वादा करके मुकर गई मोदी सरकार, बीएसएनल पर बनाया 4जी स्पेक्ट्रम फीस के पूरे 10,000 करोड़ देने का दबाव
केंद्र की मोदी सरकार बीएसएनल से किए गए वादे से मुकर गई है। सरकार ने अब 4 जी स्पेक्ट्रम फीस के पूरे 10,000 करोड़ जमा कराने का सरकारी टेलीकॉम कंपनी पर दबाव बनाया है। पिछले महीने सरकार ने वादा किया था कि इस फीस का आधा वह वहन करेगी और बाकी का भुगतान बीएसएनल के शेयरों से दिया जाएगा।
बीएसएनल अधिकारियों का कहना है कि सरकार ने बीएसएनल को 4जी स्पेक्ट्रम फीस के 10,000 करोड़ रुपए खुद जमा करने को कहा है। इस मामले से जुड़े सूत्रों ने नेशनल हेरल्ड को बताया कि पिछले महीने ही मोदी सरकार ने वादा किया था कि 4जी स्पेक्ट्रम फीस का आधा हिस्सा सरकार देगी और बाकी बीएसएनल को देना होगा। लेकिन अब वह इससे मुकर रही है।
दरअसल बीते दो साल से बीएसएनल की केंद्र सरकार के साथ 4जी स्पेक्ट्रम को लेकर लंबी लड़ाई चल रही है। केंद्रीय संचार राज्य मंत्री के साथ पिछले साल 3 दिसंबर को हुई बीएसएनल कर्मचारियों की जो बातचीत हुई थी, उसमें सरकार सैद्धांतिक रूप से 4जी स्पेक्ट्रम फीस का आधा हिस्सा वहन करने को तैयार हो गई थी। इस बातचीत में यह भी तय हुआ था कि बाकी का आधा यानी करीब 5,000 करोड़ बीएसएनएल अपने शेयरों के जरिए चुकाएगी।
लेकिन अफसरों का कहना है कि अब सरकार ने इस वादे से हाथ खींच लिए हैं और अब वह स्पेक्ट्रम फीस के भुगतान को साझा करने के लिए तैयार नहीं है। सूत्रों का कहना है कि, “हमने सरकार के सामने प्रस्ताव रखा था कि बीएसएनल अपने शेयरों के माध्यम से 5000 करोड़ रुपए जुटाएगा। बाकी का पैसा सरकार पूंजी निवेश के जरिए वहन करेगी।” सूत्रों के मुताबिक 4जी स्पेक्ट्रम फीस लगभग 10,000 करोड़ रुपए है।
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने सरकारी टेलीकॉम कंपनी को आधुनिक तकनीक से वंचित रखा है। बीएसएनल लंबे समय से 4जी स्पेक्ट्रम दिए जाने की मांग करता रहा है। सूत्रों के मुताबिक, “बीएसएनल को 4जी स्पेक्ट्रम देने में सबसे बड़ा रोड़ा वित्त मंत्रालय और नीति आयोग ने लगाया है। खासतौर से नीति आयोग का मानना है कि बीएसएनल 4जी स्पेक्ट्रम के लायक नहीं है, क्योंकि यह घाटे में रहने वाली सरकारी कंपनी है।” सूत्रों का कहना है कि, “सरकार से किसी भी किस्म की मदद न मिलने के बावजूद हमारे उपभोक्ताओं का संख्या लगातार बढ़ती रही है”
ऑल यूनियन एंड एसोसिएशन ऑप बीएसएनल – एयूएबी के महासचिव प्रहलाद राय बताते हैं कि दूरसंचार नियामक प्राधिकरण यानी टीआरएआई के आंकड़ों से स्पष्ट है कि सिर्फ 3 जी सेवाएं देने के वाबजूद बीएसएनल को लगातार नए उपभोक्ता मिल रहे हैं। उन्होंने बतायाकि बीएसएनल ने अपनी बीते तीन साल में अपनी वित्तीय स्थिति भी बेहतर की है। उन्होंने बताया कि, “2014-15 में बीएसएनएल का घाटा 8,234 करोड़ था जो 2015-16 में घटकर 3,880 करोड़ रह गया है। बीएसएनल ने बीते तीन साल में क्रमश: 672 करोड़, 2854 करोड़ और 1684 करोड़ का ऑपरेशनल मुनाफा कमाया है।”
नेशनल हेरल्ड से बातचीत में राय ने बताया कि, “सरकार हमें 4जी नहीं दे रही है, ऐसे मं हम सिर्फ 3जी सेवाएं ही दे पा रहे हैं। इसके बावजूद हमारे 3जी की स्पीड उन निजी टेलीकॉम कंपनियों के 4जी के बराबर है, जिनका यह सरकार साथ दे रही है।” उनका कहना है कि अगर बीएसएनल को 4जी स्पेक्ट्रम नहीं मिला तो वह बाजार के बाकी सेवा प्रदाताओं के साथ स्पर्धा नहीं कर पाएगी।
राय ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि सार्वजनिक तौर पर सरकार ने झूठा बोला है कि उसने हमारी मांगे मान ली हैं। पिछले महीने बीएसएनल के करीब 2 लाख कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान किया था, जिसके बाद केंद्रीय संचार राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने दखल दिया था।
राय ने बताया कि, “हमें अभी तक रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले 30 फीसदी लाभ का फायदा नहीं मिला है, जबकि सरकारी कर्मचारियों के लिए ऐसी व्यवस्था की सलाह सरकार को दी गई थी।”
राय ने बताया कि यूनियन शुक्रवार (25 जनवरी) को बैठक कर आगे की रणनीति तय करेगी ताकि सरकार के वादे से मुकरने के बाद के हालात से निपटा जा सके। उन्होंने बताया कि, “अगर हम हड़ताल पर चले गए तो बीएसएनल के सारे ऑपरेशन प्रभावित होंगे।”
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