रेलवे की कीमती जमीन बिकेगी कौड़ियों के भाव, मोदी सरकार कर रही तैयारी!
रेलवे की ज्यादातर जमीन छोटे-बड़े शहरों के बीचों बीच है। संसद की लोक लेखासमिति (पीएसी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे के पास 4 लाख 58 हजार 588 हेक्टेयर जमीन है। इनमें से 46 हजार 409 हेक्टेयर भूमि खाली पड़ी है, जबकि 931 हेक्टेयर पर अवैध कब्जा है।
केंद्र की मोदी सरकार ने रेलवे और उसकी संपत्तियों को निजी हाथों में देना का खाका तैयार कर लिया है। सरकार की नजर रेलवे की जमीन पर है। देश भर में फैली विभिन्न मंत्रालयों और सार्वजनिक उपक्रमों की बहुमूल्य जमीन पर केंद्र सरकार की नजर पहले से लगी हुई थी। लेकिन पहली बार सरकार ने संसद में आधिकारिक घोषणा करते हुए इस जमीन का निजी क्षेत्र की मदद से व्यावसायिक इस्तेमाल करने की घोषणा की। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में स्पष्टकर दिया कि सरकारी जमीन के विकास के लिए निजी क्षेत्र का सहयोग लिया जाएगा। देश में सबसे अधिक जमीन सेना और रेलवे के पास है। इसके अलावा एयर इंडिया, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया और अन्य सार्वजनिक उपक्रमों की बहुमूल्य जमीन शहरों में पड़ी हैं।
रेलवे की ज्यादातर जमीन छोटे-बड़े शहरों के बीचों बीच है। संसद की लोक लेखासमिति (पीएसी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे के पास 4 लाख 58 हजार 588 हेक्टेयर जमीन है। इनमें से 46 हजार 409 हेक्टेयर भूमि खाली पड़ी है, जबकि 931 हेक्टेयर पर अवैध कब्जा है। मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने जुलाई, 2015 में जमीन 40 से 99 साल की लीज पर देने का फैसला किया था। तब ही केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा था कि रेलवे कीजमीन को अधिकतम 99 साल की लीज पर दिया जा सकेगा। पीपीपी मॉडल में स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए इंडियन रेलवे स्टेशन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन का गठन पहले ही किया जा चुका है। रेलवे जमीन पर होटल, रेस्त्रां, कमशिर्यल कॉम्पलेक्स, फूड प्लाजा का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा बिल्डर रेलवे की जमीन पर बहुमंजिला इमारतें बनाकर बेच सकेंगे।
इसे भी पढ़ें: मुनाफा कमा रहे तीन एयरपोर्ट अडानी को देकर आखिर मोदी सरकार ने कर दी अपनी नीयत साफ
किस तरह का पुनर्विकास!
सुविधाओं के नाम पर यात्रियों से मनमानी वसूली शुरू भी हो चुकी है। उदाहरण के लिए, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर वेटिंग हॉल शुल्क लेना शुरू कर दिया गया है। यह 10 से लेकर 50 रुपये प्रति घंटा है। इसमें सामान्य कुर्सी और सोफे के रेट अलग-अलग हैं। इसके अलावा कुछ समय के बाद दरें बढ़ती जाएंगी।
अगर गाड़ी लेट है तो हो सकता है कि रेल किराये से अधिक यात्री को वेटिंग हॉल में ठहरने का किराया देना पड़ जाए। वहीं, पार्किंग की दरें भी पहले से कहीं अधिक कर दी गई हैं। वैसे, यह स्टेशन सरकार की पुनर्विकास योजना में अभी शामिल नहीं हुआ है।
इसे भी पढ़ें: सरकारी बिग बाजार में ‘सेल’: मुनाफा कमा रहे तीन स्टील प्लांट बेचने की तैयारी में मोदी सरकार
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
- Modi government
- मोदी सरकार
- भारतीय रेल
- Indian Railways
- भारतीय रेवले
- नीजि हाते में भरतीय रेल
- भारतीय रेल का निजीकरण
- Privatization of India Railway