मध्य प्रदेशः शिवराज से ‘अनशनकारी किसान की मौत’ का जवाब मांगने के लिए बुंदेलखंड तैयार
बुंदेलखंड में किसानों का पलायन, आत्महत्या, बेरोजगारी, सूखे की मार गंभीर समस्या बनी हुई है। कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 2008 में बुंदेलखंड पैकेज के तहत लगभग 3,600 करोड़ रुपये की राशि जारी की थी, लेकिन यहां के हालात आज तक नहीं बदले।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जनता के बीच पहुंचकर सरकार की योजनाओं का प्रचार करने, उनकी समस्याएं जानने और पूरे प्रदेश से संवाद करने के लिए जन आशीर्वाद यात्रा निकाल रहे हैं। बुधवार से उनकी यह जन आशीर्वाद यात्रा बुंदेलखंड में शुरू हो रही है। इस दौरान उनके सामने इलाके में एक किसान की आमरण अनशन के दौरान हुई मौत का मामला सबसे बड़ा सवाल बनकर खड़ा होने वाला है। देखना दिलचस्प होगा कि वे किसान की मौत से नाराज बुंदेलखंड के लोगों की नाराजगी का सामना किस तरह करते हैं।
बुंदेलखंड बीजेपी के मजबूत किलों में से एक है। यहां के 29 विधानसभा क्षेत्रों में से 23 पर उसका कब्जा है। यहां किसानों का पलायन, आत्महत्या, बेरोजगारी, सूखे की समस्या गंभीर रूप धारण किए हुए है। कांग्रेस की नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 2008 में 6 जिलों के लिए बुंदेलखंड पैकेज के तहत लगभग 3,600 करोड़ रुपये की राशि दिया था, लेकिन यहां के हालात आज तक नहीं बदले।
प्रदेश की शिवराज सरकार भोपाल में बैठकर किसानों के हालात बदलने, उन्हें तमाम तरह की सुविधाएं देने और सूखा राहत वितरण के बड़े दावे करती है, मगर जमीनी हकीकत इससे इतर है।
बुंदेलखंड में किसानों को मुआवजा नहीं मिला है। इसका प्रमाण छतरपुर जिले के राजनगर तहसील का डुमरा गांव है, जहां 14 जुलाई को राहत राशि वितरण के बुलावे पर किसान तो पहुंचे मगर वितरण ही नहीं हुआ। इससे नाराज बुजुर्ग किसान मंगल सिंह यादव आमरण अनशन पर बैठ गए। जिसकी वजह से पहले उनकी तबियत बिगड़ी और फिर मौत हो गई।
लेकिन जिला प्रशासन अनशन की बात को स्वीकारने को तैयार तक नहीं है, फिर भी जिलाधिकारी रमेश भंडारी ने तहसीलदार से मौत की जांच करने को कहा है। राज्य सरकार का रवैया इसी बात से जाहिर होता है कि जिला प्रशासन ने एक प्रेस रिलीज जारी कर दावा किया है कि मंगल सिंह की आयु 90 वर्ष थी और वह लोक कल्याण शिविर में डुमरा आए थे। जबकि अस्पताल का डिस्चार्ज टिकट बताता है कि मंगल सिंह की आयु 75 वर्ष थी। वहीं, मंगल सिंह के नाती जगदीश और अन्य ग्रामीणों ने 17 जुलाई को जनसुनवाई के दौरान जिलाधिकारी को दिए ज्ञापन में कहा था कि उनके नाना आमरण अनशन पर हैं और उनकी हालत बिगड़ रही है। लेकिन किसी ने भी उनकी बात नहीं सुनी।
राजनीतिक विश्लेषक रवींद्र व्यास कहते हैं, “सरकार की योजनाएं बन रही हैं। प्रचार हो रहा है। अखबारों और चैनलों में बड़े-बड़े विज्ञापन चल रहे हैं, मगर किसान के हाथ कुछ नहीं आ रहा है। किसान नाराज है। मंगल सिंह की मौत का मसला तो चर्चाओं में है ही, शिवराज जब यहां आएंगे तो उन्हें परोक्ष या अपरोक्ष रूप से जवाब तो देना ही पड़ेगा।”
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने आमरण करने वाले किसान की मौत को गंभीर मामला मानते हुए दो विधायकों की समिति बनाई है। इसमें राजनगर विधायक विक्रम सिंह और खरगापुर विधायक चंदा सिंह गौर को शामिल किया गया है। अजय सिंह का कहना है कि “किसान की मौत को न तो प्रशासन ने गंभीरता से लिया और न ही सरकार ने। एक किसान 5 दिन से अनशन करता रहा, उसकी मौत हो गई, विरोध में किसानों ने 10 घंटे तक प्रदर्शन किया लेकिन किसी ने इसकी सुध नहीं ली। यह बहुत दुखद है।”
इस बीच डुमरा क्षेत्र के किसानों ने तय किया है कि वे शिवराज की जन आशीर्वाद यात्रा का विरोध करेंगे। किसान गुलाब त्रिपाठी ने बताया कि सरकार चाहे जितने मुआवजे के दावे करे मगर आधे से ज्यादा किसानों को बीते साल के सूखा का राहत मुआवजा नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि उनकी मुख्यमंत्री से मांग रहेगी कि वे कोरी घोषणाएं नहीं, बल्कि कुछ करके जाएं। इन किसानों की आवाज को शिवराज किस तरह शांत करते हैं, सभी की नजर इसी पर है। अब देखना होगा कि शिवराज के जन आशिर्वाद यात्रा में प्रशासन का डंडा चलेगा या किसानों की आवाज सुनी जाएगी।
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