दलित शब्द का इस्तेमाल रोकने के मोदी सरकार के आदेश का मंत्री ने किया विरोध, बीजेपी सांसद ने भी जताई नाखुशी
मोदी सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने एक एडवाइजरी जारी कर टीवी चैनलों को दलित शब्द का इस्तेमाल नहीं करने का निर्देश दिया है। लेकिन मोदी सरकार के ही एक मंत्री ने इस निर्देश का विरोध किया है।
केंद्र सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने टीवी चैनलों को एक दिशानिर्देश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि वह बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए ‘दलित’ शब्द के बजाय ‘अनुसूचित जाति (एससी) शब्द का इस्तेमाल करें। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अभी निजी टीवी चैनलों को ही यह निर्देश जारी किये हैं। बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने जून में केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह मीडिया को ‘दलित’ शब्द का इस्तेमाल करने से रोकें। इसी का हवाला देते हुए मंत्रालय ने अपने आदेश में कहा है कि बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देश के मुताबिक मीडिया को दलित शब्द के इस्तेमाल से बचना चाहिए। इसके स्थान पर मीडिया संवैधानिक शब्दावली अनुसूचित जाति (एससी) का इस्तेमाल करें।
लेकिन केंद्र सरकार के इस निर्देश का विरोध सरकार के अंदर से ही शुरू हो गया है। मोदी सरकार में सामाजिक न्याय मंत्री और महाराष्ट्र के दलित नेता रामदास अठावले ने इस निर्देश का विरोध करते हुए कहा है कि 'दलित' शब्द के इस्तेमाल में कोई आपत्ति नहीं है। एक न्यूज चैनल से बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर वो केंद्र सरकार के साथ नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने दलित पैंथर्स आंदोलन जो शुरू किया था, उसके लिए दलित शब्द ही इस्तेमाल किया था। अठावले ने कहा कि दलित शब्द सिर्फ अनुसूचित जाति को ही इंगित नहीं करता, बल्कि 'दलित' वर्ग में ऐसे लोग भी शामिल हैं जो सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हैं। रामदास अठावले ने कहा, "मेरे विचार से 'दलित' शब्द पहचान है, ये अपमानजनक शब्द नहीं है।''
वहीं, इस मामले पर बीजेपी के लोकसभा सांसद उदित राज ने भी सरकार के निर्देशों से नाखुशी जाहिर की है। उदित राज का मानना है कि 'दलित' शब्द से सामाज और राजनीति दोनों जुड़ा है। उन्होंने कहा कि दलित शब्द का बोलचाल की भाषा में काफी इस्तेमाल होता है। ये शब्द दलितों को उनकी स्थिति की याद दिलाता है, और उन्हें संघर्ष करने के लिए प्रेरित करता है। इसे छोड़ दिया जाना चाहिए।"
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