मध्य प्रदेश: खत्म हुआ जल सत्याग्रह, सरकार ने मानी ओंकारेश्वर बांध प्रभावितों की सभी मांगें
नर्मदा नदी पर बने ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर 193 मीटर से बढ़ाकर 196़ 6 मीटर किया जा रहा था। जिस वजह से लगातार जलस्तर बढ़ता जा रहा है और कई गांव टापू में बदलने लगे हैं। इसके विरोध में नर्मदा बचाओ आंदोलन के नेतृत्व में 25 अक्टूबर से जल सत्याग्रह शुरू हुआ था।
नर्मदा नदी पर बने ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर बढ़ाने की प्रक्रिया से संकट में घिरे दो हजार परिवारों को हक दिलाने की मांग को लेकर पिछले 12 दिनों से चल रहा जल सत्याग्रह मंगलवार को समाप्त हो गया। सरकार ने प्रदर्शनकारियों की सभी छह मांगें मान ली है।
नर्मदा नदी पर बने ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर 193 मीटर से बढ़ाकर 196़ 6 मीटर किया जा रहा था। 21 अक्टूबर से जलस्तर बढ़ाने का दौर शुरू हो गया और लगातार जलस्तर बढ़ रहा है। कई गांव टापू में बदलने लगे हैं और गांव व खेत तक जाने वाले मार्ग भी जलमग्न हो चले थे। इसके विरोध में नर्मदा बचाओ आंदोलन के नेतृत्व में 14 प्रभावितों ने खंडवा के कामनखेड़ा में 25 अक्टूबर से जल सत्याग्रह शुरू किया था।
सरकार की ओर से पुनर्वास आयुक्त पवन शर्मा ने मंगलवार को सभी मांगें स्वीकारने से संबंधित पत्र प्रभावितों को दिया, जिसके बाद ओंकारेश्वर बांध प्रभावितों ने गत 12 दिनों से जारी जल सत्याग्रह समाप्त कर दिया।
राज्य शासन की ओर से पुनर्वास आयुक्त मंगलवार को एक बार फिर जल सत्याग्रहियों के बीच पहुंचे और उन्होंने लिखित में सभी मांगें स्वीकारने का पत्र देते हुए जलाशय में पानी कम करने का आश्वासन दिया और कहा कि पूर्ण जलाशय स्तर पर बांध सुरक्षा की जांच के बाद बांध का जल स्तर कम करने के विषय में विचार किया जाएगा। उन्होंने यह भी घोषणा की कि जल स्तर बढ़ने से जिन घरों में पानी भरा है, उन्हें तत्काल घर प्लाट दिए जाएंगे और उन्हें घर निर्माण के लिए हर संभव सहायता दी जाएगी।
पुनर्वास कार्य में तेजी के लिए 11 नवम्बर से खंडवा में पुनर्वास आयुक्त शर्मा और नर्मदा आंदोलन के आलोक अग्रवाल संयुक्त प्रक्रिया प्रारम्भ करेंगे।
इन लिखित घोषणाओं के बाद नर्मदा आंदोलन के प्रमुख कार्यकर्ता आलोक अग्रवाल के साथ ओमकारेश्वर बांध विस्थापितों का 12 दिनों से जारी जल सत्याग्रह समाप्त हुआ। जल सत्याग्रह समाप्त होने के तत्काल बाद वहीं सत्याग्रह स्थल पर शासकीय चिकित्सक दल द्वारा सत्याग्रहियों का इलाज किया गया।
ज्ञात हो कि सोमवार को भी पुनर्वास आयुक्त शर्मा ने चर्चा के दौरान छह में से पांच मांगें मानने की बात कही थी, जिसके मुताबिक धामनोद निमरानी पुनर्वास स्थल पर 500 प्लाट विकसित किए जाएंगे एवं सभी पात्र परिवारों को इन्हें तत्काल आवंटित किया जाएगा। पात्र परिवारों को सात जून, 2013 को सरकार की तरफ से घोषित 50 हजार रुपये की राशि और इस राशि पर तब से अबतक 15 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर जोड़कर भुगतान किया जाएगा। ग्राम कोथमीर, धारडी, गुवाड़ी, नयापुरा, नरसिंहपुरा, एखण्ड, देगावां आदि गांवों की टापू बनने वाली जमीनों का परीक्षण कर भू अर्जन या रास्ता बनाने के विषय मे उचित निर्णय लिया जाएगा। भू अर्जन व पुनर्वास के शेष सभी कार्यो को अविलंब पूरा किया जाएगा और भू अर्जन व पुनर्वास के कार्य में तेजी लाने के लिए इसे अगले छह सप्ताह में पूरा करना किया जाएगा।
पुनर्वास आयुक्त शर्मा ने बांध का जलस्तर 194 मीटर करने की मांग को पूरा करने में तत्काल असमर्थता जताई थी, जिस पर आंदोलनकारियों ने जलसत्याग्रह जारी रखने का फैसला किया था।
नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता आलोक अग्रवाल का कहना है, "ओंकारेश्वर बांध का जल स्तर बढ़ाए जाने से खंडवा के 13 और देवास जिले के सात गांवों के लोग प्रभावित हो रहे हैं। इस बांध से प्रभावित होने वाले 6000 हजार परिवारों में से 2000 परिवारों का पुनर्वास नहीं हुआ है। इनका पुनर्वास किए बिना जलस्तर बढ़ाना सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ है।"
अग्रवाल ने अपने अन्य साथियों के साथ खंडवा जिले के कामनखेड़ा में जल सत्याग्रह शुरू किया था, और मंगलवार को सत्याग्रह का 12वां दिन था।
आंदोलनकारियों के साथी अजय गोस्वामी ने बताया, "सत्याग्रह करने वालों की लगातार सेहत बिगड़ रही थी। पहले पैरों की चमड़ी फूली, फिर फंगस लगने से जख्म हुए और जख्मों पर मछलियां हमला करने लगी थीं। पैरों का बुरा हाल हो गया था।"
आंदोलनकारियों का कहना है, "कामनखेड़ा, घोघलगांव, एखण्ड आदि गांवों में तमाम घरों में पानी घुस गया है और अब उन घरों को तोड़कर सामान ले जाना संभव नहीं है। इसलिए बांध का पानी कम करने के उपरांत ही इन घरों को तोड़कर सामग्री उदाहरण के तौर पर मकान की ईंट, दरवाजे आदि निकाले जा सकते है। इसलिए बांध का पानी कम करना बहुत जरूरी है। सरकार ने जलस्तर कम करने का आश्वासन दिया है, जिससे प्रभावितों के बड़े नुकसान को रोका जा सकेगा।"
(आईएएनएस इनपुट के साथ)
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