्न अंग बना है।'
बहुजन समाज पार्टी ने भी जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का स्वागत किया है। बीएसपी सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि चूंकि अुच्छेद 370 खत्म होने से पूरे देश के मुस्लिमों को जम्मू-कश्मीर में बसने और वहां प्रॉपर्टी बनाने का अधिकार होगा, इसलिए पार्टी प्रमुख मायावती ने इसका समर्थन करने का फैसला किया। वहीं शिवसेना ने सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि सही मायने में जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय आज ही हुआ।
वहीं, आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अुच्छेद 370 हटाने के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'हम जेऐंडके पर सरकार के फैसले का समर्थन करते हैं। उम्मीद है कि इससे राज्य में शांति और खुशहाली आएगी।'
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