शहीद मेजर की पत्नी ने अपने पति के माथे को चूमा और बोलीं- I Love You, देखिए वीडियो
आंखों के आंसुओं ने उनका साथ छोड़ दिया था। उनके माथे को चूम कर मन की बात भी करती रहीं। उनके कान में ‘आई लव यू’ बोल अपना प्यार भी जताती रहीं।
आंखों को नम करने वाला नजारा था। सामने फूलों से सजे ताबूत में शहीद पति का शव पड़ा था। वो देर तक अपने पति को पत्थराई आंखों से निहारती रहीं। आंखों के आंसुओं ने उनका साथ छोड़ दिया था। उनके माथे को चूम कर मन की बात भी करती रहीं। उनके कान में ‘आई लव यू’ बोल अपना प्यार भी जताती रहीं। पर उन्हें कुछ शिकायत थी शायद अपने पति से और शिकायत हो भी क्यों न, अभी पिछले साल ही तो शादी हुई थी। क्या क्या सपने होंगे। कैसे कैसे अरमान होंगे, पल में सब समाप्त हो गया था। पति की कुर्बानी पर गर्व भी हो रहा था। उन्हें पता था कि उनके पति देश पर अपना सर्वस्व कुर्बान कर अंतिम सफर पर जा रहे हैं। यह मंजर जिसने देखा उसकी आंखे भी नम हुए बिना न रह सकी।
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादियों से मुठभेड़ में शहीद हुए मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल का पार्थिव शरीर सोमवार शाम को देहरादून लाया गया था। मंगलवार को उनके शव को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया, जहां भावनाओं का ज्वार उमड़ पड़ा। 'भारत माता की जय' और पाकिस्तान विरोधी नारे लगाती भीड़ के बीच परिवारवालों ने अपने लाडले का अंतिम दर्शन किया।
34 साल के मेजर विभूति ढौंडियाल ने एक साल पहले ही फरीदाबाद की निकिता कौल से शादी की थी, जो कश्मीर के विस्थापित परिवार से ताल्लुक रखती हैं। मेजर विभूति और निकिता में प्रेम था और दोनों ने लव मैरिज की थी। पहले परिवार का विस्थापन और अब पति की शहादत ने निकिता को दोहरा जख्म दे गया। निकिता इस समय गहरे सदमे में हैं और उनकी आंखों के आंसू सूख चुके हैं। उन्होंने देर तक पति के शव को देखते रहने के बाद माथा चूमा और करीब जाकर आई लव यू बोल अंतिम सफर के लिए रवाना कर दिया।
देहरादून के डंगवाल रोड निवासी मेजर के पिता नहीं हैं। उनके परिवार में अब बूढ़ी दादी, मां, तीन बहनें और पत्नी हैं। पिछले साल ही उनकी शादी हुई थी। दो बहनों की शादी हो चुकी है, जबकि एक अभी अविवाहित हैं। मेजर का परिवार मूल रूप से पौड़ी जिले के बैजरो ढौंड गांव का रहने वाला है।
शहीद मेजर की मां दिल की मरीज हैं। इसी वजह से उन्हें सोमवार की शाम तक बेटे की शहादत की सूचना नहीं दी गई थी। परिवार के एक सदस्य ने बताया कि देर शाम सेना के एक अधिकारी ने उनसे बात की। पड़ोसी श्वेता खंडूरी ने बताया कि शहीद के परिवार में मातम छाया है और हर कोई गहरे सदमे में है।
शहीद मेजर विभूति कुमार ढौंडियाल ने आठ साल पहले 2011 में आर्मी जॉइन की थी। पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर आतंकी हमले के बाद जैश-ए-मोहम्मद के टॉप कमांडर कामरान गाजी के पिंगलिना में छिपे होने की खबर मिली। जिसके बाद एक ऑपरेशन चलाया गया। जिसमें में मेजर विभूती आतंकियों का सामना करते हुए शहीद हो गए।
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