चौथे चरण के मतदान से पहले मोदी के राष्ट्रवाद के एजेंडे को झटका, वोटर्स बोले- बेरोजगारी उनके लिए बड़ा मुद्दा: सर्वे
देश में मतदान प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है। ताजा सर्वे से यह बात सामने आई है कि देश के लोग आर्थिक और बेरोजागरी के मुद्दों को ज्यादा अहम मान रहे हैं। जबकि बीजेपी यह चनाव राष्ट्रवाद के मुद्दे पर लड़ रही है।
चौथे चरण के मतदान से ठीक पहले ताजा सर्वे में देश की जनता ने बीजेपी और पीएम मोदी के राष्ट्रवाद और सुरक्षा के एजेंडे को खारिज कर दिया है। सर्वे में यह बात सामने आई है कि लोगों के लिए बेरोजगारी और आर्थिक मुद्दे ज्यादा बड़े हैं। बेरोजगारी लोगों के लिए प्रमुख चिंता बनी हुई है, क्योंकि वे सुरक्षा से कहीं ज्यादा आर्थिक मुद्दों को लेकर चिंतित हैं। सीवोटर-आईएएनएस ट्रैकर में यह खुलासा हुआ है। 26 अप्रैल को किए गए एक सर्वेक्षण में 28.42 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने बेरोजगारी को अपनी मुख्य चिंता बताया। 11,672 लोगों में से 57.04 प्रतिशत लोगों ने कहा कि आर्थिक मुद्दे देश की प्रमुख समस्याओं में से एक हैं और 11.74 प्रतिशत ने सुरक्षा को मुख्य चिंता बताया।
देश में मतदान प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है। लेकिन मार्च के मध्य में, सुरक्षा से जुड़ी चिंताए आर्थिक समस्याओं के साथ लगभग बराबर पाई गईं। मार्च के पहले सप्ताह में पोल ट्रैकर ने दर्शाया था कि मतदाताओं के लिए आतंकवादी हमले बोरोजगारी से बड़ा मुद्दा है। मार्च में 26.12 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने आतंकवादी हमलों को मुख्य चिंता बताया था जबकि 21.74 प्रतिशत ने बेरोजगारी को मुख्य मुद्दा बताया था।
बेरोजगारी जैसे चुनौतीपूर्ण मुद्दे के सामने सुरक्षा के बारे में चिंता धीरे-धीरे कम हो गई है। 27 अप्रैल को आर्थिक और सुरक्षा मुद्दों के बीच 45.3 प्रतिशत अंकों का अंतर पाया गया, जिसमें आर्थिक मुद्दे के पक्ष में भारी झुकाव रहा।
राज्यों की बात करें तो, पंजाब के मतदाता रोजगार को लेकर सबसे ज्यादा चिंतित हैं। पंजाब के 49.21 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि बेरोजगारी उनके लिए सबसे ज्यादा चिंता का विषय है। जिन राज्यों में बेरोजगारी का मुद्दा सबसे बड़ा चिंता का विषय रहा, उनमें जम्मू-कश्मीर (698 में से 44.63 प्रतिशत), उत्तराखंड (562 में से 43.10 प्रतिशत), झारखंड (403 में से 39.72 प्रतिशत), दिल्ली (316 में से 37.11 प्रतिशत) और मध्य प्रदेश (413 में से 33.95 प्रतिशत) शामिल हैं।
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