लोकतंत्र के हर खंभे पर वार कर रही मोदी सरकार, जबरन चुप कराने से हल नहीं होंगी समस्याएं: सोनिया गांधी
सोनिया गांधी ने कहा कि मोदी सरकार भारतीय लोकतंत्र के तीनों स्तंभों… विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को ध्वस्त कर रही है।
कांग्रेस नेता और यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला है। सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर केंद्र की एजेंसियों का दुरुपयोग करने, संसद में विपक्ष की आवाज दबाने, मीडिया पर दबाव बनाने, न्यायपालिका की विश्वसनीयता को कमजोर करने का प्रयास करने का आरोप लगाया। द हिंदू में लिखे लेख में सोनिया गांधी ने महंगाई, बेरोजगारी और किसानों के मुद्दे पर भी मोदी सरकार पर भी हमला बोला है। कांग्रेस नेता ने मोदी सरकार पर विपक्ष के सीबीआई का दुरुपयोग करने और मीडिया पर काबू करने के आरोप भी लगाए।
अपने लेख में सोनिया गांधी ने कहा, “लोकतंत्र और लोकतांत्रिक जवाबदेही के प्रति मोदी सरकार की नफरत परेशान करने वाली है। भारत के लोग जान गए हैं कि प्रधानमंत्री के काम, उनके बारे में बयानों से ज्यादा अच्छे से बताते हैं। विपक्ष पर गुस्सा निकालना हो या फिर आज की खराबी के लिए पिछले नेताओं को दोष देना हो, प्रधानमंत्री के बयान सिवाय दबाव वाले मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए उनकी जुबानी कसरत के कुछ नहीं है। दूसरे और उनके काम, सरकार के असर इरादों के बारे में सब कुछ बता देते हैं।“
सोनिया गांधी ने कहा कि मोदी सरकार भारतीय लोकतंत्र के तीनों स्तंभों… विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को ध्वस्त कर रही है। उन्होंने विपक्षी एकजुटता की पैरवी करते हुए कहा कि उनकी पार्टी संविधान की रक्षा के लिए समान विचार वाले सभी दलों के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है। सोनिया गांधी ने आगे कहा, “पिछले कुछ महीनों में हमने देखा है कि पीएम मोदी और उनकी सरकार लोकतंत्र और लोकतांत्रिक जवाबदेही के प्रति भीतर तक घर कर गई अपनी नफरत का प्रदर्शन करते हुए उठाए गए कदमों के जरिए भारतीय लोकतंत्र के तीनों स्तंभों विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को ध्वस्त कर रही है।“ उन्होंने कहा, “हमारी लड़ाई लोकतंत्र को बचाने की और लोगों की आवाज की रक्षा करने की है। कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल के तौर पर अपने कर्तव्य को समझती है और समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है।” उन्होंने बीजेपी पर संसद को नहीं चलने देने का आरोप लगाते हुए कहा, “विपक्ष बेरोजगारी, महंगाई, सामाजिक विभाजन जैसे जनता के मुद्दे नहीं उठा पाए इसलिए सरकार ने रणनीति के तहत संसद को चलने नहीं दिया। उनकी कोशिश रही कि बजट, अडानी घोटाला और कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा न हो पाए, इसलिए सत्ता पक्ष संसद में हंगामा करता रहा।”
कांग्रेस नेता ने कहा कि मोदी सरकार ने कुछ ऐसे अप्रत्याशित कदम उठाए जिसे सीधे-सीधे लोकतंत्र पर हमला करार दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने संसद की कार्यवाही से भाषणों के अंश हटाने, संसद सदस्यों पर हमला करने और बहुत तेज गति से उन्हें सदस्यता से अयोग्य ठहराने जैसे कई ऐसे कदम उठाए जो अप्रत्याशित थे। सोनिया ने कहा कि 45 लाख करोड़ रुपये के बजट को बिना चर्चा के पारित कर दिया गया और वित्त विधेयक को लोकसभा के जरिए पारित कराया गया और तब प्रधानमंत्री अपने संसदीय क्षेत्र में परियोजनाओं के उद्घाटन में व्यस्त थे। उन्होंने कहा कि 95 फीसदी राजनीतिक मामले विपक्षी पार्टियों के खिलाफ दर्ज हैं। इससे साफ पता चलता है कि विपक्षी की आवाज को दबाने के लिए मोदी सरकार केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो और अन्य एजेंसियों का दुरुपयोग करती है।
सोनिया गांधी ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, “पीएम सत्य और न्याय की बात करते हैं, लेकिन सच तो यह है कि उनके करीबी उद्योगपतियों के खिलाफ वित्तीय जालसाजी के मामले को नजरअंदाज कर दिया जाता है। उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। मेहुल चोकसी जैसे भगोड़ों के खिलाफ इंटरपोल का नोटिस वापस ले लिया जाता है। बिलकिस बानो के बलात्कारियों को रिहा कर दिया जाता है जो बीजेपी के नेताओं के साथ मंच साझा करते हैं।” जनता के मुद्दों पर पीएम मोदी की चुप्पी को लेकर भी सोनिया गांधी ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि चुप्पी साधने से भारत की समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता। कांग्रेस नेता ने कहा, “पीएम मोदी अपनी सरकार के ऐसे कदमों पर चुप्पी साध लेते हैं जो करोड़ों लोगों के जीवन को प्रभावित करते हैं। वित्त मंत्री अपने बजट भाषण में बेरोजगारी और महंगाई शब्द का इस्तेमाल तक नहीं करतीं जैसे कि यह समस्याएं हैं ही नहीं।”
सोनिया गांधी ने मोदी सरकार द्वारा किए गए वादों को याद दिलाते हुए कहा, “मोदी सरकार ने किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने का वादा किया था, लेकिन इस पर जब सवाल पूछा जाता है तो प्रधानमंत्री सुविधाजनक ढंग से चुप्पी साध लेते हैं। खेती में लागत बढ़ने और फसलों का उचित दाम नहीं मिलने की समस्या बनी हुई है।” सोनिया गांधी ने आरोप लगाया, “बीजेपी और आरएसएस के नेताओं द्वारा भड़काई जाने वाली नफरत और हिंसा को प्रधानमंत्री नजरअंदाज करते हैं। उन्होंने एक बार भी शांति और सद्भाव या अपराध करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का आह्वान नहीं किया।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस हर संभव प्रयास करेगी कि वह अपने संदेश को जनता के बीच सीधे ले जाए जैसा भारत जोड़ो यात्रा में किया गया था।
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