नौकरी और बेटा खोने के बाद अब राजनीति में कदम, बर्खास्त होने के बाद से अब तक ऐसा रहा तेजबहादुर का सफर
समाजवादी पार्टी ने वाराणसी से अपना उम्मीदवार बदलकर बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेजबहादुर को टिकट दिया है। बर्खास्त होने के बाद तेजबहादुर अपना बेटा भी खो चुके हैं। जानिए तेजबहादुर के बर्खास्त होने से लेकर अब तक का सफर।
हरियाणा के रेवाड़ी से ताल्लुक रखने वाले तेजबहादुर जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर तैनात बीएसएफ की 29 वीं बटालियन का हिस्सा थे।
सीमा पर तैनात जवानों को घटिया खाना परोसे जाने और अफसरों पर भ्रष्टाचार के कथित आरोप लगाने के बाद चर्चा में आये थे।
तेजबहादुर ने 8 जनवरी 2017 को एक वीडियो के माध्यम से शिकायत की थी कि जवानों को नाश्ते में जले हुए परांठे और चाय दी जाती है।
वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसके बाद गृह मंत्रालय ने जांच के आदेश दिए थे।
वीडियो वायरल होने के बाद बीएसएफ की छवि को बदनाम करने के आरोप में 19 अप्रैल को तेजबहादुर को बर्खास्त कर दिया गया।
तेजबहादुर यादव आजकल फौजी एकता न्याय कल्याण मंच नाम से एक एनजीओ चला रहे हैं।
भारत के सभी सैनिकों के हितों की रक्षा के लिए काम करती है यह संस्था।
किसी सैनिक का बिना वजह कोर्ट मार्शल किये जाने के बाद उसे न्याय दिलाने में करती है सहायता।
साल 2019 में तेज बहादुर के बेटे ने अपने रेवाड़ी स्थित आवास पर आत्महत्या कर ली थी।
तेज बहादुर की पत्नी बावल की औद्योगिक इकाई में नौकरी करती हैं।
मार्च 2019 में तेज बहादुर ने ऐलान किया था कि वे उत्तर प्रदेश के वाराणसी लोकसभा क्षेत्र से पीएम मोदी के खिलाफ निर्दलीय लड़ेंगे।
बाद में समाजवादी पार्टी ने वाराणसी से अपना उम्मीदवार बदल कर तेजबहादुर को चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया।
तेजबहादुर के राजनीती में आने के बाद से राजनैतिक गलियारों में हलचल मची हुई है।
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